Edited By Mahima,Updated: 13 Sep, 2024 09:07 AM
जम्मू-कश्मीर में करीब 10 साल बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले बारामुला सांसद राशिद इंजीनियर की जेल से जमानत पर रिहाई से घाटी में सियासत गरमा गई है। राशिद के जेल से बाहर आने से नैशनल कॉन्फ्रेंस (एन.सी.) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पी.डी.पी.)...
नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर में करीब 10 साल बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले बारामुला सांसद राशिद इंजीनियर की जेल से जमानत पर रिहाई से घाटी में सियासत गरमा गई है। राशिद के जेल से बाहर आने से नैशनल कॉन्फ्रेंस (एन.सी.) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पी.डी.पी.) में खलबली मची हुई है। एन.सी. व पी.डी.पी. के नेताओं की बयानबाजी जाहिर होने लगा है कि राशिद की वजह से उन्हें नुकसान और भाजपा को फायदा होने वाला है। जानकारों की मानें तो राशिद की पार्टी चुनावों में गेम चेंजर साबित हो सकती है।
भाजपा का प्रॉक्सी दल होने के आरोप
राशिद वही शख्स हैं जिन्होंने जेल में बंद रहने के बावजूद लोकसभा चुनाव 2024 में उमर अब्दुल्ला को बारामूला लोकसभा सीट से हरा दिया था। यही वजह है कि उमर अब्दुल्ला आरोप लगा रहे हैं कि इंजीनियर राशिद और उनकी पार्टी अवामी इत्तेहाद पार्टी (ए.आई.पी.) के कार्यकर्ता भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं। यही नहीं पी.डी.पी. सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती की भी बेचैनी बढ़ गई है। उन्होंने भी राशिद की पार्टी ए.आई.पी. को भाजपा का नया प्रॉक्सी दल बताया है।
एन.सी. और पी.डी.पी. के वोट बैंक में सेंध
सियासी पंडितों का कहना है कि राशिद की पार्टी घाटी में एन.सी. और पी.डी.पी. के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है। दरअसल, इंजीनियर राशिद लंबे समय से सलाखों के पीछे रहे हैं, यही वजह है कि जनता की सहानुभूति वे लोकसभा में भी बटोरने में कामयाब हुए थे, इस बार विधानसभा चुनाव में इसी भावना के साथ अपने साथ और वोटरों को जोड़ सकते हैं। जिससे विपक्षी राजनीतिक दलों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। विधानसभा चुनाव के लिए जारी घोषणा पत्र में ए.आई.पी. ने कैदियों की रिहाई और पी.एस.ए. और यू.ए.पी.ए. को रद्द करने का वादा किया है। यह घाटी का एक अहम मसला है जो चुनावों में अपना असर दिखा सकता है।
20 सीटों पर जीत का दावा
लोकसभा में चुनाव के परिणाम के बाद राशिद की पार्टी ने घाटी में एक मजबूत कैडर तैयार किया है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक रशीद के 26 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी ने दावा किया है कि उसे करीब 20 सीटों पर जीत मिल सकती है। जानकार कहते हैं कि अगर ऐसा होता है तो ए.आई.पी. जम्मू-कश्मीर की एक बड़ी राजनीतिक शक्ति बनकर उभरेगी। ऐसे समीकरणों के बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस और पी.डी.पी. के लिए सरकार बनाना मुश्किल हो जाएगा, वहीं इसके विपरीत भाजपा द्वारा छोटे राजनीतिक दलों के साथ मिल कर सरकार बनाने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
दो बार विधायक भी रह चुके हैं राशिद
इंजीनियर रशीद का असली नाम शेख अब्दुल रशीद है। वह जम्मू-कश्मीर अवामी इत्तेहाद पार्टी के संस्थापक हैं। जम्मू-कश्मीर के लंगेट निर्वाचन क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुके हैं। यहां से उन्होंने साल 2008 और 2014 में जीत हासिल की थी। उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गए थे। इसके बाद बीते लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बारामूला सीट से उन्होंने चुनाव लड़कर जीत हासिल की है।
टेरर फंडिंग के आरोप में जेल में थे बंद
साल 2008 में शेख अब्दुल रशीद पहली बार 'इंजीनियर रशीद' के नाम से चर्चा में आए थे। उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने के बाद अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। महज 17 दिनों के चुनावी अभियान के बाद लंगेट निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी। साल 2019 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एन.आई.ए.) ने टेरर फंडिंग के आरोप में यू.ए.पी.ए. कानून के तहत रशीद को गिरफ्तार किया था।
हवाला के जरिए पैसे पाने का आरोप
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 30 मई 2017 को एन.आई.ए. ने लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद सहित कई अन्य अलगाववादी नेताओं के खिलाफ आई.पी.सी. की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यू.ए.पी.ए.) की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। इन पर आतंकवादियों के साथ मिलकर हवाला के जरिए पैसे पाने और एकत्र करने का आरोप था।