राजस्थान में चल रहे राजनीतिक संकट में बीटीपी के दो विधायकों की निर्णायक भूमिका

Edited By PTI News Agency,Updated: 19 Jul, 2020 04:02 PM

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जयपुर, 19 जुलाई (भाषा) राजस्थान में 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश के आदिवासी इलाकों में भाजपा और कांग्रेस के लिये एक बड़ी चुनौती बनकर ऊभरी भारतीय ट्राइबल पार्टी ने दावा किया कि राज्य के राजनीतिक संकट के समाधान में उसकी भूमिका निर्णायक...

जयपुर, 19 जुलाई (भाषा) राजस्थान में 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश के आदिवासी इलाकों में भाजपा और कांग्रेस के लिये एक बड़ी चुनौती बनकर ऊभरी भारतीय ट्राइबल पार्टी ने दावा किया कि राज्य के राजनीतिक संकट के समाधान में उसकी भूमिका निर्णायक होगी।

प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता की शुरुआत में बीटीपी ने अपने विधायकों राजकुमार रोत और रामप्रसाद डिंडोर को तटस्थ रहने को कहा था। पार्टी ने 13 जुलाई को व्हिप जारी कर दोनों विधायकों से कहा था कि वे भाजपा, कांग्रेस (गहलोत या पायलट दोनों को) किसी के पक्ष में मतदान ना करें। लेकिन बाद में मौजूदा सरकार के साथ समझौता होने के बाद बीटीपी ने खुल कर गहलोत सरकार का समर्थन किया है।

गुजरात आधारित पार्टी के महेशभाई सी वसावा ने रविवार को फोन पर पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘वर्तमान राजनीतिक स्थिति में हम किंग मेकर बनने की स्थिति में हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आदिवासी इलाकों में विकास और आदिवासी हितों से जुड़ी मांगें मानने के आश्वासन के बाद हमने अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने का निर्णय लिया।’’
उन्होंने कहा कि आदिवासी मामलों को लेकर हम कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ खड़े थे लेकिन सरकार ने अब हमारे मुद्दों पर साथ देने का आश्वासन दिया है, इसलिए हम सरकार को पूरा समर्थन दे रहे हैं। आखिरकार सरकार आदिवासी कल्याण और विकास के एजेंडे को पूरा कर रही है।

बीटीपी क्षरा व्हिप जारी किए जाने के बावजूद डंगूरपुर जिले के सागवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक डिंडोर ने कहा था कि ‘‘वह और रोत गहलोत सरकार का साथ देंगे।’’
डूंगरपुर जिले के चौरासी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रोत का कहना है, ‘‘हमने कांग्रेस सरकार द्वारा अपनी मांगों पर आश्वासन मिलने के बाद पिछले पिछले राज्यसभा चुनाव में उसका साथ दिया था। लेकिन, हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं। इसलिए हमने पहले गहलोत सरकार को समर्थन नहीं देने का फैसला किया था। लेकिन जब उन्होंने मांगे तत्काल मान लेने का आश्वासन दिया तो हमने अपना फैसला बदल लिया।’’
गौरतलब है कि रोत ने डूंगरपुर जाने के दौरान जयपुर में पुलिस द्वारा रोके जाने और उनके वाहन की चाभी छीन लेने संबंधी जो वीडियो जारी किए थे, जो वायरस हो गए। रोत ने आरोप लगाया था कि पुलिस उन्हें जाने नहीं दे रही है।

इस कथित वीडियो के आने के बाद भाजपा ने आचरण को लेकर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा था।

रोत ने कहा कि मुझे नहीं पता पुलिसकर्मियों के दिमाग में क्या चल रहा था। उन्होंने कहा कि कुछ गलतफहमी थी और अब सब ठीक है। रोत ने कहा कि उनकी पार्टी बीटीपी का एजेंडा आदिवासी क्षेत्रों का विकास है और मुख्यमंत्री के समक्ष रखी गयी सभी 17 मांगें इसी से जुड़ी हुई हैं।

पिछले सोमवार से जयपुर— दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग के जिस होटल में अशोक गहलोत खेमे के विधायक डेरा डाले हुए हैं उसके बाहर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता में शनिवार को बीटीपी के विधायकों ने अधिकारिक तौर पर अशोक गहलोत सरकार के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने की घोषणा की थी।

पार्टी के एक अन्य नेता ने बताया कि हमारी मांग आदिवासी इलाके में भर्तियों में आरक्षण, आदिवासी इलाके के फंड को केवल आदिवासी कल्याण पर खर्च करने से जुड़ी है।

2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव से पूर्व 2017 में गुजरात से राजस्थान में प्रवेश करने वाली पार्टी ने राजस्थान के दक्षिण इलाकों के आदिवासी क्षेत्र में 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे और दो विधायकों ने जीत दर्ज की थी। अधिकतर पार्टी उम्मीदवार युवा थे और रोत जब चुनाव जीते थे उस समय केवल 26 साल के थे।

राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को अस्थिर करने के कथित षडयंत्र मामले में पुलिस के विशेष कार्यबल एसओजी द्वारा 10 जुलाई को मामला दर्ज किये जाने के बाद राज्य में राजनीतिक संकट शुरू हुआ। उस प्राथमिकी के संबंध दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

संकट उस समय गहरा गया था जब पायलट ने व्हाट्सएप ग्रुप में एक बयान के जरिये दावा किया कि अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में है और उनके पास 30 विधायकों को समर्थन है।

कांग्रेस ने अशोक गहलोत मंत्रिमंडल से सचिन पायलट, विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा को हटा दिया है और विधायक भंवरलाल शर्मा व विश्वेन्द्र सिंह को षडयंत्र में शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया है।


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