मृत्यु के समय मनुष्य और भगवान में होती हैं ये बातें!

Edited By ,Updated: 13 Sep, 2015 09:59 AM

article

धरती के प्राणी का अंतिम समय था। उसे अनुभव हुआ भगवान उसके समीप आ रहे हैं और उनके हाथ में एक बैग है। भगवान ने उसके पास आकर कहा

धरती के प्राणी का अंतिम समय था। उसे अनुभव हुआ भगवान उसके समीप आ रहे हैं और उनके हाथ में एक बैग है। भगवान ने उसके पास आकर कहा, " वत्स! चलो धरती पर तुम्हारा समय पूरा हुआ।"

पढ़ें,  जन्म तारिख के अनुसार जानें अपना सप्ताहिक राशिफल

पढ़ें,  सेहत और धन के राज बयां करती है रसोई आईए जानें कैसे

पढ़ें, भगवान श्रीकृष्ण के अंतिम पलों का गवाह है यह स्थान

पढ़ें,  रोगों से मिलेगी निजात, धन से भरेंगे भंडार, सूर्य ग्रहण पर करें विशेष उपाय

प्राणी पहले तो हैरान होकर भगवान को एकटक निहारता रहा फिर बोला,"नहीं भगवन! मुझे अभी नहीं जाना आपके साथ, मुझे धरती पर रहना है और बहुत से काम पूरे करने हैं। आपके हाथ में यह जो बैग है इसमें क्या है?"   

भगवान बोले,"आपका सामान।"
 
प्राणी उत्तेजित होता हुआ बोला," मेरा सामान यानि मेरी जरूरत की वस्तुएं और धन-दौलत।"
 
भगवान ने मुस्कराते हुए कहा," पुत्र! ये पृथ्वी से सम्बंधित सामान नहीं है।"
 
प्राणी बोला, "फिर मेरे सारे जीवन की मधुर यादें होंगी।"
 
भगवान ने जबाव दिया, "वे तो कभी तुम्हारी थी ही नहीं वे तो समय से उत्पन्न हुई थी और समय में ही समा कर धुमिल हो गई।"
 
प्राणी बोला, "तो अवश्य ही ये मेरी बुद्धिमत्ता होगी।"
 
भगवान ने फिर कहा,"वह भी तुम्हारी नहीं थीं वो तो परिस्थितियों की जननी थी।
 
प्राणी खुश होते हुए पुन: बोला, " तो इसमें मेरे परिवार और सगे-संबंधी हैं।"
 
भगवान फिर मुस्कराए और बोले, " उनसे तो कभी तुम्हारा कोई संबंध था ही नहीं। वह तो तुम्हें राह में मिले और पल भर का रिश्ता बन गया। जोकि पानी के एक बुलबुले के समान था।  
 
प्राणी बोला, " फिर तो निश्चित तौर पर यह मेरी देह होगी।"
 
भगवान ने कहा," वह तो कभी तुम्हारी हो ही नहीं सकती क्योंकि वह तो मिट्टी है।
 
प्राणी बोला, " अच्छा तो फिर यह मेरी आत्मा होगी।"
 
भगवान ने कहा," वह तो सदा से ही मेरी थी। उसमें मैं ही समाहित था।"
 
प्राणी बहुत डर गया उसने लपक कर भगवान के हाथ से बैग खिंच लिया और उसे जल्दी से खोला की आखिर उसमें है क्या? बैग बिल्कुल खाली था। प्राणी जोर-जोर से रोने लगा और बोला," भगवन! मेरे पास कुछ भी नहीं है।"
 
भगवान ने जबाव दिया,"जीवन का प्रत्येक क्षण जो तुमने अपनी इच्छा के अनुसार जीया वही सत्य था केवल वही तुम्हारा था। जीवन चलायमान है और वे प्रत्येक पल आपका है जो आप जी रहे हैं। संसार की जितनी भी भौतिक वस्तुएं हैं जिन्हें आप पाना चाहते हैं लेकिन उन्हें पा नहीं पाते उसके लिए आप अच्छे-बुरे कर्म करते हैं केवल उन कर्मों को साथ ले जाते हैं न की उन वस्तुओं को।"
 
कर्म का ज्ञान होना चाहिए, विकर्म और अकर्म का भी ज्ञान होना चाहिए क्योंकि कर्म को समझ पाना बहुत मुश्किल है। जिसके मन को राग और द्वेष हिलाते रहते हों, समय-समय अहंकार बाहर आ जाता हो, जिसको काम, क्रोध, लोभ, मोह और भय परेशान करता हो, ऐसे इंसान द्वारा किया गया काम कर्म कहलाता है। इसमें पाप और पुण्य मिला-जुला होता है मगर जब इंसान इनसे ऊपर उठकर मन और इंद्रियों को अपने वश में कर लेता है, तब वह योगी हो जाता है। अब उसके द्वारा किया गया हर कर्म निष्काम होता है, फलरहित होता है और इसे अकर्म कहते हैं। 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!