Edited By PTI News Agency,Updated: 02 Jul, 2020 08:01 PM
नयी दिल्ली, दो जुलाई (भाषा) भारतीय दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने ऋण शोधन पेशेवरों को किसी एक समय में सीमित संख्या में ही मामले उनके हवाले किये जाने का प्रस्ताव किया है।
नयी दिल्ली, दो जुलाई (भाषा) भारतीय दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने ऋण शोधन पेशेवरों को किसी एक समय में सीमित संख्या में ही मामले उनके हवाले किये जाने का प्रस्ताव किया है।
दिवाला एवं ऋण शोधन संहिता (आईबीसी) के तहत किसी कंपनी की समाधान प्रक्रिया में ऋण शोधन पेशेवरों की महत्वपूर्ण भूमिका हाती है।
संहिता को लागू करने वाले संस्थान आईबीबीआई ने ऋण शोधन पेशेवरों के लिये एक समय में किसी पेशेवर को अधिकतम पांच कार्य ही उसके सुपुर्द किये जाने का प्रस्ताव किया है।
आईबीबीआई ने कहा कि ऋण शोधन पेशेवरों (आईपी) के लिये निश्चित समय में काम की संख्या सीमित किये जाने से प्रक्रियाओं में बिना वजह देरी और बाधा उत्पन्न नहीं होगी। कई सारे कार्य एक साथ दिये जाने पर इस प्रकार की समस्याएं देखी गयी है।
बोर्ड के अनुसार कार्यों की संख्या सीमित होने से काम की गुणवत्ता बेहतर होने की उम्मीद है। इससे संहिता के तहत अधिकतम मूल्य हासिल करने का जो लक्ष्य है, उसे प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
आईबीबीआई ने इस बारे में परिचर्चा पत्र जारी किया है और संबंधित पक्षों से 25 जुलाई तक सुझाव एवं टिप्पणियां देने को कहा है।
बोर्ड के अनुसार संहिता के तहत आईपी के लिये विषय के आधार पर उसके बारे में जानकारी, कौशल और प्रबंधन कुशलता की जरूरत होती है।
विभिन्न स्तरों पर सौदों के लिये अलग-अलग कौशल की जरूरत होती है। एक क्षेत्र में अति कुशल होने का मतलब यह नहीं है कि सभी पक्षों के लिये एक समान अनुभव हो।
बोर्ड ने कहा, ‘‘पुन: यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि दो आईपी के पास एक जैसी योग्तया नहीं हो सकती। इसी प्रकार, दो कंपनी ऋण शोधन समाधान प्रक्रिया भी एक जैसी नहीं हो सकती क्योंकि इसमें जटिल कंपनी ढांचा, अलग-अलग कारोबार, विभिन्न पक्ष जुड़े होते हैं।’’
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