क्या ये सवाल हवा हवाई हो जाएंगे

Edited By ,Updated: 08 Aug, 2022 04:13 AM

will these questions become airborne

क्या अब सोनिया गांधी और राहुल गांधी को गिरफ्तार कर मोदी सरकार इतना बड़ा सियासी जोखिम उठाने के लिए तैयार है। क्या वास्तव में इसे सियासी जोखिम कहा जा सकता है। क्या ई.डी. के बहाने पू

क्या अब सोनिया गांधी और राहुल गांधी को गिरफ्तार कर मोदी सरकार इतना बड़ा सियासी जोखिम उठाने के लिए तैयार है। क्या वास्तव में इसे सियासी जोखिम कहा जा सकता है। क्या ई.डी. के बहाने पूरा विपक्ष एक हो सकता है। क्या एक हुआ विपक्ष बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर देशव्यापी आंदोलन छेड़ कर मोदी सरकार को परेशान कर सकता है। यह कुछ ऐसे सवाल हैं जो हवा में तैर रहे हैं लेकिन सवाल है कि जमीन भी देखेंगे या हवा हवाई हो जाएंगे। 

नैशनल हेराल्ड केस में जिस तेजी से और जिस गहराई तक जाकर पूछताछ की गई है और यंग इंडिया के दफ्तर सीज किए गए हैं उससे साफ है कि मामला आगे बढ़ गया है। इंकम टैक्स के केस लंबे चलते हैं और आॢथक जुर्माना भर होता है।  सी.बी.आई. को बहुत से राज्य अपने यहां घुसने नहीं देते। ऐसे में ई.डी. ही एकमात्र हथियार बचा है और अब इसका खुलकर इस्तेमाल होने लगा है। विपक्ष आरोप लगाता है कि जांच एजैंसियों का दुरुपयोग हो रहा है। लेकिन ममता बनर्जी के नंबर दो की हैसियत वाले पार्थ चटर्जी के यहां करोड़ों रुपए मिलते हैं,

यहां तक कि ममता को उन्हें मंत्रिमंडल से निकालना पड़ता है, पार्टी के पदों से हटाना पड़ता है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खान पट्टा मामले में फंसते हैं। इसके बाद ममता बनर्जी किस मुंह से कह सकती हैं कि ई.डी. का दुरुपयोग हो रहा है। अभी तो भतीजे अभिषेक बनर्जी पर भी कार्रवाई हो रही है जहां बताया जाता है कि एक हजार करोड़ का कोयला घोटाला निकल सकता है कहने का मतलब यही है कि विपक्ष के दुरुपयोग वाले नरेटिव को कहीं न कहीं तोडऩे की स्थिति में बीजेपी आ गई है लेकिन क्या बीजेपी की ङ्क्षचता यही नरेटिव है या कुछ और। 

कांग्रेस कह रही है कि सिर्फ सोनिया और राहुल गांधी की पूछताछ का मुद्दा नहीं है ई.डी. ने जो पिछले दस सालों में साढ़े 5 हजार केस दर्ज किए और सिर्फ 24 में ही मामला फैसले तक पहुंचा उससे साफ जाहिर होता है कि ई.डी. का  इस्तेमाल सियासी हथियार के रूप में हो रहा है। सरकार का कहना है कि हवाला के खिलाफ कानून को इसलिए सख्त किया और ई.डी. को इसलिए अधिकार दिए गए ताकि मादक पदार्थों, आतंकवादियों को मिल रहे हवाला के पैसों और बैंकों को चूना लगाकर विदेश भागने वाले भगौड़ों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके। 

इस पर कांग्रेस का कहना है कि पिछले 3 सालों में कुल 74 भगौड़े बैंकों को चूना लगाकर भागे लेकिन ई.डी. ने दर्जन भर के ही खिलाफ कार्रवाई की। कुल मिलाकर बैंकों को 5 लाख करोड़ से ज्यादा का चूना लगाया गया लेकिन ई.डी. ने सिर्फ 433 करोड़ की संपत्ति ही जब्त की। इसी तरह ई.डी. ने जिन 24 मामलों में सजा दिलवाई उसमें आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी से जुड़ा एक भी मामला नहीं है। 

उधर बीजेपी का कहना है कि भले ही अटल बिहारी वाजपेयी के समय में 2002 में ई.डी. वाला कानून बनाया गया हो लेकिन मनमोहन सिंह सरकार ने इस कानून को 2005 में सख्त किया। पहले पुलिस भी हवाला मामलों की जांच कर सकती थी लेकिन 2005 में यह काम पुलिस से छीन कर पूरी तरह से ई.डी. को दे दिया गया। इसी तरह जमानत के मामले में सख्ती बरती गई। 

वैसे 1998 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने हवाला को खतरनाक माना था। तब एक चर्चा के दौरान देशों ने ङ्क्षचता व्यक्त की थी कि हवाला के जरिए आतंकवादियों को पैसा दिया जाता है जिससे वह गोला बारुद और हथियार खरीदते हैं लिहाजा इस सप्लाई लाइन को काटने की जरूरत है। तब सभी देशों ने अपने अपने यहां हवाला के खिलाफ कानून बनाने का जिम्मा लिया था। 
भारत में इसके बाद 2002 में कानून बनाया गया। इसके एक साल पहले ही संसद पर आतंकवादी हमला हुआ था। तब से लेकर अब तक ई.डी. के अधिकारों से जुड़े कानून में 7 बार संशोधन हो चुका है। इसमें से चार संशोधन मनमोहन सिंह के समय हुए और 3 मोदी के समय। 

बीजेपी का कहना है कि 5 हजार मामलों में से ई.डी. ने सिर्फ 313 मामलों में गिरफ्तारियां की हैं जो बहुत कम है। ई.डी. ने इसी तरह 380 मामलों में ही संपत्ति जब्त की है। इसलिए ई.डी. के लिए यह नहीं कहा जा सकता कि वह मारक है। लेकिन ई.डी. के अधिकारियों के पास सम्मन जारी करने, पूछताछ करने, सबूत तलाशने, सबूतों के आधार पर राय बनाने का एकतरफा अधिकार है। आरोपी को साबित करना है कि उसने अपराध नहीं किया है। 

यहां तक कि अगर ई.डी. कहे कि आरोपी ने इतने रुपए हवाला के जरिए इधर-उधर किए तो आरोपी को अपना बचाव करने का भी हक नहीं है। मजे की बात है कि आरोपी को यह तक नहीं बताया जाता कि उसके खिलाफ किस तरह के अपराध के मामले बनते हैं। 

यानी ई.डी. अपनी एफ.आई.आर. भी दिखाने के लिए बाध्य नहीं है। हिरासत में लेने पर भी आरोपी को उसका अपराध नहीं बताया जाता। हालांकि सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर किसी को लगता है कि उसके खिलाफ गलत इरादे से मुकद्दमा दर्ज किया गया है, उसे जानबूझ कर फंसाया जा रहा है, उसके खिलाफ सियासी साजिश रची जा रही है तो वह अदालत की शरण में जा सकता है। 

आगे कहानी यह है कि सुब्रहमण्यम स्वामी की बात मानी जाए तो ई.डी. जांच में इतना ज्यादा आगे बढ़ गई है कि अब सोनिया गांधी और राहुल गांधी  को जेल जाना ही होगा। लेकिन क्या भाजपा यह जोखिम लेगी।- विजय विद्रोही

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!