सत्य कहानी: भक्त की सेवा से प्रसन्न होकर मूर्ति से प्रकट हुए भगवान

Edited By ,Updated: 26 May, 2016 09:10 AM

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भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं में जो द्वादश गोपालों के बीच अर्जुन सखा हैं, वे ही भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी की लीलाओं में श्रीपरमेश्वर दास (श्रीपरमेश्वरी दास) बन कर

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं में जो द्वादश गोपालों के बीच अर्जुन सखा हैं, वे ही भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी की लीलाओं में श्रीपरमेश्वर दास (श्रीपरमेश्वरी दास) बन कर आए। आप श्रीनित्यानन्द जी के प्रधान पार्षद हैं। वे श्रीचैतन्य महाप्रभु जी की एक मूर्ति (विग्रह) की बहुत भाव से सेवा करते थे। उनकी सेवा से प्रसन्न होकर श्रीचैतन्य महाप्रभु जी उसमें से साक्षात प्रकाशित हो गए थे। 

 

एक बार जब आप श्रीमती जाह्नवा देवी के साथ ब्रज की यात्रा पर गए। वहां पर श्रीमती जाह्नवा देवी की कृपा से आपको श्रीराधा-गोपीनाथ जी के दर्शन हुए थे। ऐसी लीला के दर्शन कर, आपने श्रीमती जाह्नवा जी के आदेश से श्री राधा-गोपीनाथ जी की विग्रह प्रतिष्ठा की थी। 

 

श्रीचैतन्य चरितामृत के अनुसार आपने श्रीनित्यानन्द जी की एकमात्र शरण ली है, जो आपका स्मरण करेगा उसे कृष्ण-भक्ति प्राप्त हो जाएगी।

 

श्री चैतन्य गौड़िया मठ की ओर से

श्री भक्ति विचार विष्णु जी महाराज

bhakti.vichar.vishnu@gmail.com

 

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