Edited By vasudha,Updated: 22 Nov, 2018 05:46 PM
तेलंगाना में जिस बात पर जोरदार चर्चा चल रही है वह यह है कि राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व में बने महागठबंधन के घटक दल क्या अपना-अपना वोट एक-दूसरे को दिला पाएंगे...
नेशनल डेस्क: तेलंगाना में जिस बात पर जोरदार चर्चा चल रही है वह यह है कि राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व में बने महागठबंधन के घटक दल क्या अपना-अपना वोट एक-दूसरे को दिला पाएंगे। राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के घटक दलों को मिले मतों का हिस्सा टीआरएस के मत प्रतिशत से अधिक था।
अकेले मैदान में टीआरएस
सत्तारूढ़ टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) को 2014 के विधानसभा चुनाव में 34.3 फीसदी वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस और तेदेपा को क्रमश: 25.2 और 14.7 फीसदी वोट मिले थे। तेदेपा का पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन था। अमित शाह नीत पार्टी सात दिसंबर को होने वाले तेलंगाना विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में है। टीआरएस भी अकेले ही चुनाव लड़ रही है।
तेलंगाना में जनता का गठबंधन
कांग्रेस, तेदेपा, तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) और भाकपा ने टीआरएस से मुकाबला करने के लिये ‘प्रजाकुटामी’ (जनता का गठबंधन) बनाया है। तेलंगाना के लिये कांग्रेस प्रभारी आर सी खुंटिया ने कहा कि ‘विवशता’ के चलते गठबंधन के घटक दलों एक साथ गए हैं और वह उम्मीद करते हैं कि गठबंधन टीआरएस से मुकाबला करने के लिये मिलकर काम करेगा।
तेदेपा से जनता नाराज
खुंटिया ने कहा कि टीआरएस और केसीआर (कार्यवाहक मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव) ने जिस तरह से राज्य को चलाया उससे लोग बहुत नाखुश हैं, वे उन्हें (केसीआर) सत्ता से बाहर कर देना चाहते हैं। कांग्रेस और तेदेपा को पिछले चुनाव में मिले मतों के प्रतिशत का हवाला देते हुए तेदेपा पोलित ब्यूरो के वरिष्ठ सदस्य रावुला चंद्रशेखर रेड्डी ने कहा कि भाकपा और टीजेएस के साथ आने से गठबंधन ‘बहुत मजबूत’ है। रेड्डी के अनुसार गठबंधन के घटक दलों के एक-दूसरे के वोट निश्चित रूप से मिलेंगे क्योंकि यह ‘अवश्यंभावी’ है।