चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की सामान्य गश्त में डाल रहा है बाधा: विदेश मंत्रालय

Edited By PTI News Agency,Updated: 22 May, 2020 12:08 AM

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नयी दिल्ली, 21 मई (भाषा) भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि लद्दाख और सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन भारतीय सैनिकों की सामान्य गश्त में बाधा डाल रहा है। इसके साथ ही भारत ने चीनी क्षेत्र में भारतीय सैनिकों की घुसपैठ के कारण दोनों...

नयी दिल्ली, 21 मई (भाषा) भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि लद्दाख और सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन भारतीय सैनिकों की सामान्य गश्त में बाधा डाल रहा है। इसके साथ ही भारत ने चीनी क्षेत्र में भारतीय सैनिकों की घुसपैठ के कारण दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के चीन के आरोपों को भी मजबूती से खारिज किया।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीमा पर भारत की सभी गतिविधियां भारतीय क्षेत्र की ओर ही होती रही हैं और नयी दिल्ली ने सीमा प्रबंधन की दिशा में हमेशा अत्यंत जिम्मेदार रवैया अपनाया है। मंत्रालय ने इसके साथ ही कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है।

पिछले कुछ दिनों में और दो सप्ताह पहले ही आमने सामने होने के बावजूद, लद्दाख और उत्तरी सिक्किम के कई क्षेत्रों में भारत और चीन दोनों की तरफ से भारी सैन्य गतिविधियां देखी गई हैं जो तनाव बढ़ने और अपनी-अपनी स्थिति मजबूत करने का स्पष्ट संकेत हैं।

दोनों देशों के बीच करीब 3500 किमी लंबी एलएसी ही एक तरह से व्यावहारिक सीमा रेखा है।

चीन ने मंगलवार को अपने क्षेत्र में भारतीय सेना की घुसपैठ का आरोप लगाया और दावा किया कि यह सिक्किम और लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की ‘‘स्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास है।’’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि यह चीनी पक्ष था जिसने इन इलाकों में भारत की सामान्य गश्त को हाल में बाधित करने वाली गतिविधियां कीं।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ऐसी कोई बात सच नहीं है कि भारतीय सैनिकों ने पश्चिमी सेक्टर या सिक्किम सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को पार कर कोई गतिविधि की।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय सैनिक भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा के संरेखण से पूरी तरह अवगत हैं और ईमानदारी से इसका पालन करते हैं।’’
भारत और चीन के बीच की सीमा रेखा को एलएसी कहा जाता है।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘असल में, यह चीनी पक्ष है जिसने हाल में भारत की सामान्य गश्त को बाधित करने की कोशिशें की। भारतीय पक्ष ने सीमा प्रबंधन के प्रति हमेशा अत्यंत जिम्मेदार रुख अपनाया है। साथ ही, हम भारत की संप्रभुता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय सैनिक एलएसी को लेकर अवधारणा में भिन्नता की वजह से उत्पन्न हो सकने वाली किसी भी स्थिति के समाधान के लिए विभिन्न द्विपक्षीय प्रबंधों और प्रोटोकॉल में निर्धारित प्रक्रियाओं का कड़ाई से पालन करते हैं।’’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ब्योरा दिए बिना कहा कि दोनों पक्ष किसी भी तात्कालिक मुद्दे के समाधान के लिए चर्चा करते रहते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने वार्ता के जरिए ऐसी स्थितियों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए तंत्र स्थापित किए हैं। दोनों पक्ष किसी तात्कालिक मुद्दे के समाधान के लिए एक-दूसरे के साथ चर्चा करते रहते हैं।’’
बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने दावा किया कि भारती सैनिकों ने एलएसी का उल्लंघन किया। उन्होंने दावा किया कि चीनी सेना इस प्रकार की कार्रवाई से कड़ाई से निबटती है।

दोनों देशों के बीच तनाव के मद्देनजर अमेरिका ने बुधवार को कहा कि लद्दाख में नवीनतम सीमा विवाद चीन से उत्पन्न खतरे को दर्शाता है।

चीन ने अमेरिका की दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की वरिष्ठ राजनयिक एलिस वेल्स की टिप्पणियों को ‘‘निरर्थक’’ करार दिया।

वेल्स ने कहा था कि भारत से लगती सीमा पर चीन की गतिविधियां आक्रामक रही हैं तथा यह चीन से उत्पन्न खतरे को दर्शाता है और चीन को रोके जाने की आवश्यकता है।

माना जाता है कि दोनों ओर के स्थानीय कमांडरों ने तनाव को कम करने के उद्देश्य से पिछले कुछ दिनों में कम से कम तीन बैठक की हैं, लेकिन चर्चा का अभी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला है।

सूत्रों ने बताया कि सरकार के एक शीर्ष अधिकारी बीजिंग के संपर्क में हैं।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘चेन्नई में बनी सहमति के अनुरूप भारतीय पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के साझा उद्देश्य के लिए काम करने को पूरी तरह कटिबद्ध है। भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए यह एक अनिवार्य शर्त है।’’
सूत्रों ने बताया कि चीन ने पेगोंग झील और गलवान घाटी के आसपास सैनिकों की संख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि की है और वे झील में बड़ी संख्या में नौकाएं भी ले आए हैं।

उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों ने देमचोक और दौलत बेग ओल्डी जैसे ठिकानों पर भी अतिरिक्त सैनिक तैनात किए हैं।

सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिकों ने गलवान घाटी क्षेत्र में 40-50 तंबू लगा दिए हैं जिसके बाद भारत ने क्षेत्र पर करीब से नजर रखने के लिए अतिरिक्त कुमुक भेजी है।

सूत्रों ने कहा कि चीनी पक्ष ने गलवान नदी के किनारे भारत द्वारा किए जा रहे एक महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण का कड़ा संज्ञान लिया है।
भारत ने कहा है कि जिस क्षेत्र में सड़क और पुल बनाए जा रहे हैं, वह इलाका भारत का है।

गत पांच मई को पेगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन के लगभग 250 सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और लाठी-डंडों से झड़प हो गई थी। दोनों ओर से पथराव भी हुआ था। इस घटना में दोनों देशों के सैनिक घायल हुए थे।

इसी तरह की एक अन्य घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास दोनों देशों के लगभग 150 सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी। सूत्रों के अनुसार इस घटना में दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिक घायल हुए थे।

वर्ष 2017 में डोकलाम तिराहे क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 73 दिन तक गतिरोध चला था जिससे परमाणु अस्त्र संपन्न दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका उत्पन्न हो गई थी।

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा कही जाने वाली 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा पर विवाद है। चीन दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है, जबकि भारत का कहना है कि यह उसका अभिन्न अंग है।

दोनों देश कहते रहे हैं कि लंबित सीमा मुद्दे के अंतिम समाधान होने तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरिता बनाए रखना आवश्यक है।

चीन जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन किए जाने और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के भारत के कदम की निन्दा करता रहा है। लद्दाख के कई हिस्सों पर बीजिंग अपना दावा जताता है।

डोकलाम गतिरोध के महीनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच चीनी शहर वुहान में अप्रैल 2018 में पहला अनौपचारिक शिखर सम्मेलन हुआ था।

शिखर सम्मेलन में, दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी सेनाओं को आपसी विश्वास और समझ के लिए संपर्क मजबूत करने के वास्ते ‘‘रणनीतिक दिशा-निर्देश’’ जारी करने का फैसला किया था।

मोदी और शी के बीच दूसरा अनौपचारिक शिखर सम्मेलन पिछले साल अक्टूबर में चेन्नई के पास मामल्लापुरम में हुआ था जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तारित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।



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