नीतीश के दोनों हाथों में लड्डू, क्या मोदी अब देंगे 1.25 लाख करोड़?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jul, 2017 10:43 AM

will pm modi give 1 25 lakh crore to bihar government

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पद से इस्तीफ़ा देकर ऐसा सियासी दांव खेला है जिस से वाडे पूरे करने और बिहार के विकास का दबाव भाजपा पर बढ़ेगा

नेशनल डैस्कः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पद से इस्तीफ़ा देकर ऐसा सियासी दांव खेला है जिस से वाडे पूरे करने और बिहार के विकास का दबाव भाजपा पर बढ़ेगा क्योंकि यदि भाजपा ऐसा करने में नाकाम रही तो नीतीश एक बार फिर भाजपा से नाता तोड़ने तक जा सकते हैं। नीतीश का पुराना ट्रैक रिकार्ड इस बात की गवाही देता है कि वह सियासी फायदे के लिए कोई भी दांव खेलने से नहीं चूकेंगे। बिहार के विकास के सवाल अपर भाजपा का साथ छोड़ने पर विपक्ष भी उन्हें हाथों हाथ लेगा क्योंकि 2019 केलिए विपक्ष को भी नितीश जैसे चेहरों की जरूरत है।

तो क्या नीतीश का यह दांव 2019 के लिए
सियासी हलकों में इस बात की भी चर्चा है कि नितीश कुमार का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देना उनकी भविष्य की राजनीति का महज एक पड़ाव है और उनकी सियासी फिल्म का यह ट्रेलर भर है। नीतीश ने लालू से नाता तोड़ कर भ्रष्टाचार विरोधी अपनी छवि को और मजबूत किया है। नीतीश कामयाब हो गए हैं कि वह भ्रष्टाचार पर किसी हाल में समझौता नहीं करेंगे भले ही उन्हें अपनी कुर्सी त्यागनी पड़े लेकिन विका पुरुष की अपनी छवि वह सिर्फ भाजपा को इस्तेमाल कर के ही बना सकते हैं। नीतीश को पता है कि केंद्र के खजाने की तिजौरी की चाबी भाजपा के पास है लिहाजा वह भाजपा के साथ जाते हैं तो उन्हें केंद्र से बिहार भरकम मदद मिल सकती है।

मोदी ने किया था 1.25 लाख करोड़ का वादा
अगस्त 2015 में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभा में बिहार की जनता को संबोधित करते हुए राज्य को 1.25 लाख करोड़ रुपए का पॅकेज देने का वादा किया था लेकिन बिहार में भाजपा के हारने के बाद इस वादे पर अमल नहीं हुआ।  इस साल मार्च में केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने भी आर टी आई के जवाब में कहा था कि यह रकम विभिन चरणों में दी जानी है लिहाजा इस पर कोई जवाब नहीं दिया जा सकता यानि नीतीश के मुख्य मंत्री बनने के 18 महीने बाद भी केंद्र सरकार ने बिहार को कोई पैकेज नहीं दिया था लेकिन अब यदि भाजपा नीतीश की मदद करके बिहार में सरकार बनाती है तो यह वादा पूरा करने का दबाव भाजपा पर रहेगा और वादा न पूरा करने की स्थिति में नीतीश एक बार फिर पाला बदल सकते हैं। इस दौरान नितीश हर वह सियासी दांव आजमाएंगे जिससे वह खुद को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर सकें।

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