एमएसएमई: 20 हजार करोड़ रुपये की ऋण सहायता, 50 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डालने को मंजूरी

Edited By PTI News Agency,Updated: 01 Jun, 2020 10:27 PM

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नयी दिल्ली, एक जून (भाषा) सरकार ने चुनौतियों से जूझ रहे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों (एमएसएमई) की मदद के लिये सोमवार को कुछ उपायों को मंजूरी दी। इन उपायों में ऋण नहीं चुका पा रहे एमएसएमई के लिये 20 हजार करोड़ रुपये की ऋण सहायता तथा फंड ऑफ...

नयी दिल्ली, एक जून (भाषा) सरकार ने चुनौतियों से जूझ रहे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों (एमएसएमई) की मदद के लिये सोमवार को कुछ उपायों को मंजूरी दी। इन उपायों में ऋण नहीं चुका पा रहे एमएसएमई के लिये 20 हजार करोड़ रुपये की ऋण सहायता तथा फंड ऑफ फंड्स के जरिये 50 हजार करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी डालना शामिल है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने इनके अलावा एमएसएमई की परिभाषा बदलने को भी मंजूरी दे दी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने घोषित 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक के आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज के तहत इन उपायों और एमएसएमई की परिभाषा बदले जाने की घोषणा की थी।

केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि सीसीईए ने मध्यम उपक्रमों के लिये टर्नओवर की सीमा को 100 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 250 करोड़ रुपये करने को मंजूरी दे दी। इसके अलावा एमएसएमई निकायों के वर्गीकरण के लिये निर्यात से प्राप्त टर्नओवर को शामिल नहीं किया जायेगा।

गडकरी ने कहा कि 20 हजार करोड़ रुपये की ऋण सहायता से दो लाख एमएसएमई को लाभ होगा। इसके अलावा शेयरों के बदले 50 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डालने की योजना से एमएसएमई को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होने तथा अपनी क्षमता का विस्तार करने में मदद मिलेगी।

इसके अलावा 10,000 करोड़ रुपये का ‘फंड ऑफ फंड’ का भी गठन किया जाएगा। फंड ऑफ फंड का परिचालन मूल कोष और कंपनियों को जोखिम पूंजी उपलब्ध कराने (डॉटर फंड) के माध्यम से किया जाएगा। मूल कोष (मदर फंड)का उपयोग अन्य माध्यमों से पूंजी आकर्षित करने में किया जाता है।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘आज की मंजूरी के साथ, आत्मनिर्भर भारत अभियान के संपूर्ण घटकों के कार्यान्वयन के तौर-तरीके व इसका खाका तैयार हो गया है। इससे एमएसएमई क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने और अधिक नौकरियां पैदा करने में मदद मिलेगी।"
एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में, मंत्रिमंडल ने एक योजना ‘पीएम-स्वनिधि’ को मंजूरी दी जिसके तहत रेहड़ी-पटरी के विक्रेता 10 हजार रुपये तक के कार्यशील पूंजी ऋण का लाभ उठा सकते हैं। इसे एक साल के दौरान मासिक किस्तों में चुकाया जा सकेगा। इस योजना से करीब 50 लाख लोगों को लाभ मिलने के अनुमान हैं।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने रेहड़ी-पटरी के विक्रेताओं को किफायती ऋण प्रदान करने के लिये एक विशेष सूक्ष्म ऋण सुविधा योजना ‘पीएम स्वनिधि - पीएम स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि’ शुरू की है।

जावड़ेकर ने कहा कि विक्रेता 10 हजार रुपये तक के कार्यशील पूंजी ऋण का लाभ उठा सकते हैं, जो एक सात में मासिक किस्तों में चुकाया जा सकेगा।

उल्लेखनीय है कि एमएसएमई की परिभाषा में 14 साल बाद बदलाव किया गया है।

निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष शरद कुमार सराफ ने कहा कि कुल कारोबार से निर्यात के हिस्से को बाहर करने से एमएसएमई को वैश्विक बनने में मदद मिलेगी। इससे उन्हें निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने के लिये प्रोत्साहन मिलेगा।

वित्तीय परामर्श कंपनी फिनडॉक ग्रुप के प्रबंध निदेशक (एमडी) हेमंत सूद ने कहा कि एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और ये बड़े पैमाने पर कुशल श्रम को रोजगार मुहैया कराते हैं। उन्होंने कहा, "सरकार के द्वारा एमएसएमई को शेयर बाजारों में सूचीबद्धता की अनुमति देने के निर्णय से उन्हें लंबी अवधि में मदद मिलेगी।’’


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