Edited By Mahima,Updated: 10 Sep, 2024 11:00 AM
आज GST Council की 54वीं बैठक हो रही है, जिसमें कई अहम फैसलों पर चर्चा हो सकती है। इस बैठक में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है, जो डेबिट और क्रेडिट कार्ड से 2,000 रुपये तक के छोटे ऑनलाइन ट्रांजैक्शंस पर 18% जीएसटी लगाने का है।
नई दिल्ली: आज GST Council की 54वीं बैठक हो रही है, जिसमें कई अहम फैसलों पर चर्चा हो सकती है। इस बैठक में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है, जो डेबिट और क्रेडिट कार्ड से 2,000 रुपये तक के छोटे ऑनलाइन ट्रांजैक्शंस पर 18% जीएसटी लगाने का है। यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो ऐसे छोटे लेन-देन पर अतिरिक्त कर लगने से उपभोक्ताओं को महंगाई का सामना करना पड़ सकता है।
GST फिटमेंट पैनल का सुझाव
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, GST फिटमेंट पैनल ने सुझाव दिया है कि पेमेंट एग्रीगेटर्स जैसे बिलडेस्क और सीसीएवेन्यू पर 18% जीएसटी लगाया जाए। फिटमेंट पैनल का तर्क है कि पेमेंट एग्रीगेटर्स मध्यस्थ के रूप में काम करते हैं और इसलिए उन्हें बैंकों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता। इस प्रस्ताव के तहत, 2,000 रुपये से कम के लेन-देन पर जीएसटी लागू हो सकता है, जो फिलहाल छूट प्राप्त हैं।
छोटे व्यापारियों पर प्रभाव
भारत में अधिकांश डिजिटल पेमेंट्स छोटे लेन-देन के रूप में होते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 80% से अधिक ट्रांजैक्शंस 2,000 रुपये से कम के होते हैं। यदि इस पर 18% जीएसटी लागू होता है, तो यह छोटे व्यापारियों को काफी प्रभावित कर सकता है। छोटे व्यापारियों के लिए, इस अतिरिक्त टैक्स का बोझ अधिक हो सकता है, क्योंकि वे अक्सर छोटे मूल्य के लेन-देन पर निर्भर होते हैं।
UPI पेमेंट्स पर असर
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) भारत में छोटे लेन-देन के लिए सबसे लोकप्रिय माध्यम है। UPI ट्रांजैक्शंस में हाल ही में भारी वृद्धि देखी गई है। यदि जीएसटी लागू किया जाता है, तो इसका असर केवल डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और नेट बैंकिंग पेमेंट्स पर होगा। UPI पेमेंट्स पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जिससे छोटे लेन-देन पर UPI का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। GST Council की बैठक में इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। अगर यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो डिजिटल पेमेंट्स की लागत बढ़ सकती है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो छोटे ऑनलाइन लेन-देन करते हैं। ऐसे में व्यापारियों और उपभोक्ताओं को भविष्य में बदलाव के लिए तैयार रहना होगा।