जम्मू में बोले राजनाथ सिंह-चीन पर पंडित नेहरू की आलोचना नहीं करूंगा, नीति खराब हो सकती है नीयत नहीं

Edited By Seema Sharma,Updated: 24 Jul, 2022 04:28 PM

won t criticize pandit nehru on china rajnath singh

कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना के जवानों के बीच मौजूद रहे।

नेशनल डेस्क: कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना के जवानों के बीच मौजूद रहे। करगिल विजय दिवस की वर्षगांठ मनाने जम्मू पहुंचे राजनाथ सिंह ने जम्मू में शहीदों परिवारों को सम्मानित किया। इस दौरान रक्षामंत्री ने गुलशन ग्राउंड में हुए एक कार्यक्रम में भारत द्वारा अब तक लड़े गए युद्धों और सैनिकों की वीरगाथा का विस्तार से जिक्र किया। हमारी सेना ने हमेशा देश के लिए यह सर्वोच्च बलिदान दिया है।

 

1999 के युद्ध में हमारे कई वीर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी, मैं उन्हें नमन करता हूं। राजनाथ सिंह ने 1962 में चीन से लड़े गए युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे। रक्षामंत्री ने कहा कि बहुत सारे लोग जवाहर लाल नेहरू की आलोचना करते हैं। मैं एक विशेष राजनीतिक दल से आता हूं। लेकिन मैं पंडित नेहरू या किसी भारतीय प्रधानमंत्री की आलोचना नहीं कर सकता। मैं किसी भारतीय प्रधानमंत्री की नीयत को गलत नहीं ठहरा सकता। उनकी नीति भले गलत रही हो, लेकिन नीयत नहीं।


PoK पर बोले राजनाथ सिंह

रक्षामंत्री ने अपने भाषण के दौरान कहा, "पीओके पर पाकिस्तान का अनधिकृत क़ब्ज़ा है। भारत की संसद में इसे मुक्त कराने का एक सर्वसम्मत प्रस्ताव भी पारित है। शिव के स्वरूप बाबा अमरनाथ हमारे पास हैं, पर शक्ति स्वरूपा शारदा जी का धाम अभी LoC के उस पार ही है।" उन्होंने कहा कि 1965 और 1971 की लड़ाई में बुरी तरह परास्त होने के बाद पाकिस्तान ने सीधे युद्ध का रास्ता छोड़ कर छद्म युद्ध का रास्ता पकड़ा। लगभग दो दशकों से भी अधिक समय तक पाकिस्तान ने भारत को ‘प्राक्सी वार’ में उलझाए रखा और वे सोचते थे कि भारत को हजार घाव दे देंगे।"

 

ब्रिगेडियर उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा को याद किया

इस मौके पर ब्रिगेडियर उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा को याद करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, "ब्रिगेडियर उस्मान को आज आजादी अमृत महोत्सव में बार-बार याद करने की जरूरत है। 1948 के युद्ध में इसी तरह मेजर सोमनाथ शर्मा का बलिदान भी स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। मेजर सोमनाथ शर्मा ने बहादुरी और बलिदान से जम्मू और कश्मीर को दुश्मनों के हाथों में जाने से बचाया। 1948 में पहली बार भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नापाक इरादों को नाकाम किया और आज जो जम्मू और कश्मीर का जो स्वरूप हम देख रहे है उसे बनाने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है।
 

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