अब सिगरेट पर सियासत !

Edited By ,Updated: 01 Apr, 2015 01:22 AM

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भाजपा के सांसद दिलीप गांधी ने कहा कि तंबाकू उत्पादों के सेवन से कैंसर होने के विदेशी तथ्य पर अभी तक भारतीय अनुसंधान ने मुहर नहीं लगाई है। एनसीपी की नेता व शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के मुताबिक उनकी पार्टी के नेता आर. आर. पाटिल की मौत कैंसर से ही...

 जालंधर (एम. के. प्रमोद): भाजपा के सांसद दिलीप गांधी ने कहा कि तंबाकू उत्पादों के सेवन से कैंसर होने के विदेशी तथ्य पर अभी तक भारतीय अनुसंधान ने मुहर नहीं लगाई है। एनसीपी की नेता व शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के मुताबिक उनकी पार्टी के नेता आर. आर. पाटिल की मौत कैंसर से ही हुई। और दूसरी तरफ एनसीपी के ही नेता प्रफुल पटेल के परिवार का बीड़ी बनाने का कारोबार है। 

 
तंबाकू व सिगरेट के मामले में शोरगुल तो तब ही मचना शुरू हो गया था जब तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन ने प्रस्ताव दिया था कि सिगरेट के पैकेटों पर 85 फीसदी स्पेस पर सिगरेट से जुड़ी चेतावनी छपी होनी चाहिए। हालांकि कुछ दिनों के बाद उनका मंत्रालय ही बदल दिया गया। कहन गैरजरूरी है कि राजनीतिक गलियारों में इसका मतलब लगाया गया कि सिगरेट लॉबी के कारण उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय से हटा दिया गया।
 
इस मामले में अब हो रहे शोरगुल का कारण है कि तंबाकू उत्पाद से होने वाले प्रभाव पर गठित संसदीय समिति, सिगरेट व तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 के प्रावधानों की समीक्षा कर रही है और इसके अध्यक्ष भाजपा सांंसद दिलीप कुमार मनसुखलाल गांधी हैं। समिति ने सरकार से कहा है कि वह तंबाकू उत्पाद के उत्पादन से जुड़े लोगों के भविष्य़ को देखते हुए सरकार को उस अधिसूचना को लागू नहीं करना चाहिए जो सिगरेट के पैकेट पर 85 फीसदी स्पेस में चेतावनी छापने को कहता है। हालांकि सामाजिक कार्यकर्ता व डाक्टरों को यह नागवार गुजरा है।
 
हमारे नेताओं को उन लोगों की चिंता सता रही है जो इस उद्योग से जुड़़े हैं। यानी नेता को उन लोगों की भी चिंता हो सकती है जो हमारे समाज के लिए जहर बना रहे हैं। उन्हें जहर के उत्पादन से जुड़े लोगों की चिंता है तो यह अच्छी बात है। हालांकि नेता को इस बात की कोई चिंता नहीं है कि इस जहर के बारे में लोगों को बताया जाना जरूरी  है कि ये जहर चूहों को दिया जाना है नाकि लोगों को। सवाल तो सिगरेट से जुड़ी अधिसूचना के लिए भी कुछ इसी तरह का है। सभी जानते हैं कि सिगरेट पीना हानिकारक है और सरकार इसके उत्पादन को भी बंद नहीं कर सकती लेकिन अब वह यह भी नहीं बताना चाहती कि यह मानव और मानवता दोनों के लिए हानिकारक है। 
 
इसका कारण भी है। तंबाकू उत्पादों से जुड़े उद्योगों पर लगे एक्साइज टैक्स से सरकारी कोष को सलाना 10271 करोड़ व तंबाकू उत्पाद के निर्यात पर लगने वाले टैक्स से 2022 करोड़ की आय 2006-07 के दौरान हुई थी। जाहिर है कि यह आय बढ़ ही गई होगी। इस मामले का दूसरा पहलू भी जानना जरूरी है। हमारे कई एेसे नेता हैं जिनका हित इस उद्योग से जुड़ा है। हद तो तब हो जाती है जब सुप्रिया सुले कहती हैं कि उनकी पार्टी के नेता प्रफुल पटेल के परिवार का हित इस उद्योग से जुडा है। यहां यह भी ध्यान देना जरूरी है कि जब अजीत पवार महाराष्ट्र में मंत्री थे तो बीड़ी उद्योग को सब्सिडी दी गई। अपने लिए तो सभी काम करते हैं और पटेल पवार की पार्टी के नेता हैं।
 
चकित होने की बात तब आ जाती है जब स्वास्थ्य मंत्रालय में आरटीआई के तहत आवेदन दाखिल होता है और जवाब आता है कि मंत्रालय के पास तंबाकू उत्पाद सेवन से मरने वाले लोगों का कोई आंकड़ा ही नहीं है। फिर अगर गांधी कहते हैं कि सिगरेट पीने से कैंसर नहीं होता तो यह कौन सी नई बात है। यानी अब सिगरेट पर हो रही सियासत।

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