राजधानी में पहले भी दो बार हो चुका है टिड्डियों का हमला, पूरी हरियाली चट कर गया था टिड्डी दल

Edited By Murari Sharan,Updated: 29 May, 2020 08:42 PM

even before this locust attacks have taken place in delhi

पाकिस्तान से होते हुए राजस्थान और हरियाणा के रास्ते दिल्ली-एनसीआर की ओर बढ रहे टिड्डियों का खतरा फिलहाल हवा की रूख ने बदल तो दिया है लेकिन यह टिड्डियों का दल इतना खतरनाक है कि जहां

नई दिल्ली/ डेस्क। पाकिस्तान से होते हुए राजस्थान और हरियाणा के रास्ते दिल्ली-एनसीआर की ओर बढ रहे टिड्डियों का खतरा फिलहाल हवा की रूख ने बदल तो दिया है लेकिन यह टिड्डियों का दल इतना खतरनाक है कि जहां बैठ जाता है वहां की पूरी हरियाली को चट कर जाता है।
 

 

किसानों को बदहाल करने वाले इन टिड्डी का हमला दिल्ली के लिए नया नहीं है। दिल्ली के किसानों का कहना है कि वो एक वो दौर भी देख चुके हैं जब हमला बोल इन्होंने पूरे हरे पेडों की पत्तियों तक को चट कर डाला था और खडी फसलों कोे बहुत नुकसान पहुंचाया था। बता दें कि टिड्डियों का हमला राजधानी के किसानों के लिए नया नहीं है, इससे पहले भी दो बार किसान इनके चलते बेहद परेशानी का सामना कर चुके हैं।


नजफगढ में किसानों के नेता और भारतीय किसान यूनियन दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष वीरेंद्र डागर ने बताया कि सबसे पहले साल 1952 में पाकिस्तान से आई टिड्डी दलों का हमला राजस्थान, गुजरात, दिल्ली सहित यूपी के कुछ जिलों के किसानों को झेलना पडा था। गांव के बुजुर्ग किसान बताते हैं कि उस समय हाल यह था कि टिड्डी दलों ने खेतों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही साथ हरे पेडों को भी नहीं छोडा था। वो उनकी सारी हरी पत्तियों को चट कर गए थे। इसके बाद दूसरी बार साल 1960-61 में राजस्थान-गुजरात की तरफ से टिड्डी दलों का हमला हुआ और किसानों की खडी फसल को काफी नुकसान पहुंचा था। उस समय भू-राजस्व विभाग के पटवारियों की ड्यूटी लगाकर खेतों में रसायन का छिडकाव किया गया था।
 

दो-तीन दिनों के भीतर टिड्डी दल ने काफी नुकसान किसानों का किया था, हालांकि सबसे ज्यादा नुकसान हर बार राजस्थान और हरियाणा को झेलना पडा था। उस समय रसायन के छिडकाव से लाखों की संख्या में टिड्डी मरी थीं, जिन्हें एक बडा गडढा कर उसमें दबाया गया था। वीरेंद्र डागर का कहना है कि कुछ आपदाएं ऐसी होती हैं जिनका सामना किसान बिना सरकारी मदद के नहीं कर सकता और उनमें से एक ये टिड्डियों का हमला है।


जाने राजधानी में कितने हैं गांव और खेत: राजधानी में आज भी 9 में से 5 जिलों में किसान खेती का काम करते हैं। जिनमें सर्वाधिक गांव कापसहेडा, द्वारका, नजफगढ डिस्ट्रिक के अंतर्गत आते हैं। दो तरह की कृषि योग्य भूमि है। आर केटेगरी में करीब 95 गांव आते हैं और 47 गांव ग्रीन बेल्ट में आते हैं यानि राजधानी के कुल 142 गांवों में आज भी खेती की जाती है। कुल 60 हजार हेक्टेयर में दिल्ली के किसान खेती करते हैं। जिनमें गेहूं व चावल के साथ ही मौसमी सब्जियों और फूलों की खेती की जाती है।

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