सेंसरशिप करने का काम अब भीड़ के जिम्मे: अरुंधति रॉय

Edited By Yaspal,Updated: 08 Oct, 2018 01:43 AM

writer arundhati roy told the hazard to the country s threat

बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुधंति रॉय ने भारत में भीड़तंत्र के बढ़ते दबदबे को लेकर भय प्रकट किया है और कहा कि यह देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता...

लंदनः बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुधंति रॉय ने भारत में भीड़तंत्र के बढ़ते दबदबे को लेकर भय प्रकट किया है और कहा कि यह देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए यह एक बहुत बड़ा खतरा है। वर्ष 1997 में अपने पहले उपन्यास ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ को लेकर विश्व के इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को जीतने वाली रॉय को उनके लेखन को लेकर कानूनी रुप से अदालत में घसीटा गया था।

रॉय शनिवार को नूर इनायत खान स्मारक के मौके पर संबोधन में कहा, ‘‘लगाम कसने का काम अब भीड़ के जिम्मे है। हमारे यहां कई समूह हैं जो अपने ढंग से अपनी पहचान पेश करते हैं, अपना प्रवक्ता नियुक्त करते हैं, अपना इतिहास झुठलाते हैं और फिर सिनेमाघरों को जलाना, लोगों पर हमला करना, किताबें जलाना और लोगों की हत्या करना शुरु कर देते हैं।’’

दिल्ली की इन लेखिका ने कहा कि साहित्य और कला के अन्य रुपों पर भीड़ की ङ्क्षहसा और हमले उन अदालती मामलों के चक्र से ज्यादा भयावह हैं जिससे वह गुजरी हैं। नूर इनायत खान द्वितीय विश्व युद्ध में एक अहम किरदार थीं। 

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