दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे जफरूल इस्लाम खान, कहा- लैपटॉप और मोबाइल न किया जाए जब्त

Edited By Yaspal,Updated: 08 May, 2020 09:10 PM

zafrul islam khan reached delhi high court

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरूल इस्लाम खान ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर अपने खिलाफ दर्ज देशद्रोह के मामले में अग्रिम जमानत का अनुरोध किया। खान की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि मामले को सुनवाई के लिये 12 मई को सूचीबद्ध...

नई दिल्लीः दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरूल इस्लाम खान ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर अपने खिलाफ दर्ज देशद्रोह के मामले में अग्रिम जमानत का अनुरोध किया। खान की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि मामले को सुनवाई के लिये 12 मई को सूचीबद्ध करने की अनुमति दी गई है। खान ने पिछले महीने सोशल मीडिया पर अपने आधिकारिक पेज के माध्यम से कथित तौर पर देशद्रोही एवं नफरत भरी टिप्पणियां की थी।

एक शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने दो मई को खान के खिलाफ भादंसं की धारा 124ए और 153ए के तहत मामला दर्ज किया था। ये धाराएं देशद्रोह और विभिन्न समूहों के बीच धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास और भाषा के आधार पर नफरत की भावनाएं फैलाने से संबद्ध हैं। खान ने इस आधार पर अग्रिम जमानत की मांग की कि वह लोक सेवक हैं और उनकी उम्र 72 वर्ष है, जिन्हें हृदय रोग और उच्च रक्त चाप की समस्या है। उनके कोविड-19 से संक्रमित होने का काफी खतरा है, जो उनकी उम्र के व्यक्ति के लिए घातक हो सकता है।

वकील वृंदा ग्रोवर, रत्ना अप्पेनदर और सौतिक बनर्जी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘इन परिस्थितियों में उन्हें इस हल्के एवं अपुष्ट मामले में तुरंत गिरफ्तारी और कड़ी कार्रवाई से राहत देने की जरूरत है ताकि उनकी स्वतंत्रता की रक्षा हो सके क्योंकि ऐसा करने में विफल रहने पर जीवन के उनके अधिकार पर विपरीत असर पड़ेगा।'' याचिका में पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई कि उन्हें गिरफ्तार किए जाने की स्थिति में उन्हें तुरंत जमानत पर रिहा किया जाए और उनके खिलाफ कोई दमनात्मक कार्रवाई नहीं की जाए। इसमें यह भी निर्देश देने की मांग की गई कि खान के लैपटॉप और मोबाइल को जब्त नहीं किया जाए।

याचिका में दावा किया गया खान ने कोई अपराध नहीं किया है और उन्हें धमकाने और उत्पीड़न के इरादों से प्राथमिकी दर्ज की गई है। खान ने याचिका में दावा किया कि सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट गलत तरीके से रिपोर्ट की गई, मीडिया के कुछ धड़े ने उसे तोड़-मरोड़कर और सनसनीखेज बनाकर पेश की ताकि आयोग के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने जो शानदार कार्य किए हैं उस छवि को खराब किया जा सके।

याचिका में कहा गया कि प्राथमिकी दर्ज होने के एक हफ्ते बाद भी खान को पूछताछ के लिए कानूनी नोटिस जारी नहीं किया गया और छह मई की शाम को जब वह इफ्तार करने वाले थे तो पुलिस की एक टीम उनके आवास पर आई और मौखिक रूप से उन्हें साइबर प्रकोष्ठ थाने में आने के लिए कहा। याचिका में कहा गया कि पुलिस ने उन्हें लिखित में नोटिस नहीं दिया जबकि दंड प्रक्रिया संहिता के तहत यह आवश्यक है। इसमें कहा गया कि पुलिस खान के आवास पर करीब दो घंटे रही लेकिन उसने कोई जांच नहीं की, उनसे पूछताछ नहीं की या उनके लैपटॉप की जांच नहीं की।

 

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