आपके व्यक्तित्व का दर्पण-शिष्टाचार

Edited By ,Updated: 09 Jan, 2015 01:48 PM

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शिष्टाचार का अर्थ है शिष्ट व्यवहार। आइए देखें इन्हें अपने जीवन में कैसे उतारें और शिष्ट कहलाएं

शिष्टाचार का अर्थ है शिष्ट व्यवहार। आइए देखें इन्हें अपने जीवन में कैसे उतारें और शिष्ट कहलाएं: 

-घर पर आए अतिथि का खुशी से स्वागत करें।  

-घर के सामान को यथास्थान रखें। घर में गंदगी को गली की गंदगी न बनाएं।

-किसी से मिलते समय ‘नमस्कार’ और विदा लेते समय ‘फिर मिलेंगे’ अवश्य कहें।

-किसी की मदद से कोई काम पूरा हुआ हो तो कार्य समाप्ति पर ‘धन्यवाद’ करना न भूलें।

-किसी से कुछ मदद मांगनी हो तो ‘कृपया’ शब्द का प्रयोग करें।

-कोई अन्य अखबार या पत्रिका पढ़ रहा हो तो ताक-झांक न करें। न ही झांक-झांक कर पढ़ें।

-खाने-पीने का सामान इधर-उधर न फैंके। न ही भोजन बिना ढंके रखें। 

-यात्रा के दौरान जोर-जोर से न बोलें, न खिलखिलाएं, न  ताली बजाकर या हाथ मारकर बात करें।

-यात्रा करते समय अपंग, वृद्धजन और असहाय व्यक्ति को प्राथमिकता दें।

-शोक के अवसर पर चटकीले कपड़े न पहनें, न ही अधिक आभूषण पहनें,  न ही कपड़ों पर परफ्यूम आदि लगाकर जाएं। ऐसे स्थान पर शांत रहना ही शोभनीय लगता है।

-आप दूसरों की जितनी मदद आसानी से कर सकें,  नि:संकोच करें।

-अपने आप को दूसरों पर जबरदस्ती न थोपें, न ही बिना मांगें सलाह दें।

-सबके साथ मृदुभाषी रहें। कड़वाहट  जीवन में जहर का काम करती है।

-निंदा स्तुति से बच कर रहें। 

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