अनुच्छेद 370ः भारत के फैसले पर World रिएक्शन आया सामने, जानें क्या हैं हालात

Edited By Tanuja,Updated: 07 Aug, 2019 04:10 PM

world reaction on article 370

जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा...यह बात अकाट्य सत्य साबित हो गई जब 5 अगस्त सोमवार को भारत ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के प्रस्ताव को संसद में रखकर ...

 इंटरनेशनल डेस्कः  जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा...यह बात अकाट्य सत्य साबित हो गई जब 5 अगस्त सोमवार को भारत ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के प्रस्ताव को संसद में रखकर इतिहास रच दिया। भारत ने साफ कर दिया कि कश्मीर हमारे लिए 'मुद्दा' नहीं है, कश्मीर पर लिया गया हर फैसला भारत का आंतरिक निर्णय है, जिसमें किसी भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं है। केवल कुछ ही देश ऐसे हैं जिन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने पर भारत के विरुद्ध कुछ कहा हो।लेकिन कुछ की चिंताएं इस बात की हैं कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति में सक्रिय कुछ नेताओं की गिरफ्तारी क्यों हुई है।

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 हर गतिविधि पर अमेरिका की नजर
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस ने कहा कि हम बहुत बारीकी से जम्मू-कश्मीर में होने वाली हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं। हमने भारत के उस घोषणा पर संज्ञान लिया है, जिसके जरिए उन्होंने अपने संविधान में जम्मू-कश्मीर की यथास्थिति में बदलाव किया है। मोर्गन ओर्टागस ने यह भी कहा कि हमें चिंता है कि वहां (कश्मीर) में कुछ लोगों की गिरफ्तारियां हुई हैं।हमें व्यक्तिगत अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। उन लोगों को खासतौर पर जिनके अधिकारों पर संकट है। हम सभी पक्षों से अपील करते हैं कि लाइन ऑफ कंट्रोल पर शांति बरती जाए। अमेरिकी विदेश मंत्रालय का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब अमेरिका भारत और कश्मीर के बीच चल रहे मुद्दे को सुलझाने में अपनी दिलचस्पी दिखाई । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप यह कह चुके हैं कि अगर भारत चाहेगा तो अमेरिका भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में मदद करेगा।

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संयुक्त राष्ट्र ने साधी चुप्पी
संयुक्त राष्ट्र ने इस फैसले पर कोई टिप्पणी न करते हुए भारत- पाकिस्तान से अपील की है कि दोनों राष्ट्र सीमा पर संयम बरतें। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा दुनिया की नजर कश्मीर में होने वाली हर गतिविधि पर है। हम उस क्षेत्र में बढ़ रहे तनाव पर नजर रख रहे हैं। हम भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने की अपील कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता ने उन दावों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जें को हटाकर भारत ने सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख गंभीरता से क्षेत्र में घटनाक्रमों पर नजर रख रहे हैं।
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श्रीलंका ने दिया समर्थन
जम्मू-कश्मीर से लद्दाख क्षेत्र के अलग होने पर जिस देश की सबसे सार्थक प्रतिक्रिया आई, वह है श्रीलंका। श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसंघे ने ट्वीट कर कहा कि जम्मू-कश्मीर से लद्दाख के अलग होने का रास्ता साफ हो गया है। लद्दाख की 70 फीसदी आबादी बौद्ध धर्म से ताल्लुक रखती है ऐसे में लद्दाख पहला भारतीय राज्य होगा, जहां बौद्ध बहुमत है। लद्दाख का पुनर्गठन भारत का आंतरिक मामला है । यह एक सुंदर क्षेत्र है, जो यात्रा के लायक है।

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OIC ने जताया विरोध
जम्मू कश्मीर पर इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) संपर्क समूह ने अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के भारत के निर्णय की निंदा की है। इस्लामिक संगठनों की आलोचना अप्रत्याशित नहीं है। पाकिस्तान एक इस्लामिक देश है, ऐसे में उनकी प्रतिक्रिया कहीं से प्रत्याशित नहीं लगी। लेकिन यह भारत की कूटनीति ही है जिसकी वजह से इस्लामिक संगठनों के सबसे दमदार देश यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) ने कश्मीर पर भारत सरकार के पहल का स्वागत किया है।

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UAE ने किया फैसले का स्वागत
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने भारत का आंतरिक मामला बताया।उन्होंने कहा कि यूएई ने भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 के दो प्रावधानों को हटाया है, जिस पर यूएई ने संज्ञान लिया है। भारत में यूएई के राजदूत डॉ. अहमद अल बन्ना ने कहा कि अनुच्छेद 370 के अलावा हमने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर भी संज्ञान लिया है, जिससे लद्दाख और जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेश बन जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों का पुनर्गठन स्वतंत्र भारत के इतिहास में कोई अजीब घटना नहीं है। इसका मकसद क्षेत्रीय असमानता को कम करना और दक्षता में सुधार लाना है। उनका मानना है कि जम्मू-कश्मीर को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने जो फैसला लिया है, वह उसका आंतरिक मसला है, जो भारतीय संविधान द्वारा निर्धारित है।
 

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चीन को सता रही चिंता
दूसरे देशों की सीमा में दखल देने वाले चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनइंग ने कश्मीर की स्थिति पर ‘चिंता’ जताई है। हुआ चुनइंग ने कहा कि चीन कश्मीर की मौजूदा स्थिति को लेकर चिंतित है। कश्मीर मुद्दे को लेकर चीन की स्थिति साफ और सतत है। ये मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच इतिहास की विरासत है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नजर है। हुआ चुनइंग ने कहा कि संबंधित पक्षों को संयम बरतना चाहिए। सावधानी से काम करना चाहिए, खास तौर पर ऐसी कार्रवाइयों से बचना चाहिए जो यथास्थिति में एकतरफा बदलाव करें और तनाव को बढ़ाएं। चीन ने लद्दाख को भारत का केंद्र शासित क्षेत्र बताने पर भी आपत्ति जताते हुए कहा है कि दोनों देशों के बीच विवादित क्षेत्र हैं जो कि चीन की क्षेत्रीय अखंडता और सम्प्रभुता को प्रभावित करते हैं. इस पर नई दिल्ली ने अपनी प्रतिक्रिया में साफ किया कि भारत ‘सीमा का मुद्दा’ आपस में शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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