खूंखार उग्रवादी रहे मिजोरम के पूर्व मुख्यमंत्री ने खोले पाक-चीन के बड़े राज

Edited By Tanuja,Updated: 10 Dec, 2018 11:39 AM

zoramthanga says china and pak gave support to mizo insurgency

खूंखार उग्रवादी रहे और अब पूर्वोत्तर के अहम राजनीतिज्ञ मिजोरम के पूर्व मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने पाकिस्तान और चीन को लेकर बड़ा खुलासा किया है...

इंटरनैशनल डैस्कः  खूंखार उग्रवादी रहे और अब पूर्वोत्तर के अहम राजनीतिज्ञ मिजोरम के पूर्व मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने पाकिस्तान और चीन को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने दावा किया कि मिजोरम में विद्रोह को इन दोनों ही देशों का समर्थन रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी आत्मकथा ‘बहुआइजोलत’ में बताया है कि किस तरह से ढाका विफल हुआ और भारत ने ले. जनरल एएके नियाजी के एक लाख सैनिकों को पकड़ लिया। जोरामथंगा ने अपनी इस आत्मकथा में यह भी बताया है कि एमएनएफ का काडर पूर्वी पाकिस्तान के कमांडो के साथ मिल गया और लेफ्टिनेंट जनरल जे एस अरोड़ा द्वारा पकड़ लिया गया लेकिन बाद में सब भाग गए और फिर जंगल में चले गए।
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मिजोरम के दो बार मुख्यमंत्री रहे जोरामथंगा ने किताब में उनके 20 साल तक भूमिगत रहने के दिनों का भी विस्तार से उल्लेख है। किताब में उनके और एमएनएफ विद्रोहियों के चीन जाने और वहां के प्रधानमंत्री झोउ एनलाई, माओ त्से तुंग, लिन बिआओ और चिआंग चिंग समेत अन्य चीनी नेताओं से मिलने का भी उल्लेख है।जोरामथंगा का कहना है कि उनकी आत्मकथा ‘बहुआइजोलत’ विवादित किताब होगी और उस पर पाकिस्तान और चीन, दोनों ही देशों की सरकारों को ऐतराज हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है कि इस किताब में मिजोरम में विद्रोह को उनके ‘समर्थन’ का विस्तृत वर्णन है।
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 दो खंडों में लिखी गई किताब को मिजो भाषा में, ‘एमआईएलएआरआई’ (मिलारी) कहा गया है। इसका अभी अंग्रेजी में अनुवाद किया जा रहा है।  मिजो नेशनल फ्रंट के अध्यक्ष जोरामथंगा चाहते हैं कि क्रांतिकारी चे ग्वेरा के जीवन पर बनी फिल्म की तर्ज पर भविष्य में उनकी आत्मकथा पर भी हॉलीवुड की फिल्म बने। जोरामथंगा ने एक साक्षात्कार में विश्वास जताया कि उनकी पार्टी राज्य में अगली सरकार बनाएगी। उन्होंने कहा कि वह पुस्तक के मिजो भाषा में रचित संस्करण का विमोचन 11 दिसंबर को विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद करेंगे।
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उन्होंने कहा कि आत्मकथा में इस बात का जिक्र है कि हम रंगून (म्यांमा) के जरिए पूर्वी पाकिस्तान से जेम्स बांड की तरह बचकर निकले और अराकान जंगल में कई दिनों चले। इसमें बताया गया है कि हम कैसे  भुट्टो से मिले और विदेशी धरती से हमने कैसे भारत के साथ शांति वार्ता शुरू की। जोरामथंगा ने बताया कि किताब में उनके और एमएनएफ विद्रोहियों के चीन जाने और वहां के प्रधानमंत्री झोउ एनलाई, माओ त्से तुंग, लिन बिआओ और चिआंग चिंग समेत अन्य चीनी नेताओं से मिलने का उल्लेख है।

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