सौरस-सेल, माड्यूल पर मूल सीमा शुल्क लगने की संभावना से सेज स्थित विनिर्माता चिंतित

Edited By PTI News Agency,Updated: 07 Jun, 2020 03:31 PM

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नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) में स्थापित सौर ऊर्जा उपकरण बनाने वाली कंपनियों ने सौर-सेल और माड्यूल पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) लगाने की योजना को लेकर चिंता जतायी है। उनका कहना है कि प्रस्ताव से इससे सेज के बाहर की...

नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) में स्थापित सौर ऊर्जा उपकरण बनाने वाली कंपनियों ने सौर-सेल और माड्यूल पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) लगाने की योजना को लेकर चिंता जतायी है। उनका कहना है कि प्रस्ताव से इससे सेज के बाहर की घरलू इकाइयों की तुलना में उन पर शुल्क का बोझ बढ़ जाएगा और उनकी व्यवहार्यता पर असर पड़ेगा।

इन इकाइयों ने प्रधानमंत्री से बाजार में विनिर्माताओं के लिए समान अवसर सुनिश्चितक करने की अपील की है ताकि सौर- सेल और सौर-बिजली मोड्यूल के विनिर्माण की क्षमता प्रभावित न हो।बिक्रम सोलर जैसे सेज स्थित सौर-ऊर्जा विनिर्माताओं ने सौर-सेल और माड्यूल पर बीसीडी लगाने के वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप का आग्रह भी किया है।
हाल में एक वेबिनार (इंटरनेट के माध्यम से सेमिनार) में सौर उपकरण विनिर्माता कंपनियों विक्रम सोलर, वेबेल सोलर और रीन्‍यूसीस ने कहा सरकार की स्थानीय तौर पर विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये सौर सेल और मोड्यूल्स के आयात पर बीसीडी लगाने की योजना है। सेज में स्थित इकाइयों के अनुसार प्रस्तावित बीसीडी के लागू होने पर सेज स्थित इकाइयां अगर अपने उत्पाद घरेलू बाजार (घरेलू प्रशुल्क क्षेत्र) में बेचना चाहती हैं, उन्हें पूरे माड्यूल पर उसी सीमा शुल्क देना होगा भले ही वे केवल सौर-सेल का ही आयात करती होंगी।इसके विपरीत गैर सेज विनिर्माताओं को केवल आयाति सौर-सेल पर ही शुल्क देना होगा।

विक्रम सोलर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी साईंबाबा वटुकुरी ने कहा,‘ अब अगर सौर-सेल और मोड्यूल पर बीसीडी लगाया जाता है तो सेज में होने वाले मूल्य वर्धन पर भी यह शुल्क देना होगा।’’ उन्होंने कहा कि ऐसे में जो विनिर्माण इकाइयां सेज से इतर होंगी, उन्हें लाभ होगा।
फिलहाल सौर सेल और मोड्यूल पर कोई बीसीडी नहीं है। अभी इन पर 15 प्रतिशत की दर से रक्षोपाय शुल्क लग रहा है।
वेबेल सोलर के प्रबंध निदेशक एसएल अग्रवाल ने कहा कि बीसीडी के प्रभाव में आने से सेज में स्थित विनिर्माण इकाइयों की लागत बढेगी और इसका उन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘उद्योग ने सरकार से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि घरेलू शुल्क क्षेत्र (डीटीए) और सेज में स्थित इकाइयों को सीमा शुल्क और कराधान के मामले में एक समान श्रेणी में रखा जाए। इससे सरकार को नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता लक्ष्य हासिल करने और ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में मदद मिलेगी।’’ रीन्‍यूसीस के वैश्विक मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अविनाश हीरानंदानी ने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत पिछले 5 वर्षों में सौर ऊर्जा उपकरणों के एक मजबूत बाजार के रूप में उभरा है। सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में वर्ष 2022 तक 175,000 मेगावाट उत्पादन क्षमता का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इसे प्राप्त करने के लिए अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करना जरूरी है।’’

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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