Video: सबरीमाला मंदिर में घुसने की ​कोशिश कर रही महिला पर हमला, आंखों में डाली मिर्च

Edited By vasudha,Updated: 26 Nov, 2019 11:51 AM

woman seeking entry intosabarimala temple sprayed with chilli powder

सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा मंदिर के दर्शन करने जा रही एक महिला कार्यकर्ता पर हिंदू संगठन के एक सदस्य ने मंगलवार को कथित रूप से हमला कर दिया। उच्चतम न्यायालय के पिछले साल सभी आयुवर्ग...

कोच्चि: सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा मंदिर के दर्शन करने जा रही एक महिला कार्यकर्ता पर हिंदू संगठन के एक सदस्य ने मंगलवार को कथित रूप से हमला कर दिया। उच्चतम न्यायालय के पिछले साल सभी आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर के दर्शन की अनुमति देने के बाद अयप्पा मंदिर के दर्शन कर इतिहास रचने वाली बिंदू अम्मिनी महिला अधिकार कार्यकर्ता तृप्ति देसाई की अगुवाई में मंदिर के दर्शन के लिए जा रहे महिला कार्यकर्ताओं के समूह में शामिल थी। 

 

बिंदू अम्मिनी पर पुलिस आयुक्तालय के बाहर हिंदू संगठन के एक सदस्य ने मिर्ची स्प्रे से हमला किया। पुलिस ने बताया कि पुरुष की पहचान श्रीनाथ पद्मनाभन के तौर पर हुई है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। टीवी चैनलों पर दिख रही वीडियो में उन पर हमला होता दिख रहा है। सूत्रों ने बताया कि उन्हें अस्पताल ले जाया गया है। देसाई और कार्यकर्ताओं का विरोध करने के लिए अयप्पा श्रद्धालु बढ़ी संख्या में आयुक्तालय के बाहर एकत्रित हुए। 

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तृप्ति देसाई सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा मंदिर में पूजा करने के लिए मंगलवार सुबह कुछ अन्य कार्यकर्ताओं के साथ यहां पहुंची थी। देसाई और अन्य कार्यकर्ताओं को कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचते ही कोच्चि शहर के पुलिस आयुक्तालय में ले जाया गया था। उन्होंने कहा कि संविधान दिवस के अवसर पर 26 नवम्बर को वे लोग मंदिर में पूजा करना चाहेंगी। देसाई ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के 2018 में सभी आयुवर्ग की महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने के आदेश के साथ वह यहां पहुंची हैं। महिला कार्यकर्ता ने कहा, ‘‘ मैं मंदिर में पूजा करने के बाद ही केरल से जाऊंगी।

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पुणे की रहने वाली देसाई ने पिछले साल नवम्बर में भी मंदिर में दर्शन करने का एक असफल प्रयास किया था। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के 28 सितम्बर 2018 के सभी आयु वर्ग के महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने के फैसले को लागू करने के निर्णय के बाद हिंसक प्रदर्शन हुए थे, इस वर्ष श्रद्धालुओं ने प्रसन्नता जतायी कि कोई पाबंदी नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने अपने पूर्व के आदेश पर कोई रोक नहीं लगाई है लेकिन पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गत 14 नवम्बर को 3:2 से दिये गए एक फैसले में धार्मिक मुद्दों को फैसले के लिए एक बड़ी पीठ को सौंपने का निर्णय किया था। इनमें 2018 के न्यायालय के फैसले से उत्पन्न होने वाले मुद्दे भी शामिल थे। 
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