वर्ल्ड एड्स-डे : खाने के नाम पर एड्स ग्रस्तों को बनाया बेवकूफ, 4 बजे खाली पेट लौटे 80 पीड़ित

Edited By ,Updated: 02 Dec, 2016 10:18 AM

world aids day

वीरवार को विश्व एड्स दिवस पर ट्राईसिटी में जागरूकता के कई कार्यक्रम आयोजित हुए बड़े-बड़े अधिकारी आए भाषण दिए और चले गए कार्यक्रमों में दिल खोल कर खर्च किया गया लेकिन कार्यक्रम में अधिकारियों को सुनने के लिए बुलाए गए एक.आई.वी. ग्रस्त 80 से अधिक लोगो...

चंडीगढ़(नेहा) : वीरवार को विश्व एड्स दिवस पर ट्राईसिटी में जागरूकता के कई कार्यक्रम आयोजित हुए बड़े-बड़े अधिकारी आए भाषण दिए और चले गए कार्यक्रमों में दिल खोल कर खर्च किया गया लेकिन कार्यक्रम में अधिकारियों को सुनने के लिए बुलाए गए एक.आई.वी. ग्रस्त 80 से अधिक लोगो को खाना तक नसीब नहीं हुआ जिन्हें विशेष रूप से खाने के लिए आमंत्रित किया गया था। सुबह साढ़े 11 बजे घर से खाली पेट निकले यह लोग शाम 4 बजे तक खाने का इंतजार करते रहे जिन्हें मायूस होकर खाली पेट वापस लौटना पड़ा यह लोग शाम को सैक्टर-17 में हुए कार्यक्रम में भी नहीं गए। आयोजक और अधिकारी इस मामले को लेकर पाला झाड़ते नजर आए।

 

टाइम लाइन 
सुबह साढ़े 11 बजे 

सैक्टर-15 स्थित लीविंग विद एच.आई.वी. पीपल्स के कार्यालय  के बाहर मौजूद खाली जगह में फर्श पर कम्बल और चटाइयां बिछाई जा रही थीं, पूछने पर पता चला कि ये सब आज वहां आने वाले सभी लीविंग विद एच.आई.वी. के बैठने के लिए किया जा रहा है। 

 

इस दौरान जब सैंटर की प्रैजीडैंट पूजा ठाकुर से दिन के प्लान के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया की इस बार सैक्टर में कोई आयोजन नहीं कराया गया । उन्होंने सैक्टर से जुड़े सभी एच.आई.वी. ग्रस्त लोगों को इकट्ठा किया है, जिन्हें सैक्टर-17 में लंच के लिया जाना है जिसका इंतज़ाम एच ,एल.एफ.टी. टी. द्वारा किया गया है। धीरे-धीरे लोगों ने आना शुरू किया और अपनी-अपनी जगह पर बैठ गए। 

 

दोपहर 1:30 बजे :
पिछले आधे घंटे से लगातार लोगों का आना जारी रहा और 2:30 बजने के साथ हॉल पूरा भर चुका था। करीब 90 लोग चंडीगढ़ नैटवर्क ऑफ पीपल लिविंग विद एच.आई.वी. के दफ्तर के बाहर इकट्ठे हो गए थे। इसके बाद वहां इन लोगों ने खुद ही अपने मनोरंजन का इंतजाम किया और अलग-अलग तरह के गेम खेलने लगे। सभी का उत्साह चरम पर था लोग खेल रहे थे। इसी दौरान अंताक्षरी से भी माहौल को खुसनुमा कर दिया गया। 

 

इसके बाद धीरे-धीरे पिछले कई सालों से यहां आने वाली एक महिला ने बताया की कैसे 2013 -2014 में सैंटर ने विश्व एड्स दिवस को पूरे जोश की तरह मनाया। खाने से लेकर नाचने गाने तक का इंतजाम बखूबी ढंग से किया गया था। 

 

दोपहर 2:30 बजे :
अब खाली  पेट भजन होय न गोपाल वाली कहावत ने यहां अपना असर दिखाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे सब का उत्साह ठंडा हो गया। अब सब आराम से बैठे थे और इंतजार में थे कि सैक्टर-17 जाकर भोजन किया जाए जहां इनके लिए विशेष इंतजाम थे।  

 

दोपहर 3 बजे :
सैंटर के कर्मियों में अचानक से चहलकदमी बढ़ जाती है। तभी सैंटर की प्रैजीडैंट पूजा ठाकुर को पता चलता है की अभी तक कहीं से भी खाने का कोई इंतजाम नहीं हुआ है। वहीं उनके ऑफिस के बाहर उन्हीं के बुलाने पर करीब 80 लोग आकर  बैठे हैं। 

 

दोपहर 3:15 बजे :
मैन स्ट्रीमिंग अफसर स्टेट एड्स कंट्रोल,डॉ. जतिंदर दहिया वहां पहुंचे। जिसके बाद उन्होंने कैंटीन से खाना मंगवा लेने का सुझाव दिया लेकिन महज 35 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से वो भी 80 लोगों का खाना मिलना मुमकिन नहीं दिख रहा था। 

 

दोपहर 3:20 बजे :
इन 10 मिनट के दौरान सभी अधिकारियों के फोन का आना और बात होने सिलसिला जारी रहा। तभी सैंटर का ही एक कर्मी एड्स से जुड़ी संस्था के अधिकारी  नीरज के कहने पर खाने का इंतजाम करने की मंशा से यूनिवर्सिटी जाता है। 

 

दोपहर 3:45 :
यूनिवर्सिटी जाने वाले कर्मी ने बताया की वहां से कुछ भी लाना मुमकिन नहीं है। क्यों की उनके पास पर्याप्त कैश नहीं है और यूनिवर्सिटी किसी भी तरह के इ पेमैंट के लिए तैयार नहीं। 

 

शाम-4:00 बजे :
2 बजे के वक्त पर खाने के निमंत्रण पर आये सभी लिविंग विद एच.आई.वी. वहां से बिना खाना खाये आयोजकों को कोसते हुए वापस लौट गए। 

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