Edited By ,Updated: 14 May, 2015 12:16 PM
बच्चों का तो मतलब ही शोर-शराबा और हंगामा है क्योंकि वे स्वभाव से चंचल और शरारती होते हैं । यही कारण है कि अपनी हरकतों से वे हमेशा मां, दादी और टीचर की नाक में दम किए रखते हैं । जब स्कूलों की छुट्टियां होती हैं, तो वे फ्री होते हैं ......
बच्चों का तो मतलब ही शोर-शराबा और हंगामा है क्योंकि वे स्वभाव से चंचल और शरारती होते हैं । यही कारण है कि अपनी हरकतों से वे हमेशा मां, दादी और टीचर की नाक में दम किए रखते हैं । जब स्कूलों की छुट्टियां होती हैं, तो वे फ्री होते हैं । उस समय हर घर में हंगामा, चीख-चिल्लाहट और शोर सुनाई देता है । हर घर से मां की तेज आवाज सुनाई देती है कि तुम लोग कुछ देर शांति से बैठो । बच्चों के स्वभाव की फितरत होती है कि वे हर समय खुद को व्यस्त रखना पसंद करते हैं ।
ऐसे में वे हर वह काम करते हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए । उनकी इस उठा-पटक से उनकी मां और दादी सबसे ज्यादा परेशान रहती हैं ।कई बार बच्चों की शरारतों को बहुत से लोग नकारात्मक तरीके से देखते हुए उनके लिए गलत सोच बना लेते हैं कि ऐसे बच्चे ही बड़े हो कर बिगडै़ल बनते हैं तथा आवारागर्दी करते हैं । इसलिए इन्हें बचपन से ही अनुशासन सिखाना चाहिए तथा इन के साथ सख्ती बरतनी चाहिए । वास्तव में जो बच्चे ज्यादा शरारतें करते हैं उनका आई.क्यू. लैवल भी ज्यादा होता है, परंतु यह भी सही है कि उनकी परवरिश में मां-बाप को बहुत ध्यान देने की जरूरत होती है जिससे इनका आने वाला भविष्य उज्ज्वल हो सके ।
- यदि आपका बच्चा छोटी-मोटी शरारतें करता है तब कोई गलत बात नहीं हैं, बल्कि यह स्वाभाविक है । हालांकि आपकी नजर उस पर होनी चाहिए, साथ ही जब भी वह कोई शरारत करे या बाहर से करके आए तो माता-पिता को चाहिए कि उसे उसकी गलती का एहसास जरूर कराएं और उसे दोबारा ऐसा न करने को प्यार से समझाएं या फिर चेतावनी दें ।
- जिन बच्चों में एनर्जी लैवल ज्यादा होता है, वे शरारतें करके अपनी शारीरिक ऊर्जा खर्च करते हैं । यदि आपका बच्चा बहुत ज्यादा उछल-कूद करता है, तो आप उसे फुटबॉल, बैडमिंटन, क्रिकेट या हॉकी जैसी खेलों के लिए प्रेरित कर सकते हैं । इससे उनकी एनर्जी का सही प्रकार से इस्तेमाल हो सकेगा और वे घर या बाहर कम शरारतें करेंगे ।
- कई बार ऐसा होता है कि बच्चे स्वयं को उपेक्षित महसूस करते हैं, इस लिए वे मां-बाप का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए शरारतें करते हैं । जैसे यदि आपका बच्चा पहले शांत स्वभाव का रहा हो और फिर वह अचानक से शरारतें करने लगे तो यह इस बात का संकेत है कि आप उसे पूरा समय नहीं दे पा रहे हैं । इस लिए अपने बच्चों के साथ कुछ समय बिताएं । उससे उसके दोस्तों के बारे में, पढ़ाई-लिखाई के बारे में तथा स्कूल के बारे में खूब सारी बातें करें, जिस से वह खुद को घर में अकेला महसूस न करे ।
- हर बच्चे के शरारत करने का ढंग अलग होता है । कुछ बच्चे शोर मचाते हुए तरह-तरह की आवाजें निकालते हुए शरारतें करते हैं तो कुछ चुपचाप रहते हैं और बड़ी शरारतें कर जाते हैं । जैसे स्कूल में ब्लैक बोर्ड पर किसी का उल्टा-सीधा स्कैच बना देना या फिर फिल्मी गीतों की पैरोडी बनाकर गाना इत्यादि । ऐसे बच्चे पेरैंट्स या टीचर के डांटने पर ज्यादा शरारतें करते हैं और चोरी-छिपे दूसरों को परेशान करने में इन्हें बहुत ज्यादा मजा आता है ।
- ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि वे उसे प्यार से समझाएं कि थोड़ा-बहुत हंसी-मजाक तो ठीक है परंतु किसी का दिल दुखाना बहुत बुरी बात है । हालांकि ऐसी शरारतें करने वाले बच्चें बहुत क्रिएटिव होते हैं और उनका सैंस ऑफ ह्यूमर भी बहुत अच्छा होता है । इसलिए उनमें म्यूजिक सीखने या ड्राइंग करने की आदत विकसित करें ताकि उनकी प्रतिभा का दुरुयोग न हो तथा उन्हें सही दिशा मिले ।
- शरारत करने पर बच्चों को सब के सामने पीटने या कमरे में बंद कर देने जैसी सख्त सजा कभी न दें क्योंकि ऐसे बच्चे बहुत भावुक होते हैं और सजा या पिटाई उन के मन में आक्रोश की भावना पैदा कर सकती है । इस लिए उन्हें शरारत से होने वाले नुक्सान के बारे में समझाएं ।
- हेमा शर्मा, चंडीगढ़