प्रेरणात्मक कहानी: इस सीख को अपनाएंगे तो गूंजने लगेगा जयकार नाद

Edited By ,Updated: 29 Jun, 2016 08:59 AM

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भावनगर के राजा एक बार गर्मियों के दिनों में अपने आम के बागों में आराम कर रहे थे। वह बहुत ही खुश थे कि उनके बागों में बहुत अच्छे आम लगे थे और ऐसे में वह अपने ख्यालों में खोए हुए थे। तब वहां से गरीब किसान गुजर रहा था और वह बहुत भूखा था। उसका परिवार...

भावनगर के राजा एक बार गर्मियों के दिनों में अपने आम के बागों में आराम कर रहे थे। वह बहुत ही खुश थे कि उनके बागों में बहुत अच्छे आम लगे थे और ऐसे में वह अपने ख्यालों में खोए हुए थे। तब वहां से गरीब किसान गुजर रहा था और वह बहुत भूखा था। उसका परिवार पिछले 2 दिनों से भूखा था तो उसने देखा कि क्या मस्त आम लगे हैं, अगर मैं यहां से कुछ आम तोड़ कर ले लाऊं तो मेरे परिवार के खाने का बंदोबस्त हो जाएगा। यह सोच कर वह उस बाग में गया तो उसे पता नहीं था कि इस बाग में भावनगर के राजा आराम कर रहे हैं। उसने तो चोरी-छिपे प्रवेश करते ही एक पत्थर उठाकर आम के पेड़ पर मार दिया और वह पत्थर आम के पेड़ से टकराकर सीधा राजा के सिर पर जा लगा। राजा का पूरा सिर खून से लथपथ हो गया और वह अचानक हुए हमले से अचंभित थे तथा उन्हें यह समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर उन पर हमला किसने किया।

 

राजा ने अपने सिपाहियों को आवाज दी तो सारे सिपाही दौड़े चले आए और राजा का यह हाल देख उन्हें लगा कि किसी ने उन पर हमला किया है। वे बगीचे के चारों तरफ आरोपी को ढूंढने लगे। इस शोर-शराबे को देखकर गरीब किसान समझ गया कि कुछ गड़बड़ हो गई है। वह डर के मारे भागने लगा। सिपाहियों ने इस गरीब किसान को दरबार में पेश किया और राजा ने उससे सवाल किया कि तूने मुझ पर हमला क्यों किया। 

 

गरीब किसान डरते-डरते बोला, ‘‘माई-बाप मैंने आप पर हमला नहीं किया है, मैं तो सिर्फ आम लेने आया था। मैं और मेरा परिवार पिछले 2 दिनों से भूखे थे इसलिए मुझे लगा कि अगर यहां से कुछ फल मिल जाएं तो मेरे परिवार की भूख मिट सकेगी। यह सोचकर मैंने वह पत्थर आम के पेड़ को मारा था। मुझे पता नहीं था कि आप उस पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे और वह पत्थर आपको लग गया।’’

 

यह सुनकर सभी दरबारी बोलने लगे कि अरे मूर्ख, तुझे पता है कि तूने कितनी बड़ी भूल की है। तूने इतने बड़े राजा के सिर पर पत्थर मारा है, अब देख तेरा क्या हाल होता है। राजा ने सभी दरबारियों को शांत रहने को कहा और बोले, ‘‘भला अगर एक पेड़ को कोई पत्थर मारता है और वह फल दे सकता है तो मैं तो भावनगर का राजा हूं, मैं इसे दंड कैसे दे सकता हूं। अगर एक पेड़ पत्थर खाकर कुछ देता है तो मैंने भी पत्थर खाया है, मेरा भी फर्ज बनता है कि मैं भी इस गरीब किसान को कुछ दूं।’’ 

 

उन्होंने अपने मंत्री को आदेश दिया कि जाओ और हमारे अनाज भंडार से इस इंसान को पूरे एक साल का अनाज दे दो।  वह गरीब किसान भी राजा की दया और उदारता देखकर अपने आंसू नहीं रोक पाया और भावनात्मक होकर राजा के सामने झुक कर कहने लगा कि धन्य भाग हैं इस भावनगर के जिसको इतना परोपकारी दयालु राजा मिला और पूरे दरबार में राजा का जयकार नाद गूंजने लगा।

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