अगली दो तिमाहियों में तीन प्रतिशत से अधिक नहीं रह सकती वृद्धि दर: प्रणब सेन

Edited By PTI News Agency,Updated: 26 Mar, 2020 08:10 PM

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नयी दिल्ली, 26 मार्च (भाषा) पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणब सेन ने बृहस्पतिवार को कहा कि देशभर में लागू की गई सार्वजनिक पाबंदी का असर देश की आर्थिक वृद्धिदर पर पड़ेगा और अगली दो तिमाहियों में यह तीन प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।

नयी दिल्ली, 26 मार्च (भाषा) पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणब सेन ने बृहस्पतिवार को कहा कि देशभर में लागू की गई सार्वजनिक पाबंदी का असर देश की आर्थिक वृद्धिदर पर पड़ेगा और अगली दो तिमाहियों में यह तीन प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।
सेन ने पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि देश में 21 दिन के लिये लोगों को घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगायी गयी है। इससे सकल घरेलू उत्पाद में करीब पांच लाख करोड़ रुपये की कमी आ सकती है।

उन्होंने कहा, ‘‘देशभर में 21 दिन की सार्वजनिक पाबंदी लगाए जाने से अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर काफी कम रहेगी। वित्त वर्ष 2020-21 की अगली दो तिमाहियों में मुझे आर्थिक वृद्धि दर के तीन प्रतिशत से ऊपर जाने की उम्मीद नहीं है। इससे 2024-25 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य पाना बेहद मुश्किल हो गया है।’’
कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में मंगलवार की मध्यरात्रि से 21 दिन की सार्वजनिक पाबंदी घोषित की है।

सेन ने कहा, ‘‘ अभी मेरा अनुमान सार्वजनिक पाबंदी की घोषित अवधि पर आधारित है। अभी तीन हफ्ते के लिए यह पाबंदी लगायी गयी है और इन तीन हफ्तों में अर्थव्यवस्था में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब पांच लाख करोड़ रुपये की कमी आएगी।’’
भारत की आर्थिक वृद्धिदर 2019-20 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 4.7 प्रतिशत पर आ गयी। यह सात साल का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर अवधि में संशोधित आर्थिक वृद्धि दर 5.1 प्रतिशत रही जिसके पहले 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान था। सरकार ने 2024-25 तक देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है।
सरकार के वित्तीय प्रोत्साहन देने से आर्थिक गतिविधियों पर पड़ने वाले फर्क के सवाल पर सेन ने कहा कि इससे वृद्धि दर को लेकर कोई मदद नहीं मिलेगी क्योंकि समस्या आपूर्ति से जुड़ी है।
उन्होंने कहा, ‘‘उत्पादन नहीं हो रहा है। राजकोषीय प्रोत्साहन का लाभ तब मिलता है जब समस्या मांग से जुड़ी हो।’’
सेन ने कहा, ‘‘मौजूदा वक्त में राजकोषीय हस्तक्षेप से यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि गरीब और ऐसे लोगों को परेशानी ना हो जिनके पास इस संकट से जूझने के पैसे नहीं है। और वह भूख से ना मरें।’’ सेन आर्थिक सांख्यिकी मामलों स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि इस सार्वजनिक पाबंदी की स्थिति में वित्त मंत्रालय दुर्भाय से बहुत कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि उत्पादन बंद है।
सेन ने कहा, ‘‘इस मौके पर मेरे हिसाब से वृद्धि की तरफ ध्यान नहीं होना चाहिए। वित्त मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने पर ध्यान देना चाहिए कि सार्वजनिक पाबंदी से कामकाजी आबादी के बीच गरीबी ना आए।’’ सेन ने इस समय रिजर्व बैंक के नीतिगत दरों में कटौती को गैर-जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि रेपो दर में कमी तब महत्वपूर्ण होती है जब निवेश गतिविधियां चल रही हों। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि रेपो दर में कटौती को फिलहाल रुकना चाहिये।’’

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