जालंधर में जनशक्ति और धनशक्ति में मुकाबला और जनता कांग्रेस के साथ: मुकेश अग्निहोत्री

Edited By rajesh kumar,Updated: 03 May, 2023 05:21 PM

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जालंधर के लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार की जीत को लेकर हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री तथा जालंधर चुनाव के प्रभारी मुकेश अग्निहोत्री ने दावा किया है कि जालंधर में जनशक्ति की जीत होगी।

जालंधर (अनिल पाहवा) : जालंधर के लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार की जीत को लेकर हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री तथा जालंधर चुनाव के प्रभारी मुकेश अग्निहोत्री ने दावा किया है कि जालंधर में जनशक्ति की जीत होगी। राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार बेशक धन शक्ति का इस्तेमाल कर रही है, लेकिन वह किसी भी रूप में सफल नहीं होगी। आज यहां विशेष बातचीत के दौरान श्री अग्निहोत्री ने अकाली दल, भाजपा तथा आम आदमी पार्टी की पुख्ता हार को लेकर चर्चा की। पेश है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश:-

कितनी अहम है जालंधर लोकसभा सीट की जीत?
जालंधर का यह उपचुनाव भविष्य की पंजाब की राजनीति को काफी हद तक साफ कर देगा। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सांसद संतोख चौधरी का निधन हो गया था और इसी कारण इस सीट पर चुनाव हो रहा है। मैं तो यह कहूंगा कि इस सीट पर कांग्रेस ने लोगों के पक्ष में काम किया है और अगर लोग कांग्रेस को वोट देते हैं तो चौधरी संतोख के लिए बड़ी श्रद्धांजलि होगी। इस सीट की जीत से ही 2024 के लोकसभा तथा 2027 के विधानसभा चुनावों की रणनीति तैयार होगी। कांग्रेस इस सीट पर पूरी ताकत के साथ लड़ रही है। 

पंजाब में 'आप' की सरकार के बारे में क्या कहना है आपका?
जालंधर लोकसभा सीट पर जीत हासिल करने के लिए राज्य की आम आदमी पार्टी की सरकार ने पूरी ताकत झोंक रखी है। राज्य के मंत्रियों, विधायकों को जालंधर में तैनात कर रखा है। लेकिन इतना सब कुछ करने के बावजूद इस बात पर हैरान हूं कि आम आदमी पार्टी को जालंधर में एक भी ऐसा कार्यकर्ता नहीं मिला, जिसे वह टिकट देते।  अंततः 'आप' को कैंडीडेट भी दूसरी पार्टी से लेना पड़ा, जिससे साबित होता है कि राज्य में तरह-तरह के दावे करने वाली आम आदमी पार्टी अंदर से खोखली है तथा यह सिर्फ एक बुलबुला है, जो न केवल जल्द फूटेगा, बल्कि लोगों को भी इनकी समझ आ जाएगी।  

जनता ने भरपूर समर्थन दिया, 'आप' को कैसे हराएगी कांग्रेस?
राज्य में 92वें सीटें लेकर आम आदमी पार्टी ने जो सफलता हासिल की थी, वह काफी हद तक लोगों से किए हुए वायदों का असर था, लेकिन राज्य में सरकार बनने के बाद कोई वायदा पूरा नहीं हो रहा और लोग अब अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे हैं। ऐसे में निश्चित है कि राज्य की आम आदमी पार्टी को अब लोग उन झूठे वादों के लिए सबक सिखाएंगे, जो 2022 के चुनावों से पहले भोली-भाली व ईमानदार जनता के साथ किए गए थे। पार्टी की विश्वनीयता पर पूरा प्रश्न चिन्ह लग चुका है। 

'आप' अपनी उपलब्धियों पर वोट मांग रही है, आपका क्या कहना है?
पंजाब में आम आदमी पार्टी आखिर किस आधार तथा किस उपलब्धि के साथ जनता के बीच जाकर वोट मांग रही है, मुझे तो यही बात समझ नहीं आ रही। विधानसभा जीतने के बाद संगरूर चुनावों में लोगों के बीच पार्टी की क्या लोकप्रियता है, वह साबित हो चुका है। अब जालंधर में जो बची-खुची गलतफहमी है, वह भी खत्म हो जाएगी। राज्य में कानून व्यवस्था की जो हालत है, वह किसी से छिपी हुई नहीं है। किसी को धमकियां आ रही हैं, तो को किसी मर्डर हो रहा है। राज्य में रोज गुंडागर्दी की कोई न कोई वीडियो वायरल होती है। 

अमृतपाल के मामले पर आपका क्या कहना है?
पंजाब के लोग शांति प्रिय लोग हैं, और यहां के लोगों ने पहले भी राज्य के हालातों को भुगता हुआ है, इसलिए वे अमृतपाल तथा गुरपतवंत पन्नू जैसे लोगों के न तो झांसे में आने वाले हैं तथा न ही ऐसे लोगों को पसंद करते हैं। पंजाब के लोगों ने जो दौर देखा है, वह आज भी कई लोगों के आंखों के सामने से आता है तो वे कांप उठते हैं। राज्य में कानून व्यवस्था के मामले में सरकार पहले ही विफल हो चुकी है। ऐसी सरकार को और समर्थन देकर राज्य के लोग पुरानी यादों को दोबारा दोहराना नहीं चाहते। 

