शास्त्रों से जुड़ी पवित्र कथाओं से जानें क्यों मनाए जाते हैं नवरात्र

Edited By ,Updated: 08 Apr, 2016 12:08 PM

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नवरात्रि हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। संस्कृत के शब्द नव का अर्थ नौ और रात्रि का मतलब रात यानि नौ रातें।

नवरात्रि हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। संस्कृत के शब्द नव का अर्थ नौ और रात्रि का मतलब रात यानि नौ रातें। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान,देवी दुर्गा के नौ रूपों (शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चंद्रघंटा कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री) की पूजा की जाती है। नवरात्रे वर्ष में चार बार आते हैं लेकिन मुख्य रूप से साल में 2 बार ही (चैत्र और शारदीय नवरात्र) के नवरात्रे ही धूमधाम से मनाए जाते हैं।

भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है। गुजरात में तो यह बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं।  डांडिया और गरबा वहां की विशेषता है। शक्ति के सम्मान में गरबा आरती से पहले किया जाता हैं और उसके बाद डांडिया। पश्चिम बंगाल के राज्य में बंगालियों के मुख्य त्यौहारों में दुर्गा पूजा सबसे अलंकृत रूप में उभरा है।

नवरात्रि से जुड़ी पवित्र कथाएं-

पौराणिक कथा के अनुसार नवरात्रि में मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध करके देवताओं को उसके कष्टों से मुक्त किया था। महिषासुर ने भगवान शिव की आराधना कर बहुत सारी अद्वितीय शक्तियां प्राप्त की थी। ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों देव उसे हारने में असमर्थ थे। उसके आतंक से दुखी होकर सभी देवताओं ने अपनी-

अपनी- अपनी शक्तियों को मिलाकर दुर्गा को अवतरि‍त किया। अनेक शक्तियों के तेज से जन्मीं माता दुर्गा ने महिषासुर का वध कर सबके कष्टों को दूर किया।

 एक नगर में एक ब्राह्माण रहता था। वह मां भगवती दुर्गा का परम भक्त था। ब्राह्मण नियम पूर्वक प्रतिदिन दुर्गा की पूजा और यज्ञ किया करता था। ब्राह्मण की पुत्री सुमति भी रोज इस पूजा में भाग लेती थी लेकिन एक दिन खेलने कूदने में व्यस्त होने के कारण वह पूजा में शामिल नहीं हो पाई। पिता ने इसी क्रोध में आकर उसे कहा कि वह उसका विवाह किसी दरिद्र और कोढ़ी से करेगा।  पिता की बातों से दुखी होने के बावजूद उसने सहर्ष उसे स्वीकार कर लिया। कई बार भाग्य का लिखा नहीं बदलता। अपनी कहीं बात के अनुसार पिता ने एक कोढ़ी के साथ बेटी की शादी कर दी। सुमति अपने पति के साथ विवाह कर चली गई। उसके पति का घर नहीं था इस लिए उसे जंगल में ही घास के आसन पर रात गुजारनी पड़ी। गरीब कन्या की दशा देखकर माता भगवती उसके द्वारा पिछले जन्म में किए गए उसके पुण्य के प्रभाव से प्रसन्न होकर प्रकट हुई और सुमति से बोली हे कन्या,'मैं तुम पर प्रसन्न हूं मैं तुम्हें वरदान देना चाहती हूं। मांग कोई वरदान।'

सुमति ने देवी से पूछा, 'आप मेरी किस बात पर प्रसन्न हैं?'

कन्या की बात सुनकर देवी कहने लगी, 'मैं पूर्व जन्म के तुम्हारे पुण्य के प्रभाव से प्रसन्न हूं, तुम पूर्व जन्म में भील की पतिव्रता स्त्री थी। एक दिन तुम्हारे पति भील द्वारा चोरी करने के कारण तुम दोनों को सिपाहियों ने पकड़ कर जेलखाने में कैद कर दिया था। उन लोगों ने तुम्हें और तुम्हारे पति को भोजन भी नहीं दिया था। इस प्रकार नवरात्र के दिनों में तुमने न तो कुछ खाया और न ही जल पिया इसलिए नौ दिन तक नवरात्र व्रत का फल तुम्हें प्राप्त हुआ। जो अनजाने में व्रत हुआ उससे में प्रसन्न होकर आज तुम्हें मन वांछित वरदान दे रही हूं।'

सुमति ने कहा कि अगर आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो कृपा करके मेरे पति का कोढ़ दूर कर दीजिए। माता ने उसकी ये इच्छा पूरी की। मां भगवती की कृपा से सुमति का पति रोगहीन हो गया। 

 रामायण के एक प्रसंग अनुसार भगवान श्री राम, लक्ष्मण, हनुमान व समस्त वानर सेना द्वारा आश्चिन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नौ दिनों तक माता शक्ति की उपासना कर दशमी तिथि को लंका पर आक्रमण किया था। इस तरह नवरात्रों में माता दुर्गा की पूजा करने की प्रथा के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं जिसके बाद से ही नवरात्रि का पर्व आरंभ हुआ और माता दुर्गा की पूजा होने लगी। 

- वंदना डालिया

 

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