लॉकडाउन के समय 23 लाख से अधिक शिक्षकों ने अपने ट्रेनिंग के लिए कराया पंजीकरण

Edited By rajesh kumar,Updated: 18 Mar, 2021 05:48 PM

over 23 lakh teachers registered for their training at the time of lockdown

शिक्षा मंत्री ने पूरक प्रश्नों के जवाब में बताया कि शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने के उद्देश्य से आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए चलाई जा रही एकीकृत योजना के तहत करीब 15 लाख 50 हजार सरकारी एवं निजी स्कूल शामिल हैं। निशंक ने बताया कि देश में...

एजुकेशन डेस्क: सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि लॉकडाउन के समय में 23 लाख से अधिक शिक्षकों ने निष्ठा कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण के लिए अपना पंजीकरण कराया और उन्हें 18 माड्यूलों के हिसाब से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक' ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया ‘निष्ठा कार्यक्रम शिक्षकों के प्रशिक्षण का दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम है जिसके तहत पिछले साल 17 लाख से अधिक अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया गया।' उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के समय में भी 23 लाख से अधिक शिक्षकों ने प्रशिक्षण के लिए अपना पंजीकरण कराया और उन्हें 18 माड्यूलों के हिसाब से प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

शिक्षा मंत्री ने पूरक प्रश्नों के जवाब में बताया कि शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने के उद्देश्य से आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए चलाई जा रही एकीकृत योजना के तहत करीब 15 लाख 50 हजार सरकारी एवं निजी स्कूल शामिल हैं। निशंक ने बताया कि देश में छात्र शिक्षक अनुपात प्राथमिक स्कूल स्तर पर 26:1, उच्च प्राथमिक स्तर पर 22:1, माध्यमिक स्तर पर 21:1 और उच्च माध्यमिक स्तर पर 24:1 है। उन्होंने कहा कि यह एक बेहतर अनुपात है तथा इसमें और अधिक सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं और इसके लिए अध्यापकों की नियुक्ति भी की जा रही है। उन्होंने बताया कि स्कूली शिक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए राज्य सरकारों की मदद से ‘समग्र शिक्षा' अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में सर्वांगीण विकास के लिए कार्यक्रम चलाए जाते हैं। एक प्रश्न के उत्तर मे मंत्री ने कहा कि कोविड काल में भी दिव्यांगों की शिक्षा बाधित नहीं हुई ।

उन्होंने कहा ‘‘अमेरिका की कुल आबादी से अधिक संख्या भारत में छात्र छात्राओं की है। लेकिन लॉकडाउन और उसके बाद ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई हुई और विद्यार्थियों का साल बर्बाद नहीं होने दिया गया। इसके लिए स्वयंप्रभा, ई-पाठशाला और दीक्षा जैसे एप तथा पोर्टल के माध्यम से विद्यार्थियों की पढ़ाई चलती रही। इससे दिव्यांग छात्रों को भी बहुत लाभ हुआ।'' ग्रामीण इलाकों में रहने वाले छात्रों के पास ऑनलाइन पढ़ाई के लिए समुचित संसाधन होने संबंधी एक पूरक प्रश्न के उत्तर में निशंक ने बताया कि इसके लिए भी सरकार की ओर से व्यवस्था की गई । ऐसे छात्रों के लिए शिक्षा संबंधी चैनल खोले गए और सामुदायिक रेडियो की मदद ली गई। उन्होंने कहा ‘‘इस पूरे अभियान के दौरान राज्यों और शिक्षकों की भूमिका बेहद सराहनीय रही।'' 

 

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