पत्नी ने पति पर लगाया बेटी से रेप का झूठा आरोप, महिला पर लगेगा अब POCSO एक्ट

Edited By Pardeep,Updated: 22 Aug, 2019 01:09 AM

wife accuses husband of falsely raping daughter posco act on woman

तमिलनाडु के चेन्नई शहर में एक महिला के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। गौर करने वाली बात ये है कि महिला पर यौन शोषण का आरोप नहीं है। न ही उसने किसी बच्चे के यौन शोषण में सहयोग किया है। लेकिन उसका अपराध इससे कम भी नहीं है। उसने अपने...

चेन्नई: तमिलनाडु के चेन्नई शहर में एक महिला के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। गौर करने वाली बात ये है कि महिला पर यौन शोषण का आरोप नहीं है। न ही उसने किसी बच्चे के यौन शोषण में सहयोग किया है। लेकिन उसका अपराध इससे कम भी नहीं है। उसने अपने पति को फंसाने के लिए अपनी नाबालिग बेटी का इस्तेमाल किया था। इसी वजह से अब वो पॉक्सो की जद में आ गई है।
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क्या है मामला
2018 में राहुल (बदला हुआ नाम) ने हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत की गुहार लगाई थी। उसकी पत्नी ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी कि वह अपनी 11 साल की बेटी से रेप कर रहा है, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। महिला का आरोप था कि बेटी प्रेग्नेंट हो गई थी. और आयुर्वेदिक दवा के जरिए उसका गर्भपात कराया गया। पति और पत्नी कई सालों से अलग रह रहे थे।

मामला मद्रास हाईकोर्ट तक पहुंचा, तो जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने मामले में जांच कराने का आदेश दिया था। पता चला कि ये केस पूरी तरह से फर्जी था। राहुल को अंतरिम जमानत मिल गई। 2018 में प्रसाद ने खुद पर लगे आरोपों को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।  जब याचिका पर सुनवाई शुरू हुई, तो पता चला कि महिला और उसका पति अलग रह रहे थे। आरोपी महिला ने पति को धमकाने और बच्चों की कस्टडी लेने के लिए झूठा आरोप लगाया था। महिला की शिकायत पूरी तरह से फर्जी थी। 20 अगस्त को जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने राहुल को बरी कर दिया। इसके साथ ही उसकी पत्नी पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज करने के आदेश दे दिए।

जस्टिस वेंकटेश ने अपने फैसले में कहा, 'इस मामले ने कोर्ट की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है। यकीन करना मुश्किल है कि एक मां, सिर्फ अपने बच्चे की कस्टडी लेने के लिए इस हद तक जा सकती है और अपने पति पर इतने गंभीर आरोप लगा सकती है। यह केस उन लोगों के लिए एक सबक होना चाहिए, जो अपने निजी स्वार्थ के लिए पॉक्सो एक्ट की धाराओं का गलत इस्तेमाल करते हैं।' 

पॉक्सो एक्ट से जुड़े मामले बेहद गंभीर और संवेदनशील होते हैं। इसलिए साल 2012 में जब पॉक्सो एक्ट आया था। तब इस कानून के तहत प्रावधान दिया गया था कि अगर कोई व्यक्ति अपने निजी स्वार्थ के लिए इस कानून का गलत इस्तेमाल करता है या दुरुपयोग करता है, उसे छह महीने की जेल या/और जुर्माना लगाया जा सकता है।

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