Edited By ,Updated: 15 Apr, 2016 12:56 PM
किसी शहर में एक जौहरी रहता था। उसका भरा-पूरा परिवार था। एक दिन अचानक दिल का दौरा पडऩे के कारण उसका निधन हो गया। उसके निधन के बाद परिवार संकट में पड़ गया। हालांकि पत्नी ने बुरे दिनों के लिए कुछ रुपए-पैसे बचाकर रखे थे पर भला वे कितने दिन तक
किसी शहर में एक जौहरी रहता था। उसका भरा-पूरा परिवार था। एक दिन अचानक दिल का दौरा पडऩे के कारण उसका निधन हो गया। उसके निधन के बाद परिवार संकट में पड़ गया। हालांकि पत्नी ने बुरे दिनों के लिए कुछ रुपए-पैसे बचाकर रखे थे पर भला वे कितने दिन तक चलते? इसलिए उनके खाने के लाले पड़ गए। जौहरी की पत्नी के पास एक नीलम का हार था। उसने अपने बेटे को वह हार देकर कहा, ‘‘बेटा इसे अपने चाचा की दुकान पर ले जाओ। कहना इसे बेचकर रुपए दे दें जिससे परिवार का खर्चा चल सके।’’
बेटे ने हार को एक थैले में रखा और उसे लेकर चाचा के पास जा पहुंचा। हार को देखकर चाचा चौंक उठे। वे उसे कुछ रुपए देते हुए बोले, ‘‘बेटा यह पैसे तुम रख लो और जहां तक हार की बात है इसे तुम वापस लेते जाओ। मां से कहना कि अभी बाजार बहुत मंदा है।’’
फिर वे थोड़ा रुककर बोले, ‘‘कल से तुम दुकान पर आ जाना। कुछ काम-धंधा सीखोगे तो दो-चार रुपए की आमदनी भी हो जाएगी।’’
चाचा जी की बात सभी को अच्छी लगी। अगले दिन से लड़का दुकान पर जाने लगा और चाचा के साथ रह जौहरी का काम सीखने लगा। देखते ही देखते काफी समय बीत गया। एक दिन वह लड़का हीरे-जवाहरात का बड़ा पारखी बन गया। एक दिन मौका देखकर चाचा ने उससे कहा, ‘‘बेटा तुम्हें ध्यान होगा कि एक दिन तुम एक नीलम का हार बेचने के लिए लाए थे। उसे अपनी मां से लेकर आना, आजकल बाजार बहुत तेज है, उसके अच्छा दाम मिल जाएंगे।’’
लड़का जब शाम को अपने घर पहुंचा तो उसने मां से वह हार मांगा। मां ने जब नीलम का हार लड़के के हाथ में रखा तो वह आश्चर्यचकित रह गया। वह हार नकली था लेकिन इस बात ने उसे सोच में डाल दिया। अगर यह हार नकली है तो उस समय उसे चाचा जी ने यह बात क्यों नहीं बताई थी, जब वह उसे बेचने के लिए चाचा जी के पास लेकर गया था?
चाचा जी ने जब उसकी बात सुनी तो वे बोले, ‘‘बेटा जब तुम पहली बार हार लेकर आए थे तब मैंने जानबूझ कर इसे नकली नहीं बताया था क्योंकि उस समय तुम्हारे परिवार के बुरे दिन चल रहे थे। उस समय तुम मेरी बात पर यकीन न करते। तुम्हें लगता कि हमारे बुरे दिन चल रहे हैं तो चाचा भी हमें ठगने की सोच रहे हैं। इससे तुम्हारी नजर में हम अनावश्यक रूप से बुरे बन जाते और हमारे संबंध खराब हो जाते। इसलिए मैंने उस दिन मंदी का बहाना करके हार बेचने से मना कर दिया था।
आज जब तुम्हें खुद रत्नों की परख हो गई है तो तुम्हें स्वयं ही पता चल गया कि हार सचमुच नकली है।’’
दोस्तो, ऐसा अक्सर हमारे साथ भी होता है। हम किसी भी घटना अथवा बात की गहराई को समझ नहीं पाते और लोगों के साथ अपने संबंध खराब कर लेते हैं जबकि उसके पीछे की वजह दूसरी होती है। इसलिए जब भी कभी ऐसा अवसर आए जिससे आपके रिश्ते प्रभावित हो रहे हैं, वहां तत्काल कोई निर्णय न लें।