Edited By Yaspal,Updated: 23 Nov, 2019 06:31 PM
राज्यसभा ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पहले सप्ताह में कामकाज के लिये निर्धारित समय के 90 फीसदी से अधिक समय को कार्यनिष्पादन में इस्तेमाल करते हुये इसे उच्च सदन के 250वें सत्र के लिये विशेष उपलब्धि बताया...
नई दिल्लीः राज्यसभा ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पहले सप्ताह में कामकाज के लिये निर्धारित समय के 90 फीसदी से अधिक समय को कार्यनिष्पादन में इस्तेमाल करते हुये इसे उच्च सदन के 250वें सत्र के लिये विशेष उपलब्धि बताया है।
राज्यसभा सचिवालय के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि उच्च सदन ने शीत कालीन सत्र में कार्यनिष्पादन हेतु पहले सप्ताह के लिये निर्धारित 28 घंटों में से 25 घंटे तक सदन की बैठक चली। इसे महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुये अधिकारी ने बताया कि इस सप्ताह सोमवार को शुरु हुये सत्र के पहले पांच दिनों में दो घंटा 43 मिनट तक सदन की कार्यवाही स्थगित रहने के कारण नहीं हो सकी।
राज्यसभा में पहले सप्ताह के कामकाज संबंधी ब्योरे के अनुसार सभापति एम वेंकैया नायडू की अनुमति से उच्च सदन में अति महत्वपूर्ण विषय में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत वायु प्रदूषण के मुद्दे पर तीन घंटे तक चर्चा हुयी। पिछले 13 साल में हुये 43 सत्रों के दौरान ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर किसी विषय पर यह अब तक की सबसे लंबी चर्चा थी। इसके पहले 1984 के सिख दंगा मामलों के पीड़ितों के लिये शुरु किये गये राहत कार्यों की समीक्षा के मुद्दे पर 2006 में राज्यसभा के 207वें सत्र के दौरान ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चार घंटे से अधिक समय तक चर्चा हुयी थी।
इस सप्ताह सदन में जिन प्रमुख विधेयकों पर चर्चा हुयी उनमें ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों के संरक्षण संबंधी विधेयक भी शामिल है। इस पर चर्चा अगले सप्ताह भी जारी रहेगी। इसके अलावा ‘किराये की कोख' (सरोगेसी) से जुड़े मामलों में नियामक कानून के विधेयक को विस्तृत चर्चा के बाद 23 सदस्यीय प्रवर समिति के समक्ष भेजा गया।
उल्लेखनीय है कि सभापति नायडू सदन में सदस्यों से लगातार राज्यसभा के 250 वें सत्र में सदन की कार्यवाही को सुचारू बनाने की लगातार अपील कर रहे हैं जिससे इस सत्र को भविष्य के लिये बेहतर कामकाज की नजीर बनाया जा सके।