देशव्यापी बंद से वितरण कंपनियों का ग्राहकों से धन वसूली पर पड़ेगा असर- इंडिया रेटिंग्स

Edited By PTI News Agency,Updated: 09 Apr, 2020 06:28 PM

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नयी दिल्ली, नौ अप्रैल (भाषा) कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ (बंद) से वितरण कंपनियों के बिल संग्रह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और उनकी बिजली खरीद लागत बढ़ सकती है। साख निर्धारण से जुड़ी इंडिया रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में यह...

नयी दिल्ली, नौ अप्रैल (भाषा) कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ (बंद) से वितरण कंपनियों के बिल संग्रह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और उनकी बिजली खरीद लागत बढ़ सकती है। साख निर्धारण से जुड़ी इंडिया रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में यह कहा है।

रिपोर्ट में उन कारणों का उल्लेख किया गया है जिससे वितरण कंपनियों के नकद प्रवाह पर असर पड़ेगा। इसमें औद्योगिक ग्राहकों से कम मांग, उम्मीद से अधिक सकल तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीसी) नुकसान, सब्सिडी के मुकाबले ग्राहकों से सीधे संग्रह पर अधिक निर्भरता और तत्काल शुल्क बढ़ोतरी नहीं कर पाना शमिल है।

इसमें कहा गया है कि इससे वितरण कंपनियों की समस्या बढ़ सकती है और इसके परिणामस्वरूप वे बिजली उत्पाद कंपनियों से ली गयी बिजली के एवज में भुगतान में विलम्ब करेंगे या फिर अधिक कर्ज लेंगे।

इंडिया रेटिंग्स के अनुसार उत्पादक कंपनियों का भुगतान जून 2020 के बाद भी नियमित नहीं होगा। इसका कारण वितरण कंपनियों की वसूली क्षमता का प्रभावित होना है। कुल मिलाकर इन सबके परिणामस्वरूप पूरे क्षेत्र में कर्ज बढ़ेगा। इसका कारण कार्यशील पूंजी उधारी में बढ़ोतरी है।

इससे पहले, इंडिया रेटिंग्स ने कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के कारण तापीय बिजली घरों का क्षमता उपयोग 2020-21 में 55 प्रतिश्त से नीचे जा सकता है। यह तकनीकी न्यूनतम मानक के करीब है। इसका कारण कोरोना वायरस महामारी से पहले से कमजोर मांग के साथ औद्योगिक लोड में धीरे-धीरे वृद्धि है।
रेटिंग एजेंसी ने बृस्पतिवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि वितरण कंपनियां 24 मार्च 2020 से 30 जून 2020 के दौरान उत्पादक कंपनियों के भुगतान को टाल सकती है। बिजली मांग में मौजूदा नरमी को देखते हुए इससे वितरण कंपनियो को काफी राहत मिलेगी।
बिजली खरीद लागत आय का 60 से 70 प्रतिशत हिस्सा है। वितरण कंपनियों के लिये यह बड़ी लागत हे। अत: भुगतान को टाले जाने से उनकी नकदी वैसे समय सुधरेगी जब संग्रह कम हो रहा है। कई वितरण कंपनियों के पास ऑनलाइन संग्रह व्यवस्था अच्छी नहीं है।

हालांकि ऐसी उम्मीद है कि वितरण कंपनियां परिचालन व्यय पूरा करने के बाद उत्पादक इकाइयों को भुगतान करने का हर संभव प्रयास करेगी।


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