दिल्ली में शराब की बिक्री में भारी गिरावट, 70 फीसदी टैक्स बनी बड़ी वजह

Edited By Murari Sharan,Updated: 03 Jun, 2020 10:37 PM

liquor sales in delhi fall drastically

कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के बीच दिल्ली में खुली शराब की दुकानों पर कुछ दिनों तक उमड़ी भारी भीड़ के बावजूद शराब की बिक्री में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज हुई है। सिर्फ राजधानी दिल्ली में

नई दिल्ली/ डेस्क। कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के बीच दिल्ली में खुली शराब की दुकानों पर कुछ दिनों तक उमड़ी भारी भीड़ के बावजूद शराब की बिक्री में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज हुई है। सिर्फ राजधानी दिल्ली में मई महीने में 58 प्रतिशत की बिक्री कम हुई है।


इसकी सबसे बड़ी वजह दिल्ली में शराब पर 70 फीसदी कोरोना टैक्स लगाना माना जा रहा है। इसके चलते दिल्ली के पियक्कड़ों ने अपना ठिकाना पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा में बना लिया है। इन दोनों राज्यों में सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत ही शराब की कीमतें बढ़ी हैं। साथ ही शराब लाने एवं ले जाने में कोई दिक्कत भी नहीं है। दिल्ली के नक्शेकदम पर चलने वाले आंध्र प्रदेश राज्य में भी शराब की बिक्री में 56 फीसदी गिरावट आई है। आंध्र प्रदेश ने दिल्ली के दूसरे ही दिन 75 फीसदी  टैक्स शराब पर लगा दिया था।


हालात यह हुई कि मई के पहले सप्ताह के बाद शराब की दुकानें खाली पड़ी हैं। दिल्ली में ही यही हाल शराब की दुकानों पर है। अब तो दुकानों का खर्च भी निकालना मुश्किल हो रहा है। बता दें कि राजधानी दिल्ली में करीब 860 शराब की दुकानें रिटेल में है। इसमें से करीब 60 दुकानें बीयर वाइन की भी हैं। लॉकडाउन के चलते कुछ दिनों तक शराब की दुकानें बंद थी। मई के पहले सप्ताह में खोलना शुरू किया गया। दुकानें खुलने के बाद तीन-चार दिनों तक शराब की दुकानों पर भारी भीड़ और लंबी लंबी लाइनें देखने को मिली।


यहां तक की कई जगहों पर लाठीचार्ज तक करना पड़ा। मीडिया में यह खबर सुर्खिया भी बनीं, लेकिन मई के दूसरेा सप्ताह शुरू होते ही बिक्री घटना शुरू गई। कुल मिलाकर मई महीने में मात्र 3.81 लाख पेटी शराब की बिक्री दिल्ली में हुई। जबकि, पिछले वर्ष 2019 में सिर्फ मई महीनें में 9.07 लाख पेटी शराब की बिक्री हुई थी। दिल्ली की तुलना में अगर उत्तर प्रदेश को देखें तो यहां मई 2020 के महीने में 16 लाख पेटी एवं हरियाणा राज्य में 8.50 लाख पेटी शराब की बिक्री हुई है। जबकि, शराब पर 75 फीसदी कोरोना टैक्स लगाने के बावजूद आंध्र प्रदेश में 12.50 लाख पेटी शराब की बिक्री दर्ज हुई है। इन चारों राज्यों में दिल्ली में सबसे ज्यादा शराब बिक्री में गिरावट हुई है।


दिल्ली में लॉकडाउन के पहले की बात करें तो जनवरी 2020 में 11.38 लाख पेटी, फरवरी में 11.48 लाख पेटी एवं मार्च महीने में 8.26 लाख पेटी शराब लोगों ने पिया था। जबकि, अप्रैल महीने में पूरी तरह से बंदी थी। मई के पहले सप्ताह में खुली और कुल मिलाकर 3.81 लाख पेटी की बिक्री दर्ज की गई है। सूत्रों के मुताबिक लॉकडाउन के चलते काफी दिनों बाद खुली शराब की दुकानों पर पहले ही दिन भारी भीड़ उमड़ी। इसको देखते हुए उत्साहित दिल्ली सरकार ने दूसरे ही दिन शराब पर 70 फीसदी टैक्स ठोंक दिया। इसके बाद दो दिन तक शराब की दुकानों पर लोग दिखे, बाद में खाली हो गई। 


गर्मी में  ठंडी बियर पीने वाले भी गायब 
गर्मी बढऩे के साथ ही मदिरा के शौकीन ठंडी बियर की डिमांड रखते हैं और भरपूर इसका सेवन भी करते हैं। लेकिन, कोरोना और टैक्स के चलते बियर की मांग भी घट गई है। मई 2020 में राजधानी दिल्ली में मात्र 1.25 लाख पेटी बियर की बिक्री हुई। जबकि, मई 2019 की बात करें तो दिल्ली में 18 लाख पेटी बियर दिल्ली वाले गटक गए थे।  
दिल्ली के मुख्यमंत्री से गुहार, हटाएं 70 फीसदी टैक्स 

 

शराब कंपनियों की प्रतिनिधि संस्था कनफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज, सीआईएबीसी के निदेशक विनोद गिरी, ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर शराब पर से कोरोना टैक्स हटाने की मांग की है। साथ ही कहा है कि उन्होंने पहले ही या आशंका जताई थी कि शराब पर 70 फीसदी कोरोना टैक्स की वजह से आने वाले समय में इसकी बिक्री कम हो सकती है। संगठन ने सरकार से कहा कि टैक्स को एक ऐसे स्तर पर रखा जाए जो संतुलित और व्यावहारिक भी हो। ताकि शराब के खरीदार को भी आर्थिक बोझ ना पड़े। अगर खरीदार पर ज्यादा बोझ पड़ता है तो आने वाले समय में इसका असर कम टैक्स के रूप में सरकार पर भी पड़ेगा। इससे राज्य की आर्थिक स्थिति पर भी विपरीत असर होगा।

सीआईएबीसी के निदेशक विनोद गिरी ने कहा है कि उन्होंने 6 मई को उपमुख्यमंत्री तथा दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया को एक प्रतिवेदन दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर लंबे समय तक शराब पर 70 प्रतिशत का कोरोना टैक्स रखा गया तो इससे शराब की बिक्री पर प्रतिकूल असर होगा। इससे शराब की बिक्री कम होगी और राजस्व की भी हानि होगी।

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