Edited By Anu Malhotra,Updated: 26 May, 2022 10:18 AM
जम्मू-कश्मीर के सबसे अग्रणी अलगाववादी नेताओं में से एक यासीन मलिक को आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई। आपकों बता दें कि यासीन बेहद साधारण परिवार से है लेकिन उसकी शादी पाकिस्तान के बहुत संपन्न परिवार से आती हैं।
नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर के सबसे अग्रणी अलगाववादी नेताओं में से एक यासीन मलिक को आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई। आपकों बता दें कि यासीन बेहद साधारण परिवार से है लेकिन उसकी शादी पाकिस्तान के बहुत संपन्न परिवार से आती हैं। साल 2005 में जब अलगाववादी नेता यासीन मलिक पाकिस्तान गया था तभी उसकी मुलाकात उसकी पत्नी मुसाल से हुई थी लेकिन यह मुलाकात ऐसी थी कि यासीन ने पहली नज़र में ही मुसाल को अपनी पत्नी मान लिया था।
दरअसल, यासीन साल 2005 में वह पाकिस्तान में कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए समर्थन मांगने गया था इसी दौरान एक फंक्शन में उसकी मुलाकात मुशाल हुसैन मलिक से हुई, मुशाल वहां अपनी मां के साथ गई थीं। एक इंटरव्यू के दौरान मुशाल ने उस समय को याद करते हुए कहा था कि मैं उसके पास गई और कहा कि मुझे तुम्हारी स्पीच पसंद आई, फिर हमलोगों ने हाथ मिलाया।
इसके बाद पाकिस्तान से लौटने के एक दिन पहले यासीन ने मुशाल की मां को फोन किया। मुशाल ने बताया कि मेरी मां ने उससे कहा कि हमारी दुआएं तुम्हारे साथ है, इसके जवाब में यासीन ने मुझे फोन देने को कहा पहले तो कुछ हंसी मजाक हुई और फिर इसके बाद यासीन ने 'I love you' कह दिया जिसके जवाब में मैने यायीन से पूछा कि क्या उसे पाकिस्तान पसंद है? तो उसने कहा 'हां, खासतौर से तुम।
वहीं मुशाल के साथ पहली मुलाकात के बारे में यासीन ने कहा था कि मेरा प्यार पहली नजर वाला था. यासीन ने कहा- मैंने तभी फैसला कर लिया था कि अगर मैं कभी शादी करूंगा तो इसी के साथ करूंगा।
मुशाल के मुताबिक, जब उनकी मां को दोनों के बारे में पता चला तो उन्होंने कहा कि वह यासीन के स्ट्रगल का रिस्पेक्ट करती हैं, लेकिन उन्हें डर था कि यासीन को फिर से जेल हो सकती है। बाद में, हज के दौरान यासीन की मां की मुलाकात मुशाल की मां से हुई और दोनों की शादी की बात पक्की हो गई। 22 फरवरी 2009 को पाकिस्तान में दोनों की शादी हुई थी, शादी के बाद मुशाल कश्मीर भी आई थीं लेकिन फिलहाल वह अपनी बेटी के साथ पाकिस्तान में रह रही है।
बता दें कि यासीन मलिक पर UAPA के सेक्शन 16 (टेररिस्ट एक्ट), 17 (आतंकी गतिविधियों के लिए पैसे जुटाना), 18 (आतंकी वारदात को अंजाम देने की साजिश रचने) और 20 (आतंकवादी संगठन का सदस्य होने) और IPC के सेक्शन 120-B (क्रिमिनल साजिश रचने) और 124-A (देशद्रोह) के तहत मामला दर्ज हुआ था। जिसके बाद कल 25 मई को दिल्ली की एक अदालत ने यासीन को यह कहते हुए सजा सुनाई कि इन अपराधों का मकसद ‘भारत के विचार की आत्मा पर हमला करना' और भारत संघ से जम्मू-कश्मीर को जबरदस्ती अलग करने का था। अदालत ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) नेता यासीन मलिक को दो अपराधों-IPC की धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और यूएपीए की धारा 17 (आतंकवादी गतिविधियों के लिए राशि जुटाना)- के लिए दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई गई। उच्चतम न्यायालय के अनुसार, आजीवन कारावास का मतलब मृत्यु तक कैद है, जब तक कि अधिकारियों द्वारा सजा को कम नहीं किया जाता है।