राजधानी की सड़कों पर शुरू हुई सार्वजनिक परिवहन सेवा, सीमित मात्रा में निकली DTC व क्लस्टर बसें

Edited By Murari Sharan,Updated: 19 May, 2020 08:51 PM

public transport service started on the streets of the capital

लॉकडाउन 4 में केंन्द्र व दिल्ली सरकार द्वारा दी गई छूट के बाद मंगलवार से राजधानी की सड़कों पर करीब 50 दिन बाद सार्वजनिक परिवहन सेवा के तहत चलने वाली डीटीसी व क्लस्टर बसें आम नागरिकों के लिए....

नई दिल्ली/ डेस्क। लॉकडाउन 4 में केंन्द्र व दिल्ली सरकार द्वारा दी गई छूट के बाद मंगलवार से राजधानी की सड़कों पर करीब 50 दिन बाद सार्वजनिक परिवहन सेवा के तहत चलने वाली डीटीसी व क्लस्टर बसें आम नागरिकों के लिए डिपों से सड़क पर आई।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की थी कि बसें चलेंगी, लेकिन मंगलवार को सीमित मात्रा में ही डीटीसी व क्लस्टर सेवा की नारंगी  बसें चली। सुबह के समय डीटीसी की नॉन एसी बस इक्का-दुक्का ही सड़कों पर दिखाई दी। डीटीसी के मुकाबले क्लस्टर बसों की संख्या ज्यादा रही। बसों की संख्या कम होने के साथ-साथ यात्रियों की संख्या भी कम रही। बसों के इंतजार में घरों से निकले लोगों को एक-एक घण्टे बस स्टॉप पर बस का इंतजार  करना पड़ा।

स्टाफ कमी के कारण डीटीसी बसें कम निकली
डीटीसी सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को सुबह के समय डीटीसी डिपों में काफी कम चालक व कंडक्टर आए। इस कारण डीटीसी के कुल 3700 बसों में से 50 प्रतिशत बसें भी सड़क पर नहीं आई। डीटीसी प्रशासन बसों के संचालन की तैयारी में ही लगा रहा। उम्मीद जताई जा रही थी कि दोपहर बाद बसों की संख्या बढ़ेगी, लेकिन बसों की संख्या सीमित ही रही। 

1250 क्लस्टर बसें सड़कों पर उतरी
दूसरी ओर 15 दिन के अंदर वेतन मिलने के आश्वासन के बाद 15 क्लस्टर बस डिपो के चालक डियूटी पर आए और तकरीबन 1250 क्लस्टर बसें सड़कों पर आई। जबकि कंझावला, ढिचाऊं कलां, कैर, बीबीएम डिपो-2, ओखला व सुनहरी पुला डिपो की क्लस्टर बसें नहीं निकली। इन डिपो के बसों के चालकों ने कहा कि जबतक वेतन नहीं मिलता वे काम पे नहीं लौटेंगे। बता दें कि अभी क्लस्टर सेवा में कुल 2700 बसें हैं। क्लस्टर बसों का संचालन में लगे एक डिम्ट्स अधिकारी ने बताया कि धीरे-धीरे सभी चालक काम पर लौटेंगे।

नहीं थे सभी बसों में मार्शल
दिल्ली सरकार ने कहा था कि सोशल डिस्टनसिंग के पालन करने के लिए बस में दो-दो मार्शल तैनात रहेंगे, लेकिन मार्शलों की संख्या कम होने की वजह से क्लस्टर बसों में गिनेचुने मार्शल ही थे। डीटीसी बसों में भी एक ही मार्शल रहे। हालांकि बसों में यात्रियों की संख्या कम होने की वजह से कंडक्टर को ज्यादा परेशानी नहीं हुईं।
 

ज्यादातर बसों में पहले दिन सोशल डिस्टनसिंग का हुआ पालन
डीटीसी व कलस्टर बसों में कंडक्टर ने बसों में सोशल डिस्टनसिंग के लिये गिनकर बीस सवारी ही बैठा रहे थे। यात्रियों की संख्या ज्यादा न होने की वजह से लोग भी बस कंडक्टर व मार्शल की बात मानते हुए सोशल डिस्टनसिंग का पालन कर रहे थे। लेकिन कुछ बसों में 20 से ज्यादा यात्री भी यात्रा करते नजर आए।


बसों में यात्रियों की नहीं हुई थर्मल स्क्रीनिंग
मुख्यमंत्री अरविंद केजरवाल के आदेशानुसार डीटीसी बसों में यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग कर बैठाना था, लेकिन कंडक्टर के पास बस में स्क्रीनिंग करने की कोई सुविधा नहीं थी।इस कारण यात्री बिना किसी जांच के बसों में चढ़ते रहे।  किसी भी बस के चालक व परिचालक जे पास सेनिटाइजर भी नहीं था। यही नहीं, कई बसों की सफाई भी नहीं हुई थी। कुछ यात्रियों का कहना था की बसों को डिपो से निकलने से  पहले ठीक से सेनिटाइज भी नहीं किया गया है।

खाली दौड़ती रही बसें
सुबह 11 बजे के करीब सुल्तानपुरी बस टर्मिनल पर दो बसें थी, लेकिन उसमें भी चढ़ने के लिये मात्र तीन सवारी थी। 944 नंबर रूट पर एक बस चली तो सिर्फ दो सवारी उसमे बैठी थी। बस साढ़े 11 बजे पीरागढ़ी पहुंची, लेकिन वहां भी कोई एक सवारी चढ़ी। इसी तरह अन्य बसें भी खाली चलती रही।

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