'मम्मा, पापा मेरे भाई जवानों के बलिदान को मत भूलना', इस परमवीर का आखिरी खत पढ़ रो पड़ेंगे आप

Edited By vasudha,Updated: 26 Jul, 2020 02:41 PM

you will cry after reading the last letter of this soldier

आज का दिन हर देशवासी और देश के लिए गर्व का दिन है। आज से ठीक 21 साल पहले कुछ वीर सपूतों ने अपनी जान की कीमत देकर देश को सुरक्षित रखा। इस दिन भारत ने पकिस्तान द्वारा छेड़े छद्म युद्ध का अंत हुआ था, जिसमें भारत को जीत मिली थी। कारगिल के महानायको में...

नेशनल डेस्क: आज का दिन हर देशवासी और देश के लिए गर्व का दिन है। आज से ठीक 21 साल पहले कुछ वीर सपूतों ने अपनी जान की कीमत देकर देश को सुरक्षित रखा। इस दिन भारत ने पकिस्तान द्वारा छेड़े छद्म युद्ध का अंत हुआ था, जिसमें भारत को जीत मिली थी। कारगिल के महानायको में से एक कैप्टन विजयंत थापर की गौरव गाथा आज भी हर किसी की जुबान पर है। शहादत से पहले उन्होंने जो खत अपने माता पिता के लिए लिखा उसे पढ़ सबकी आंखें झलक आती हैं। 
 

22 वर्षीय राइफल्स के कैप्टन विजयंत थापर को आदेश हो चुके थे कि वे अब कुपवाड़ा के बाद कारगिल के द्रास सेक्टर में तोलोलिंग पहाड़ियों का मोर्चा संभालेंगे। बस, यही सोचकर उन्होंने पत्र लिखा और अपने साथी लेफ्टिनेंट तोमर को यह कहकर दिया कि ‘युद्ध के मैदान से यदि मैं जिंदा लौट आया तो खुद इसे फाड़ दूंगा, वरना यह पत्र मेरे मां-बाप को सौंप देना।’

 

शहादत देन से से कुछ घंटे पहले मां-बाप, दादी व भाई के नाम लिखे पत्र में कहा गया कि जब आप यह खत पढ़ रहे होंगे, तो मैं आसमान से आपको निहार रहा होऊंगा, यहां अप्सराएं मेरा ख्याल रख रही होंगी। मुझे कोई गम नहीं कि मैं दुनिया से चला गया मगर हां यदि मैं दोबारा इंसान बनकर धरती पर आया तो दोबारा आर्मी ज्वॉइन करूंगा और देश के लिए लड़ूंगा।

 

पत्र में लिखा कि अगर आज आप लोग यहां कारगिल में होते तो देखते मुझ जैसे कितने सपूत देशवासियों के उज्ज्वल कल के लिए कैसे आज जान न्यौछावर कर रहे हैं। मेरे छोटे भाई जवानों के बलिदान को मत भूलना, मम्मा, पापा आपको भी अपने बेटे पर गर्व होगा। दादी आपका भी दिल दुखाया हो तो माफ कर देना।अब वक्‍त आ गया है कि मैं भी अपने शहीद साथियों की टोली में जा मिलूं। बेस्ट ऑफ लक, लिव लाइफ किंग साइज।

 

कैप्टन विजयंत थापर टोलोलिंग पहाड़ी पर काबिज पाक घुसपैठियों से हुए भीषण युद्ध में शहीद हुए थे। उनके माथे पर लगी गोली ने इस युवा का मानो विजय तिलक किया था, उनकी वीरता व बलिदान को राष्ट्र ने वीर चक्र से सम्मानित किया। खबरों की मानें तो विजंयत के कमरे में वो यूनिफॉर्म आज भी टंगी है, जो उनकी शहादत के बाद करगिल से भेजी गई थी। तोलोलिंग की उस चोटी की तस्वीर भी लगी है, जिस पर उन्होंने जीत का तिरंगा फहराया था।

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