एक रात में हुआ संत का यौवन गायब, जानिए कितने काल तक रहता है शरीर और धन

Edited By ,Updated: 15 Sep, 2016 03:17 PM

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तमिल महिला संत अवय्यार के माता-पिता का निधन तभी हो गया था जब वह काफी छोटी थीं। एक दयालु कवि ने उनका लालन-पालन किया।

तमिल महिला संत अवय्यार के माता-पिता का निधन तभी हो गया था जब वह काफी छोटी थीं। एक दयालु कवि ने उनका लालन-पालन किया। जब उनकी उम्र 16 वर्ष की हुई तो योग्य वर की खोज की जाने लगी। देखने में तो वह सुंदर थीं ही, एक राजकुमार ने उन्हें पसंद भी कर लिया लेकिन महिला संत अवय्यार का ध्यान बचपन से ही भगवद्न भजन में लग गया था। उन्हें घर-गृहस्थी से विरक्ति हो गई थी। 


उन्होंने अपने अभिभावकों से कहा, ‘‘मैंने तो अपना जीवन भगवद्जन काव्य रचना और जनसेवा में बिताने का निश्चय किया है। आप मेरे विवाह का विचार त्याग दें।’’ 

किंतु परिजनों ने उनकी बात अनसुनी कर दी। जब अवय्यार ने देखा कि उनके कहने का कोई असर नहीं हुआ है तो उन्होंने विचार किया कि जिस यौवन और रूप-सम्पदा के कारण उन्हें वैवाहिक बंधन में जकड़ा जा रहा है यदि वही न रहें तो उनकी इच्छा पूरी हो सकती है।

वह भगवान की शरण में गईं और उनसे याचना की, ‘‘भगवन, मेरा यौवन और सौंदर्य भजन-पूजन, सरस्वती की उपासना और ज्ञान-दान में बाधक बन रहे हैं इसलिए हे प्रभु, मेरे इस तन को कुरूप कर दो ताकि मैं बेहिचक सबकी सेवा कर सकूं।’’ 


कहते हैं परमात्मा ने उनकी आर्त पुकार सुन ली और एक रात्रि में ही अवय्यार के शरीर का सारा तेज जाता रहा। वह एक अधेड़ की भांति कुरूप दिखाई देने लगीं।


लोगों ने जब देखा तो हैरान हो गए मगर बाद में उन्हें सही बात पता चली तो वे उनके त्याग की प्रशंसा करने लगे। इसके बाद अवय्यार ने अपना जीवन भगवद्न भजन और धार्मिक ग्रंथ रचना में व्यतीत किया। 


उनके एक ग्रंथ ‘नीति नेरि विलख्खम’ में लिखा है कि शरीर पानी का बुलबुला और धन-सम्पत्ति समुद्र की लहरें हैं। पानी से लिखी रेखाएं जितने समय तक टिकती हैं, शरीर और धन भी उतने ही काल तक रहता है। 

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