‘डिफाल्टर कंपनी की स्थिति में सुधार आने पर रेटिंग में बदलाव के लिये 90 दिन इंतजार की जरूरत नहीं’

Edited By PTI News Agency,Updated: 21 May, 2020 05:13 PM

pti state story

नयी दिल्ली, 21 मई (भाषा) पूंजी बाजार नियामक सेबी ने बृहस्पतिवार को डिफाल्टर कंपनियों की रेटिंग के मामले में साख निर्धारण एजेंसियों को कुछ राहत दी है। उसने कहा कि साख निर्धारण करने वाली एजेंसियों के लिये जरूरी नहीं है कि वे स्थिति में सुधार के...

नयी दिल्ली, 21 मई (भाषा) पूंजी बाजार नियामक सेबी ने बृहस्पतिवार को डिफाल्टर कंपनियों की रेटिंग के मामले में साख निर्धारण एजेंसियों को कुछ राहत दी है। उसने कहा कि साख निर्धारण करने वाली एजेंसियों के लिये जरूरी नहीं है कि वे स्थिति में सुधार के बाद भी इकाई की रेटिंग में सुधार के लिये जरूरी 90 दिन की अवधि का इंतजार करती रहें।

रेटिंग में बदलाव के लिये डिफाल्ट से चीजें ठीक होने को लेकर 90 दिन की मोहलत का प्रावधान है। किसी कंपनी के डिफाल्टर स्तर से उबरने के बाद उसे गैर-निवेश स्तर (जोखिम) तथा सामान्य रूप से 365 दिन में निवेश स्तर की रेटिंग में लाया जाता है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिम बोर्ड (सेबी) के परिपत्र के अनुसार हाल के कुछ भुगतान के चूक के मामलों में पाया गया कि संबंधित इकाई ने अल्प अवधि में चूक को दुरूस्त कर लिया, लेकिन उसकी रेटिंग सुधर नहीं पायी और वह निवेश से नीचे के स्तर पर बनी रही।
नियामक ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए ऐसे मामले बढ़ने की आशंका है।

सेबी का मानना हे कि डिफाल्ट के बाद स्थिति ठीक होने के लिये निर्धारित अवधि के नियम की समीक्षा की जरूरत है ताकि साख निर्धारित करने वाली एजेंसियों को ऐसे मामलों में उपयुक्त रुख अपनाने को लेकर कुछ लचीलापन मिल सके।

नियामक ने इस बारे में विभिन्न पक्षों और विश्लेषकों से मिले ज्ञापन और जानकारी को ध्यान में रखकर नीति में संशोधन किया है।

सेबी ने कहा, ‘‘भुगतान चूक की स्थिति ठीक होने और भुगतान नियमित होने के बाद रेटिंग एजेंसियां 90 दिन के बाद रेटिंग को गैर-निवेश स्तर का करती हैं। यह इस अवधि के दौरान कंपनी के संतोषजनक प्रदर्शन पर निर्भर करता है लेकिन अब रेटिंग एजेंसियां मामला-दर-मामला आधार पर जरूरी नहीं है कि 90 दिन की अवधि के बाद ही ऐसा करें। इसके लिये जरूरी है कि साख निर्धारण से जुड़ी इकाइयां इस संदर्भ में विस्तृत नीति बनाये।’’
इस नीति को रेटिंग एजेंसियों की वेबसाइट पर डालने की आवश्यकता होगी।

सेबी ने यह भी कहा कि अगर ऐसा कोई मामला होता है, जहां 90 दिन की निर्धारित अवधि का पालन करने की जरूरत नहीं है, उसे छमाही आधार पर रेटिंग एजेंसियों के निदेशक मंडल की उप-समिति के समक्ष रखने की जरूरत होगी। साथ ही उसमें यह भी बताना होगा कि यह क्यों जरूरी था।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!