Edited By ,Updated: 05 Sep, 2016 10:22 AM
अभी तक दावा किया जा रहा था कि ये सी.डी. ओमप्रकाश द्वारा बनाई गई थी और उसी ने वायरल की, लेकिन कोर्ट में दी गई जानकारियों में कहा गया है कि सबसे पहले ये सी.डी. प्रवीन कुमार के पास थी
नई दिल्ली(अशोक चौधरी/मनोज ): अभी तक दावा किया जा रहा था कि ये सी.डी. ओमप्रकाश द्वारा बनाई गई थी और उसी ने वायरल की, लेकिन कोर्ट में दी गई जानकारियों में कहा गया है कि सबसे पहले ये सी.डी. प्रवीन कुमार के पास थी, जिसे उसने वायरल किया और उसी ने ओमप्रकाश को ये सी.डी. दी। मामले में पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि सी.डी. कहां से बनी है और क्या ये सही है, ये सब सी.एफ.एल. की जांच में पता चलेगा, लेकिन महिला की शिकायत ही उनकी जांच का आधार है।
उल्लेखनीय है कि सी.डी. में दिख रही महिला ने शनिवार दोपहर सुल्तानपुरी थाने पहुंच कर संदीप के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। महिला का आरोप है कि करीब एक साल पहले जब वह संदीप के पास राशन कार्ड बनवाने के लिए गई तो पेय पदार्थ में नशीली दवा मिलकार उसके साथ दुष्कर्म किया गया। लिहाजा महिला की शिकायत पर पुलिस ने संदीप पर दुष्कर्म का मामला दर्ज किया है।
अभी कई और गिरफ्त में आएंगे
पूर्व मंत्री संदीप कुमार की सैक्स सी.डी. उनके दफ्तर में बनी थी। ये दफ्तर सुल्तानपुरी के एफ ब्लॉक में बना हुआ है। यही नहीं, सी.डी. की जानकारी संदीप कुमार को काफी समय से थी और इसी के चलते उनका ही एक पूर्व ओ.एस.डी. प्रवीन कुमार उन्हें ब्लैकमेल कर रहा था। पुलिस की जांच में ये बात भी सामने आई है कि संदीप कुमार ने डेढ़ साल पहले ये संबंध बनाए थे। पुलिस के दावे के मुताबिक संदीप कुमार ने स्वयं इस बात को स्वीकारा है। ये बात पुलिस ने कोर्ट में भी कही।
बताया जाता है कि संदीप कुमार ने करीब 6 माह पहले प्रवीन को ओ.एस.डी. के पद से हटा दिया था जिसके बाद से प्रवीन संदीप से लगातार पैसे मांग रहा था। पूर्व मंत्री से पूछताछ के बाद हुए खुलासे को लेकर अधिकारी सकते में हैं। अब पुलिस ने अपनी जांच का रुख प्रवीन कुमार की ओर मोड़ दिया है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की मानें तो प्रवीन का घर बहादुरगढ़ में है। उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस की एक टीम बहादुरगढ़ गई है। इसके अलावा एक टीम उसके छिपने के अन्य ठिकानों पर छापेमारी के लिए भेजी गई है। भाजपा नेता सतीश उपाध्याय ने कहा कि दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल की चुप्पी हैरानीजनक है। जनता को लगता है कि उनकी चुप्पी का कारण सत्ताधारी दल के नेताओं के निर्देश हैं।