‘मांग में अंतर से निपटने के लिये पर्याप्त उपाय, ग्रिड के अस्थिर होने की आशंका नहीं’

Edited By PTI News Agency,Updated: 04 Apr, 2020 07:53 PM

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नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर पांच अप्रैल को रात नौ बजे नौ मिनट पर एक साथ सभी घरों में बल्ब, ट्यूबलाइट बंद करने से ग्रिड के ठप होने की आशंका को खारिज किया है। उसने कहा है कि मांग में अंतर से...

नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर पांच अप्रैल को रात नौ बजे नौ मिनट पर एक साथ सभी घरों में बल्ब, ट्यूबलाइट बंद करने से ग्रिड के ठप होने की आशंका को खारिज किया है। उसने कहा है कि मांग में अंतर से निपटने के लिये पर्याप्त उपाय किये जा रहे हैं ताकि उपकरणों को कोई क्षति न हो।
बिजली मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा कि देश की बिजली ग्रिड व्यवस्था मजबूत है।
प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कोरोना वायरस के खिलाफ अभियान के तहत देश के नाम अपने संदेश में ‘अंधकार को चुनौती’ के रूप में पांच अप्रैल को रात नौ बजे नौ मिनट तक बिजली बंद करने और दीया, टार्च या मोबाइल से रोशनी करने की अपील की है।
कई राज्यों ने बिजली वितरण कंपनियों को पत्र लिखकर मांग में अचानक से कमी से निपटने को लेकर कदम उठाने को कहा है। देश में जारी ‘लॉकडाउन’ के कारण बिजली मांग पहले से दो अप्रैल को पिछले साल इसी दिन के मुकाबले 25 प्रतिशत कम होकर 1,25,810 मेगावाट पहुंच गयी है।

ग्रिड के प्रबंधन के लिये जवाबदेह पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन लि. ने कहा कि घरों में बल्ब, ट्यूब के जलने से 12,000 से 13,000 मेगावाट ही बिजली खपत होती है।
उसने कहा, ‘‘सामान्य परिचालन के विपरीत लोड में 12,000 से 13,000 मेगावाट की कटौती 2-4 मिनट के लिये हो सकती है और नौ मिनट बाद सुधर जाएगी।’’ लोड में अचानक से कमी और फिर उसमें सुधार अप्रत्याशित है। इसको पनबिजली और गैस संसाधनों से प्रबंधित करने की जरूरत है।’’
योजना के मुताबिक मांग में अचानक से बदलाव को रविवार को शाम 6.10 से 8.0 के बीच पनबिजली उत्पादन में कटौती की जाएगी। फिर रात नौ बजे के दौरान लचीलापन लाने के लिये इसे संरक्षित किया जाएगा।
साथ ही कोयला आधारित उत्पादकों के साथ-साथ गैस से चलने वाले बिजलीघरों को इस रूप से संचालित किया जाएगा जिससे मांग में अधिकतम वृद्धि को प्रबंधित किया जा सके।
मंत्रालय ने आशंकाओं को दूर करते हुए कहा है, ‘‘प्रधानमंत्री ने केवल पांच अप्रैल को अपने घरों में लाइट यानी बल्ब और ट्यूबलाइट रात नौ बजे से 9.09 तक करने को कहा है। इसमें स्ट्रीट लाइट या कंप्यूटर, टीवी, पंखे, रेफ्रिजरेटर और एसी बंद करने कोई आह्वान नहीं किया गया है। केवल लाइट बंद रहेंगी।’’
साथ ही अस्पतालों, पुलिस स्टेशन, विनिर्माण इकाइयों आदि जैसे जरूरी जगहों पर लाइट पहले की तरह जलती रहेंगी।
बयान के अनुसार, ‘‘कुछ आशंकाएं जतायी गयी हैं कि इससे ग्रिड की स्थिरता प्रभावित हो सकती है और वोल्टेज में उतार-चढ़ाव से बिजली उपकरणों को नुकसान पहुंच सकता है। ये आशांकाएं निराधार हैं। देश की ग्रिड प्रणाली मजबूत है और मांग में अंतर से निपटने के लिये व्यवस्था है।’’ इस बात को लेकर चिंता है कि देश में ‘लॉकडाउन ’ के कारण बिजली की मांग पहले से कम है, ऐसे में अचानक खपत ‘गिर जाने’ होने से क्या ग्रिड स्थिर रह सकता है? या नौ मिनट बाद मांग एकदम बढने से ‘ब्लैकआउट’ (बिद्युत प्रवाह ठप होने) की स्थिति की आशंका नहीं है?
बिजली सचिव संजीव नंदन सहाय ने प्रधानमंत्री की अपील के बारे में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों/बिजली सचिवों को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है, ‘‘....नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर ने उस दौरान ग्रिड के संतुलन के लिये उपाय किये हैं और वे इस बारे में रिजनल और राज्य लोड डिस्पैच सेंटरों को अलग से सूचना दे रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि सड़कों पर जलने वाली लाइट या धरों के अन्य उपकरणों को बंद करने के लिये नहीं कहा गया है। ‘‘मांग में अंतर से निपटने के लिये पर्याप्त उपाय और व्यवस्था किये गये हैं। लोगों को इसको लेकर आशंकित होने की जरूरत नहीं है और वे पहले की तरह अपने उपकरण चला सकते हैं।’’
इससे पहले, बिजली मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि ग्रिड की स्थिरता को कोई खतरा नहीं है क्योंकि हर चीज का ध्यान रखा गया है।

उधर, उत्तर प्रदेश के स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर (एसएलडीसी) ने राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों से बिजली मांग में अचानक से कमी से निपटने के लिये कदम उठाने को कहा है।

इसी प्रकार का निर्देश तमिलनाडु ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ने अपने कार्यकारियों को दिये पत्र में कहा है कि प्रधानमंत्री के आह्वान को देखते हुए पर्पाप्त संख्या मे कर्मचारी की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। महाराष्ट्र सरकार ने भी बिजली व्यवस्था सुचारु रखने के प्रबंध किए हैं।

इस बीच, एक अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री इस अपील से बिजली की मांग में रविवार को 10,000 से 12,000 मेगावाट की कमी आ सकती है। इसका राष्ट्रीय पावर ग्रिड की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

अधिकारी ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि देश में ‘बत्तियां बंद ’ हो रही है। ‘अर्थ आवर’ जैसी पहल में इस प्रकार के कदम उठाये गये हैं।

देश में 2012 में तकनीकी कारणों से ग्रिड ठप हुआ था। हालांकि भारत में इस समय में मजबूत पारेषण नेटवर्क है जो बिजली मांग में उतार-चढ़ाव से निपटने में सक्षम है।

इधर, मामला कुछ राजनीतिक रंग भी लिया।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री की ‘लाइट बंद’ करने की अपील का विरोध किया है। रमेश ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘....पांच अप्रैल को रात नौ बजे से नौ मनिट के लिये लाइट बंद करने के आह्वान का ग्रिड और उसके परिचालन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। मुझे उम्मीद है कि इसका समुचित रूप से ध्यान रखा जाएगा।’’
वहीं भाजपा सांसद और पूर्व नौकरशाह अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री के आह्वान का पावर ग्रिड पर असर पड़ने की आशंका बेबुनियाद है।

उन्होंने कहा, ‘‘घरों की रोशनी बंद होने से बिजली की 1,15,000 से 1,25,000 मेगावाट की मांग में से 10,000 से 15,000 मेगावाट की कमी आ सकती है।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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