आजाद ने फिर उठाया DDCA का मुद्दा

Edited By ,Updated: 28 Dec, 2015 05:13 PM

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से निलंबित किए गए दरभंगा के सांसद और पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने एक बार फिर दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डी.डी.सी.ए.) में भ्रष्टाचार...

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से निलंबित किए गए दरभंगा के सांसद और पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने एक बार फिर दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डी.डी.सी.ए.) में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए आज कहा कि ऐसी कंपनियों को ठेके दिए गए थे जिनके पास कोई अनुभव नहीं था। आजाद ने आज अपने आवास पर संवादददाओं से बातचीत में सवाल उठाया कि बिना अनुभव वाली कंपनियों को ठेका देना धोखाधड़ी नहीं है तो क्या है। 


उन्होंने कहा, ‘‘मैंने जिन कंपनियों का नाम लिया है मुझे उनके पास ले जाइये और उनका लेखा जोखा दिखाइए।’’ पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि उन्होंने एक जांच एजेंसी की तरह डीडीसीए में भ्रष्टाचार में मामले की जांच की थी और आश्चर्य की बात है कि सी.बी.आ.ई. डीडीसीए को केवल नोटिस दे रही है उस पर छापा नहीं मार रही है। उल्लेखनीय है कि ये ठेके उस दौरान दिए गए थे जिस दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली डीडीसीए के अध्यक्ष थे। भाजपा ने आजाद पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए निलंबित किया गया था। 


आजाद ने इन आरोपों से इन्कार किया कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इशारे पर इस मामले को संसद में उठाया था। उन्होंने दावा कि उनकी कांग्रेस के किसी प्रतिनिधि या नेता से कभी भी बात नहीं हुई। आजाद ने कहा कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की अनुमति के बाद ही इस मुद्दे को संसद में उठाया था। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बदनाम करना ठीक नहीं है। डीडीसीए को उन आरोपों को जवाब देना चाहिए जो मैंने उठाए हैं। 


जेतली को इसमें मत लाइए। मेरी लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ है किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं।’’ पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि गंभीर अपराध जांच कार्यालाय (एएफआईओ) ने कई बार डीडीसीए से फाइलें मांगी लेकिन उसे नहीं दी गई। खुद को भाजपा का निष्ठावान सिपाही बताते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी में कई लोग उनसे जलते हैं। उन्होंने साथ ही भाजपा प्रवक्ताओं को उनके खिलाफ कोई बयान देते समय सावधानी बरतने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पार्टी के खिलाफ कुछ भी गलत नहीं किया है। मैं भाजपा प्रवक्ताओं से कहना चाहता हूं कि सार्वजनिक तौर पर बोलते समय वे सावधानी बरतें। अगर डीडीसीए में सब कुछ सही होता तो फिर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज ने उसके अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज क्यों किया। 

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