सस्ते आयात से देशी तेल-तिलहन की कीमतों में गिरावट, आयातित तेलों में सुधार

Edited By PTI News Agency,Updated: 12 Jul, 2020 10:04 AM

pti state story

नयी दिल्ली, 12 जुलाई (भाषा) विदेशी सस्ते तेलों के मुकाबले सरसों, मूंगफली जैसे देशी तेलों के भाव प्रतिस्पर्धी नहीं होने की वजह से बीते सप्ताह दिल्ली-तेल तिलहन बाजार में विभिन्न देशी तेलों के भाव हानि का रुख दर्शाते बंद हुए। वहीं सस्ते आयातित...

नयी दिल्ली, 12 जुलाई (भाषा) विदेशी सस्ते तेलों के मुकाबले सरसों, मूंगफली जैसे देशी तेलों के भाव प्रतिस्पर्धी नहीं होने की वजह से बीते सप्ताह दिल्ली-तेल तिलहन बाजार में विभिन्न देशी तेलों के भाव हानि का रुख दर्शाते बंद हुए। वहीं सस्ते आयातित तेलों की मांग बढ़ने से सीपीओ सहित पामोलीन जैसे आयातित तेल की कीमतों में सुधार आया।
बाजार सूत्रों ने कहा कि लॉकडाउन में ढील के बाद होटलों और रेस्तरां में सस्ते खाद्य तेलों की मांग बढ़ रही है और देशी तेल उनसे प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं। किसानों के पास सोयाबीन का पहले का काफी स्टॉक बचा है और सोयाबीन की आगामी फसल बंपर होने की उम्मीद है। ऐसे में सस्ते आयातित तेलों ने देशी तिलहन उत्पादकों की हालत खस्ता कर दी है और किसानों की लागत भी नहीं निकल रही है।
उन्होंने कहा कि सस्ते आयात के कारण किसान सूरजमुखी, मूंगफली और सोयाबीन तेल मंडियों में औने-पौने दाम पर बेचने को मजूबर हैं। ऐसे में तिलहन उत्पादन की दृष्टि से देश आत्मनिर्भरता की ओर नहीं बढ़ सकता।
सूत्रों ने कहा कि मलेशिया जैसा देश अपनी आगामी पैदावार की संभावना को देखते हुए पहले से किसानों के हितों को ध्यान में रखकर फैसला करता है। ऐसे में हमारी सरकार को भी अपने किसानों के हित के अनुरूप फैसला लेते हुए आयातित तेलों पर आयात शुल्क अधिकतम सीमा तक बढ़ाना चाहिये।
उन्होंने कहा कि देश के और बहुरारष्ट्रीय कंपनियों के कुछ कारोबारियों ने मलेशिया में अपने पाम तेल प्रसंस्करण संयंत्र लगा रखे हैं और वे नहीं चाहते कि भारत में आयात शुल्क बढ़ाने के संदर्भ में कोई पहल हो।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया में कच्चे पाम तेल का उत्पादन बढ़ने की संभावना के कारण देश में सस्ते खाद्य तेल का आयात बढ़ने का अंदेशा है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।
सस्ते तेलों का आयात बढ़ने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों (तिलहन फसल), सरसों दादरी की कीमतें क्रमश: 50 रुपये और 100 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 4,700-4,725 रुपये और 9,650 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेलों की कीमतें भी पूर्व सप्ताहांत के मुकाबले क्रमश: 30 रुपये और 50 रुपये का नुकसान दर्शाती क्रमश: 1,535-1,675 रुपये और 1,630-1,700 रुपये प्रति टिन पर बंद हुईं।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली दाना और मूंगफली तेल गुजरात का भाव क्रमश: 25 रुपये और 50 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,805-4,855 रुपये और 13,100 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 10 रुपये की हानि के साथ 1,935-1,985 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
विदेशी बाजारों में सुधार के रुख और देश में ‘ब्लेंडिंग’ के लिए सोयाबीन की मांग बढ़ने के कारण सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम की कीमतें क्रमश: 200 रुपये, 200 रुपये और 160 रुपये का सुधार प्रदर्शित करती क्रमश: 8,900 रुपये, 8,760 रुपये और 7,780 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। दूसरी ओर सोयाबीन दाना और लूज (तिलहन फसल) के भाव भी क्रमश: 60 रुपये और 85 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 3,700-3,725 रुपये और 3,435-3,500 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।
मलेशिया ने अपने यहां उत्पादन में भारी वृद्धि की संभावना और पहले के बचे हुए स्टॉक को खपाने के लिए निर्यात शुल्क को हटा दिया है। इसके अलावा खाद्य तेल के सबसे बड़े आयातक देश भारत में इसकी मांग फिर से बढ़ने लगी है जिसकी वजह से कच्चे पाम तेल (सीपीओ), पामोलीन तेलों - आरबीडी दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल की कीमतें क्रमश: 120 रुपये, 110 रुपये और 100 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 6,850 रुपये, 8,350 रुपये और 7,600 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!