कृष्णावतार

Edited By ,Updated: 11 Sep, 2016 12:21 PM

sri krishna

एक मधुर मुस्कान बिखेरते हुए द्रौपदी ने अर्जुन का स्वागत किया और इसके बाद पांडवों ने देवराज इंद्र के रथ की परिक्रमा की तथा देवराज इंद्र के सारथी

एक मधुर मुस्कान बिखेरते हुए द्रौपदी ने अर्जुन का स्वागत किया और इसके बाद पांडवों ने देवराज इंद्र के रथ की परिक्रमा की तथा देवराज इंद्र के सारथी का सत्कार किया। 

 

देवराज इंद्र के सारथी ने उन सबको आशीर्वाद दिया और रथ लेकर वापस इन्द्र लोक को चला गया।  इसके बाद अर्जुन को जैसे ही एकांत में द्रौपदी से मिलने का अवसर मिला तो उन्होंने देवराज इंद्र के दिए हुए अनेक सुंदर आभूषण द्रौपदी को भेंट किए।  

 

रात्रि के भोजन आदि से निवृत्त होकर सब लोग इक्ट्ठे होकर बैठ गए तो अर्जुन ने अपनी भक्ति से शिव जी को प्रसन्न करके उनसे पाशुपत अस्त्र एवं अन्य देवताओं के दिव्य अस्त्र व उनके प्रयोग के मंत्र प्राप्त करने का सारा वृत्तांत संक्षेप में सुना डाला। इसके बाद सब लोग विश्राम करने चले गए। 

 

रात बीती और सुबह हुई तो सब ने उठ कर स्नान-ध्यान किया। कुछ देर राजर्षि अरिष्ठसेन ने सब लोगों को धर्म का उपदेश दिया। फिर सब भाई राजर्षि को ध्यान मग्न देख कर धूप में जा बैठे और अर्जुन से तरह-तरह के प्रश्र पूछने लगे। अर्जुन भी उन सब को अपनी आप बीती सुनाने लगे। 

 

अर्जुन ने फिर युधिष्ठिर और अपने भाइयों, द्रौपदी तथा आचार्य धौम्य को बताया कि मैंने देवराज इंद्र और अन्य देवताओं से अस्त्र प्राप्त करके देवराज इंद्र से समस्त विद्या सीखी। केवल तुम सब को ही हमेशा याद करके दिन में एक-दो बार उदास हो जाता था। बाकी सब तरफ से अपना मन हटा कर मैं अस्त्र विद्या सीखता रहा। अंत में एक दिन देवराज इंद्र ने मुझसे कहा, ‘‘वत्स, अब युद्ध में तुम्हें देव, दानव, असुर, यक्ष, गंधर्व अर्थात कोई भी पराजित नहीं कर सकेगा। अस्त्र युद्ध में तुम्हारा सामना कर सके ऐसा कोई वीर नहीं होगा।’’

 

‘‘तुमने 15 अस्त्र प्राप्त किए हैं और इनकी शक्ति को भी तुम भली-भांति जानते हो इसलिए ‘शत्रु दमन’, अब गुरु दक्षिणा देने का समय आ गया है।’’

 

‘‘आपने तो मुझे शत्रु दमन की उपाधि प्रदान की है देवराज, इसलिए मेरा विचार है कि आपके शत्रुओं का दमन कर सकूं। इससे अच्छी गुरु दक्षिणा और कोई नहीं होगी। आप आज्ञा दें। यदि आपका कोई शत्रु हो तो मैं जाकर उसका दमन कर आऊं?’’ 

 

मैंने हाथ जोड़ कर देवराज इंद्र से कहा। इसे सुन कर वह अत्यंत प्रसन्न हुए।                                              

(क्रमश:)

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!