लुधियाना में काम छूटने के बाद प्रवासी मजूदर 1000 किलोमीटर दूर पैदल लौटने को मजबूर

Edited By PTI News Agency,Updated: 17 May, 2020 05:15 PM

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पंजाब के लुधियाना में काम छूटने के बाद उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ निवासी विजय कुमार पैदल ही घर के लिए रवाना होने को मजबूर हैं। पत्नी और 11 साल की बेटी के साथ सफर तय कर रहे कुमार पुलिस की नजर से बचने के लिए गांव की सड़कों और घग्गर नदी पार कर सफर तय कर रहे...

चंडीगढ़, 17 मई (भाषा) पंजाब के लुधियाना में काम छूटने के बाद उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ निवासी विजय कुमार पैदल ही घर के लिए रवाना होने को मजबूर हैं। पत्नी और 11 साल की बेटी के साथ सफर तय कर रहे कुमार पुलिस की नजर से बचने के लिए गांव की सड़कों और घग्गर नदी पार कर सफर तय कर रहे हैं। कुमार के मुताबिक बार-बार कोशिश करने के बावजूद श्रमिक विशेष रेलगाड़ी में उन्हें जगह नहीं मिली।

 

कुमार बताते हैं कि जब उनके नियोक्ता ने कमरा खाली करने को कहा तब उन्होंने करीब एक हजार किलोमीटर दूर अपने पैतृक गांव लौटने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि वह एक गारमेंट फैक्टरी में काम करते थे लेकिन वहां करीब एक महीने से पगार नहीं मिली। चूंकी पंजाब पुलिस प्रवासी मजदूरों को सीमा पार करने की अनुमति नहीं दे रही है, इसलिए कुमार ने गांव-गांव होकर सफर तय करने का फैसला किया है। कुमार शनिवार सुबह पंजाब से हरियाणा घग्घर नदी को पार कर पहुंचे। उनकी तरह ही उत्तर प्रदेश और बिहार के अन्य प्रवासी भी लॉकडाउन और काम छूटने के बाद गांवों के रास्ते अपने पैतृक स्थानों की यात्रा कर रहे हैं। प्रवासी मजदूरों का एक अन्य समूह और उनका परिवार घग्गर नदी को पार कर हरियाणा के अंबाला जिले में इस उम्मीद से दाखिल हुआ कि यहां उनके घर जाने की मुश्किलें कुछ कम होंगी। इस समूह में शामिल एक युवक ने बताया कि वह लुधियाना की एक औद्योगिक ईकाई में काम करता था।

 


कुमार ने बताया, ‘‘लॉकडाउन लागू होने के बाद वहां कोई काम नहीं है। बचत के पैसे भी खत्म हो गए हैं और मेरा मकान मालिक पिछले दो हफ्ते से किराये के लिए दबाव बना रहा था। हम इस तरह कितने दिन तक रह सकते थे। इसलिए मैंने घर वापस लौटने का फैसला किया।’’
अंबाला के उपायुक्त अशोक शर्मा ने बताया कि प्रशासन ने प्रवासी कामगारों को अंबाला से बसों और रेलगाड़ियों में बैठाकर उत्तर प्रदेश और बिहार स्थित उनके गंतव्यों को रवाना किया है। अधिकारियों ने बताया कि हरियाणा की सीमा में दाखिल हो रहे प्रवासी मजदूरों को उनकी यात्रा की व्यवस्था होने तक राहत शिविरों में रखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि करीब एक हफ्ते पहले हरियाणा प्रशासन ने प्रवासी कामगारों को राहत शिविरों में रखने के लिए कदम उठाए थे।

 

अधिकारियों ने बताया कि प्रवासी कामगारों को उनके गांवों के लिए जिला प्रशासन द्वारा पंजीकरण और उनके गृह राज्यों से सहमति मिलने के बाद ही भेजा जा रहा है। हरियाणा की सीमा में दाखिल हुए कई प्रवासियों ने बताया कि वे सभी ऑनलाइन पंजीकरण नहीं करा पा रहे हैं। उन्होंने सरकार से घर पहुंचाने में मदद करने की गुहार लगाई। इसी तरह की खबर हरियाणा से उत्तर प्रदेश की सीमा में दाखिल होने के लिए महिलाओं और बच्चों सहित प्रवासियों द्वारा यमुना नदी पार करने की आई। यमुनानगर के जिला उपायुक्त मुकुल कुमार ने कहा कि इस तरह की घटना उनके संज्ञान में नहीं आई है। हालांकि, उन्होंने शनिवार को पुलिस और नागरिक प्रशासन के अधिकारियों के साथ इलाके का दौरा किया ताकि पता लगाया जा सके कि क्या कोई प्रवासी नदी पार करके आ रहा है। उन्होंने शनिवार को कहा, ‘‘ सुबह से मैं दौरे पर हूं। हमारा प्रवर्तन दल भी कार्य कर रहा है लेकिन हमने किसी प्रवासी को युमना नदी पार करते हुए नहीं देखा।’’ हरियाणा का फरीदाबाद जिला जिसकी सीमा राष्ट्रीय राजधानी से लगती है। वहां पर भी देर रात सड़कों के किनारे मजूदरों को इस उम्मीद के साथ बैठे हुए देखा गया कि कोई ट्रक आएगा जिस पर सवार होकर वे कुछ दूरी तय कर सकेंगे। कुछ ने दावा किया कि वे दिल्ली और गाजियाबाद से आए हैं। एक महिला जिसकी गोद में बच्चा था ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ उत्तरप्रदेश के झांसी जा रही है।
कुछ प्रवासियों ने दावा किया कि लॉकडाउन लागू होने के बाद उनका काम छूट गया और सरकार ने खाने की व्यवस्था की लेकिन अब वे घर जाना चाहते हैं।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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