#worldHumanRightsDay: भारत में आज भी बड़ी आबादी अनजान है अपने अधिकारों से

Edited By Anil dev,Updated: 10 Dec, 2019 03:35 PM

worldhumanrightsday population india

दुनिया (World) में जन्म लेने वाले हर एक जीव को कुछ अधिकार खुद मिल जाते हैं वहीं कुछ अधिकार ऐसे होते हैं जिसे व्यक्ति का देश उसे देता है। दुनिया भर में आजादी, बराबरी और सम्मान के साथ रहना जन्मसिद्ध अधिकार है

नई दिल्ली: दुनिया (World) में जन्म लेने वाले हर एक जीव को कुछ अधिकार खुद मिल जाते हैं वहीं कुछ अधिकार ऐसे होते हैं जिसे व्यक्ति का देश उसे देता है। दुनिया भर में आजादी, बराबरी और सम्मान के साथ रहना जन्मसिद्ध अधिकार है, और ऐसे अधिकारों के बारे में बताने और जागरुक करने के उद्देश्य से ही हर साल 10 दिसंबर को पूरी दुनिया में विश्व मानवाधिकार दिवस (Human Rights Day) मनाया जाता है। 

 

UNG एसेंबली में विश्व मानवाधिकार दिवस की हुई शुरूआत
विश्व मानवाधिकार दिवस की शुरूआत 1950 में यूनाइटेड नेशन जनरल एसेंबली में ऐलान के साथ की गई थी। साल 1948 में 10 दिसंबर को ही यूएन ने मानवाधिकारों पर एक डिक्लियरेशन जारी किया था। जो कि समानता, स्वतंत्रता और शिक्षा जैसे उन मौलिक अधिकारों से है जिनके हकदार दुनिया के सभी इंसान हैं। विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र में जिन बातों का मुख्य रूप से जिक्र किया गया है उसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, घर, रोजगार, भोजन और मनोरंजन से संबंधित इंसान की बुनियादी जरूरतें हैं। अगर कोई इंसान इन अधिकारों से वंचित है तो माना जाता है कि उनके मानव अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। 

 

1993 से मानव अधिकार कानून अमल में आया
भारत की बात करे तो यहां 28 सितंबर 1993 से मानव अधिकार कानून अमल में आया। भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया। इस आयोग के कार्यक्षेत्र में बाल विवाह, स्वास्थ्य, भोजन, बाल मजदूरी, महिला अधिकार हिरासत और मुठभेड़ में होने वाली मौत, अल्पसंख्यकों और अनुयूचित जाति और जनजाति आदि के अधिकार आते हैं। 

 

देश में 86 फिसदी लोग अपने अधिकार नहीं जानते
भारत के लिए दूख की बात ये है कि यहां के आंकड़े जो हालात बताते हैं वे चौंकाने वाला है। एक संस्था द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में 86 फिसदी लोग अपने अधिकार नहीं जानते हैं। देश में सबसे ज्यादा बुजुर्गों के मानवाधिकार का उल्लघन होता है। जिनमें ज्यादाकर ऐसे जगह से हैं जिन्हें सिस्टम से संपर्क करने संबंधित कोई जानकारी नहीं है।

 

शहरी लोगों को मानवाधिकार की कम है जानकारी
मानवाधिकार की जानकारी होने वाले लोगों में शहर के लोगों की दशा ज्यादा खराब है जबकि माना जाता है कि शहरों में अधिक शिक्षित लोग होते है। आंकड़े बताते हैं कि शहरों में 23 फीसदी लोग अमानवीय परिस्थिति में रहने को मजबूर हैं, 13 फीसदी लोगों को सही से भोजन नहीं  मिलता वहीं 68.8 फीसदी लोगों को जरूरी दवाएं और स्वास्थ्य सेवाएं भई उपलब्ध नहीं है। 

 

बच्चों की स्थिति ज्यादा खराब
बच्चों पर किए गए अध्ययन में 172 देशों को शामिल किया गया जिसमें भारत का नंबर 116वां रहा। भारत में 3.1 करोड़ बच्चे और अव्यस्क बाल मजदूरी में लगे हुए हैं। जिनकी उम्र 4 से 18 साल के बीच है। वहीं 4.8 करोड़ बच्चों को जरूरत के हसाब से खाना नहीं मिल पा रहा है। 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!