सरकार के साथ बैठक के बावजूद उगराहां धड़ा जारी रखेगा निजी थर्मलों का घेराव

Edited By Ajesh K Dharwal,Updated: 29 Oct, 2020 11:47 PM

thermal plant

सरकार को चुनाव से पहले थर्मल प्लांटो बारे वायदा याद करने के लिए कहा

चंडीगढ़, (रमनजीत): पंजाब सरकार के तीन मंत्रियों की तरफ से भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के नेताओं को पंजाब भवन चंडीगढ़ में बुलाकर बणांवाली और राजपुरा थर्मलों के घेराव खत्म करने की मांग को किसान नेताओं ने रद्द कर दिया है। किसानों ने संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया है। नेताओं ने कहा है कि जत्थेबंदी की सूबा समिति में सरकार की मांग पर विचारा किया जाएगा। नेताओं कहा कि खेती कानूनों को रद्द करवाने के लिए भाजपा नेताओं के घेराव और कॉर्पोरेट घरानों के कारोबारों को ठप्प करने के संघर्ष को जारी रखने की कड़ी के तौर पर ही राजपुरा और बणांवाली में लार्सन एंड टूब्रो और वेदांता कंपनी के थर्मलों को ठप्प करने के लिए कई दिनों से विशेष रेल लाइनों पर धरने दिए हुए हैं। पंजाब के 3 मंत्रियों तृप्त राजेंद्र सिंह बाजवा, सुखजिंद्र सिंह रंधावा और सुखबिंद्र सिंह सुख सरकारिया ने भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के राज्य प्रधान जोगिंद्र सिंह  उगराहां, महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां, जसविंद्र सिंह  लोंगोवाल, रूप सिंह छन्ना और मनजीत सिंह न्याल के साथ बैठक की।

 


किसान नेता उगराहां और महासचिव कोकरीकलां ने कहा कि सरकार द्वारा थर्मलों के घेराव खत्म करने की मांग तुरंत रद्द कर दी गई। मंत्रियों ने सरकार की मांग को फिर विचारने की अपील की। नेताओं ने कहा कि उन्होंने अपील को कल होने वाली राज्य मीङ्क्षटग में विचारने की हामी भरी है परंतु फैसले में बदलाव की गुंजाइश कम ही है जिस बारे सरकारी पक्ष को भी स्पष्ट कर दिया है। सरकारी पक्ष से मांग की कि कद्दावर कंपनियों के थर्मलों को सरकारी हाथों में लेकर वहां मजदूरों और मुलाजिमों को पूरे वेतन पर पक्के किया जाए। इन थर्मलों को जाता कोयला सरकारी थर्मलों को भेज कर पूरे लोड और बङ्क्षठडा के बंद थर्मल प्लांट को फिर चलाया जाए। किसान नेताओं ने मंत्रियों से पूछा कि 2017 चुनाव के समय कांग्रेस ने बादल सरकार द्वारा प्राइवेट थर्मलों के साथ समझौते रद्द करने का वायदा किया था उसे पूरा क्यों नहीं किया जा रहा? उगराहां और कोकरीकलां ने कहा कि बणांवाली का थर्मल उस कद्दावर बहुराष्ट्रीय वेदांता कंपनी का है जिसकी सालाना आमदन एक लाख करोड़ से ज्यादा है। यह वही कंपनी है जो सरकारों की मिलीभगत के चलते सार्वजनिक क्षेत्र के अदारे बालको और हिन्दोस्तान ङ्क्षजक लिमटिड को कौडिय़ों के भाव निगल चुकी है। यह कंपनी तमिलनाडु के टूटीकोरन में फैलाए असह प्रदूषण का विरोध करते 13 लोगों के कत्ल और 102 को गंभीर जख्मी करने की भी आरोपी है। इसके अलावा यह कंपनी उड़ीसा के न्यामगिरी क्षेत्र में वहां के बहुकीमती कुदरती स्रोतों को हड़पने के लिए स्थानीय बाङ्क्षशदों को उजाडऩे पर तुली हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी की तरफ से गुजरात

के मुख्यमंत्री होते हुए सब कानूनों को दरकिनार करके लार्सन एंड टूब्रो को कौडिय़ों के भाव जमीनें दी गई थीं। उन्होंने कहा कि इस कंपनी के कुल संपत्ति 3 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा है और इस पर भारतीय अधिकारियों को 27 करोड़ रुपए की रिश्वत देने में दलाली के भी आरोप हैं। 
नेताओं ने कहा कि जत्थेबंदी की तरफ से प्रधानमंत्री के चहेते अडानी के साईलो गोदाम और मोदी की दाहिनी बायीं बाजुओं वेदांता और लार्सन एंड टूब्रो के थर्मल प्लांटों को जाम करके बिल्कुल ठीक टिकाने पर चोट मारी गई है। उन्होंने दावा किया कि किसान संघर्ष ने साम्प्रदायिक, जातपात, अंधे राष्ट्रवाद और देशभक्ति के पत्ते खेलकर लोगों को गुमराह करने की चैंपियन भाजपा और आर.एस.एस. सरकार की सब चालें उलटी करके उसको नंगे रूप में कॉर्पोरेट घरानों के हत्थठोके तौर पर जाहिर कर दिया है जो किसान संघर्ष की अहम प्राप्ति है। 
उन्होंने कहा कि यही वजह है कि मोदी सरकार उकसाहट में आकर माल गाडिय़ां और देहाती विकास फंड रोकने के द्वारा पंजाब की नाकाबंदी करने पर उतर आई है। उन्होंने ऐलान किया कि काले खेती कानूनों को रद्द करवाने के लिए वह अपना संघर्ष जारी रखेंगे और 5 नवम्बर को देश व्यापक चक्का जाम समय उनकी जत्थेबंदी अपने आजाद एक्शन के द्वारा पूरा योगदान डालेगी।

 

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