कुष्ठ रोग के आधार पर अब नहीं ले सकेंगे तलाक, संबंधित बिल राज्यसभा में पास

Edited By Seema Sharma,Updated: 13 Feb, 2019 04:03 PM

will not be able to divorce on the basis of leprosy

कुष्ठ रोग के आधार पर अब तलाक नहीं लिया जा सकेगा। संसद ने इस रोग को तलाक का आधार नहीं मानने के प्रावधान वाले एक विधेयक को आज मंजूरी दे दी। बजट सत्र के अंतिम दिन राज्यसभा में इस विधेयक पर सहमति बनने के बाद इसे बिना चर्चा के पारित कर दिया गया।

नई दिल्ली: कुष्ठ रोग के आधार पर अब तलाक नहीं लिया जा सकेगा। संसद ने इस रोग को तलाक का आधार नहीं मानने के प्रावधान वाले एक विधेयक को आज मंजूरी दे दी। बजट सत्र के अंतिम दिन राज्यसभा में इस विधेयक पर सहमति बनने के बाद इसे बिना चर्चा के पारित कर दिया गया। बहरहाल, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पर सहमति नहीं बनी। बुधवार को सरकार ने इस विधेयक को भी पारित कराने पर जोर दिया।

सदन में हंगामा
उच्च सदन में पहले वैयक्तिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018 को ध्वनि मत से पारित किया गया। फिर सभापति एम वेंकैया नायडू ने खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान से उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित करवाने के लिए पेश करने को कहा। पासवान जैसे ही इसे पेश करने के लिए खड़े हुए तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के सदस्यों ने विभिन्न मुद्दों पर हंगामा शुरू कर दिया। सभापति ने हंगामे की वजह से बैठक 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। बैठक पुन: शुरू होने पर नायडू ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पर संवादहीनता की स्थिति होने की वजह से इसे नहीं लिया जाएगा।
 

लोकसभा में पास हो चुका है उपभोक्ता संरक्षण बिल 2018
लोकसभा में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2018 को दिसंबर 2018 में पारित किया जा चुका है। राज्यसभा में विधेयक को बिना चर्चा के पारित कि जाने का विरोध करते हुए तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सुखेन्दु शेखर राय ने कहा कि प्रस्तावित कानून के तहत राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग को असीमित अधिकार मिल जाएंगे जिससे राज्य उपभोक्ता आयोग कमजोर हो जाएंगे। वाम दलों ने भी चर्चा के बिना विधेयक पारित किए जाने का विरोध किया। उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2018 में उपभोक्ताओं के अधिकारों को मजबूती देने और उत्पाद में खामी तथा सेवाओं में कोताही के बारे में की गई शिकायतों के निवारण के लिए एक व्यवस्था का भी प्रावधान है।

वैयक्तिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018
वैयक्तिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018 में पांच वैयक्तिक कानूनों में तलाक के लिए दिए गए आधार से कुष्ठ रोग को हटाने का प्रावधान है। यह पांच वैयक्तिक कानून क्रमश: हिंदू विवाह अधिनियम 1955, विवाह विच्छेद अधिनियम 1869, मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम 1939, विशेष विवाह अधिनियम 1954 और हिंदू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम 1956 हैं। विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में उन कानूनों और प्रावधानों को निरस्त करने की सिफारिश की थी जो कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के प्रति भेदभावपूर्ण हैं।
इसके अलावा, भारत ने संयुक्त राष्ट्र के उस घोषणापत्र पर भी हस्ताक्षर किए हैं जिसमें कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने का आह्वान किया गया है। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र और राज्य सरकारों से कुष्ठ रोग प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास एवं उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए कदम उठाने को कहा था।

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