अलगाववादियों को कौन हवा दे रहा है?
पंजाब की सत्ता में आम आदमी पार्टी के आने से पहले ही अलगाववादियों को लेकर उनकी क्या सोच है, यह साबित हो चुकी है। इसमें कुछ प्रमाणित करने की जरूरत नहीं है क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा उनकी टीम पर तरह-तरह के आरोप लगते रहे हैं। मुझे तो इस बात की हैरानी है कि केजरीवाल का अब दिल्ली में दिल नहीं लगता और वह बार-बार पंजाब की ओर देखते हैं। पंजाब के अफसरशाही को दिल्ली बुलाकर उन्हें अपने हिसाब से कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं, लेकिन वह शायद नहीं जानते कि पंजाब के लोगों को कभी भी रिमोर्ट कंट्रोल वाली सरकार पसंद नहीं आई। पंजाब के लोग खुले दिल वाले हैं और इस तरह की तुछ राजनीति को लोग पसंद नहीं करते। 

तीनों दलों में से कौन कांग्रेस पर हावी?
पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार की तो शुरूआत ही खराब हुई है। राज्य में सत्ता संभालते ही गैंग सक्रिय हो गए और यहां तक कि राज्य में गायक तथा राजनीतिज्ञ सिद्धू मूसेवाला का दिन दिहाड़े मर्डर हो गया। जहां तक भाजपा की बात है, भाजपा राज्य में अपने चिर परिचित स्टाइल में सत्ता हथियाने में अभी भी प्रयासरत है, जोड़ तोड़ की कोशिशें चल रही है, क्योंकि पार्टी इसी में विश्वास रखती है। जहां तक शिरोमणि अकाली दल की बात है तो इस पार्टी का अब कुछ नहीं हो सकता। बड़े बादल साहब अनुभवी थे, लेकिन उनके बाद अब पार्टी को संभालने वाला कोई नहीं है। बेशक पार्टी जोर आजमाइश कर रही है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि उसे कोई सफलता मिलेगी। हाल ही के विधानसभा चुनावों में पार्टी की स्थिति लोग देख चुके हैं। 

जालंधर में हिमाचल के लोग कितनी भूमिका निभाएंगे?
जालंधर में कांग्रेस को हराने के लिए 'आप' ने पूरा जोर लगा रखा है। अभी आखिरी सप्ताह में थैलियों के मुंह भी खुलेंगे, लेकिन पार्टी इस मामले में पूरी सजगता के साथ काम कर रही है। हिमाचल प्रदेश के बहुत से लोग पंजाब में रह रहे हैं, पार्टी लगातार उनके संपर्क में है तथा जालंधर लोकसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस के पक्ष में वोट करने के लिए उनसे अपील कर रही है। हिमाचल के पंजाब में रह रहे लोग एक बड़ा फैक्टर है, जो राज्य में किसी भी पार्टी की हार-जीत में अहम भूमिका निभाता है। हिमाचल के लोग वैसे आम आदमी पार्टी को पहले भी सबक सिखा चुके हैं तथा हिमाचल से पार्टी का बिस्तर गोल करके उन्हें वापस भेज चुके हैं। इस चुनाव में भी इस बात को लेकर कोई शंका नहीं है कि हिमाचल के लोग एक बार फिर से कांग्रेस के पक्ष में वोट करेंगे। 

पार्टी नेताओं में क्या खींचतान नहीं है?
पंजाब में जालंधर लोकसभा सीट को जिताने के लिए पूरी लीडरशिप काम में जुटी हुई है। पार्टी के किसी भी नेता की आपस में कोई निजी दुश्मनी नहीं है, सभी मिलकर काम कर रहे हैं क्योंकि पंजाब का हर कांग्रेसी पार्टी का सिपाही है। राज्य के बड़े से बड़े नेता से लेकर आम वर्कर तक सभी का एक ही लक्ष्य है कि जालंधर में लोकसभा सीट एक बार फिर से कांग्रेस के पक्ष में आए, जिसके लिए सभी मेहनत कर रहे हैं। हिमाचल में भी कांग्रेस के नेताओं ने मिलकर लड़ाई लड़ी थी और भाजपा को वहां से लौटा दिया। 

जो लोग कांग्रेस से नाराज होकर गए हैं, उन्हें वापस लाना अभी कोई योजना का हिस्सा नहीं है। अभी तो हम अपनी सीट को दोबारा रिटेन करने के लिए कोशिशें कर रहे हैं। बाकी जो लोग पार्टी से चले गए, वे उनकी सोच है। राजनीतिक दल को किसी के आने-जाने से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। कोई एक जाता है तो उसकी कमी पूरी करने के लिए 10 और वर्कर आगे आ जाते हैं। कांग्रेस एक पुरानी पारंपरिक पार्टी है तथा यह अपने टार्गेट पर फोकस होकर चल रही है और अभी का टार्गेट है जालंधर की लोकसभा सीट। 

कांग्रेस का जालंधर में मुकाबला किससे?
कांग्रेस का जालंधर लोकसभा चुनावों में किसी से कोई मुकाबला है ही नहीं, क्योंकि हम लोग जनशक्ति में विश्वास रखते हैं और जालंधर की जनता की शक्ति हमारे साथ है। कुछ लोग इस समय में धन शक्ति के माध्यम से जीत हासिल करना चाहते हैं, लेकिन वे इसमें सफल नहीं होंगे, क्योंकि जनता की शक्ति से ऊपर कुछ नहीं है। जालंधर की यह लोकसभा सीट की जीत पर ही आगे की कांग्रेस की रणनीति टिकी हुई है। यहां का वर्कर अपना काम कर रहा है ताकि पार्टी पंजाब में सफलता के डगर पर दोबारा चलनी शुरू हो जाए। जहां तक मुकाबले की बात है, तो भाजपा तथा अकाली दल तो कहीं पिक्चर में ही नहीं है, जबकि आम आदमी पार्टी के खुद के पसीने छूटे हुए हैं। अगर आम आदमी पार्टी को यहां सफलता मिलती दिखती तो सरकारी मशीनरी से लेकर सारा कैबिनेट जालंधर में लाने की जरूरत ही नहीं थी।

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