डेरा प्रमुख के पास सुरक्षा के नाम पर निजी कमांडो

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Aug, 2017 11:38 PM

private commandos in the name of security near dera chief

गत दिवस पंचकूला में हुई आगजनी व तोडफ़ोड़ की प्लानिंग पहले से की गई....

चंडीगढ़: गत दिवस पंचकूला में हुई आगजनी व तोडफ़ोड़ की प्लानिंग पहले से की गई थी। समर्थकों की आड़ में पहले ही उपद्रव फैलाने वाली टीम पंचकूला पहुंच चुकी थी। उनके पास पेट्रोल बम और हथियार थे। बता दें कि असला कई दिन पहले निर्धारित स्थलों तक पहुंच गया था। 

पंचकूला के सैक्टर-16 के एक निजी अस्पताल में बदमाशों ने ऑटोमैटिक गन से एक के बाद एक फायर किए। सैक्टर निवासी अशोक कुमार व रामपाल ने बताया कि यहां जब भीड़ ने हमला किया, तब पुलिस नहीं थी। करीब अढ़ाई हजार लोगों की भीड़ ने यहां हमला बोला। गनीमत रही कि अस्तपाल खाली था, इसलिए कोई नुक्सान नहीं हुआ। यदि अस्पताल में मरीज होते तो जान माल का बड़ा नुकसान हो सकता था।

शुक्रवार को पुलिस ने ऑप्रेशन में डेरे की गाडिय़ों से एक ए.के.47 राइफल, एक माऊजर जब्त की गई है, जबकि दूसरे एक अन्य वाहन से दो राइफल और पांच पिस्टल जब्त किए गए हैं। इससे साफ हो गया है कि डेरे ने पहले ही इस उपद्रव की तैयारी कर रखी थी। ए.के. 47 का इस्तेमाल पुलिस और सेना पर किया जाना था। पुलिस का कहना है कि समय रहते ये हथियार जब्त कर लिए गए, अन्यथा शहर में भारी खून-खराबा हो सकता था। डी.जी.पी. बी.एस. संधू ने हथियार मिलने की पुष्टि करते हुए बताया किडेरा समर्थकों के खिलाफ देशद्रोह के दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं। 

रहस्यमयी है डेरे का माहौल, होती है कड़ी पूछताछ 
डेरे के आस-पास रहने वालों ने बताया कि डेरा अपने अंदर एक रहस्य लिए हुए है। यहां हर किसी को अंदर आने की इजाजत नहीं है। यहां तक कि पुलिस और खुफिया विभाग के लोग भी डेरे के बारे में ज्यादा नहीं जानते थे। क्योंकि नेता अक्सर डेरे में आते-जाते रहते थे। इसलिए पुलिस और खुफिया विभाग पर भी एक दबाव-सा रहता था। यही वजह थी कि वे भी डेरे की गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे। इसका लाभ उठाकर डेरे के लोग यहां मनमर्जी करते हैं। 

विरोध करने वालों की कर दी जाती थी हत्या
सिरसा के पत्रकार छत्रपति ने जब डेरे के खिलाफ खबर छापी तो उनका कत्ल कर दिया गया। उसके बेटे ने बताया कि डेरे में गलत काम होता है। लेकिन यहां की मजबूत किलेबंदी की वजह से कुछ भी बाहर नहीं आता। कुरुक्षेत्र निवासी रणजीत सिंह ने जब डेरे के खिलाफ मुंह खोला तो उसकी भी हत्या कर दी गई। हत्या का आरोप डेरे पर लगा था। ये मामले गुरमीत राम रहीम के खिलाफ चल रहे हैं। रणजीत के रिश्तेदारों ने बताया कि यह हत्याकांड इसलिए हुआ, क्योंकि रणजीत डेरे में चल रहे काले कारनामों को जान गया था। इसलिए डेरे के गुंडों ने उसकी हत्या कर दी। उन्होंने बताया कि डेरे में बदमाशों की ऐसी फौज तैयार कर रखी थी।

पंचकूला को दहलाने की पहले से थी प्लानिंग 
खुफिया विभाग ने अलर्ट में आशंका जताई थी कि डेरा समर्थक भारी गड़बड़ी कर सकते हैं। समर्थकों के पास हथियार हो सकते हैं। लेकिन यह अलर्ट तब आया, जब तक समर्थक अपना काम कर चुके थे। सरकार ने एहतियात को लेकर कुछ कदम उठाए। इसके बाद बसें बंद करने के साथ ही डेरा समर्थकों की तलाशी का अभियान शुरू किया गया। इसमें दिक्कत यह रही कि सिर्फ आने वालों की तलाशी ही ली गई, जो पहले से समर्थक जमा हो गए थे, उनकी तलाशी नहीं ली जा सकी। 

समर्थकों को ढाल बना वारदात को अंजाम देना चाहते थे उपद्रवी 
पुलिस के मुताबिक डेरे के गुंडों की चाल थी कि लोगों की भीड़ को ढाल बनाकर वारदात को अंजाम दिया जाए। अर्धसैनिक बलों की टुकडिय़ों ने उनकी इस कोशिश को विफल कर दिया। यही वजह रही कि पुलिस ने पहले आंसू गैस छोड़ी, इसके बाद लाठीचार्ज किया। फिर गोली चलाई गई। यदि पुलिस पहले गोली चला देती तो मृतकों की संख्या बढ़ सकती थी। क्योंकि इस हालात में बेकसूर लोगों पर एक ओर से बदमाश तो दूसरी ओर से पुलिस वार कर रही होती। डी.जी.पी. ने बताया कि ऑप्रेशन में जो भी कदम उठाए गए ने हमारी रणनीति का हिस्सा थे।

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