सस्ता आयात बढ़ने से मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल में गिरावट, पामोलीन के भाव चढ़े

Edited By PTI News Agency,Updated: 26 Jul, 2020 09:44 AM

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नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) गुजरात में किसानों और सहकारी संस्था नाफेड के पास पिछले साल के बचे भारी स्टॉक तथा विदेश से सस्ते तेलों का आयात बढ़ने के कारण बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मूंगफली दाना (तिलहन फसल) सहित मूंगफली गुजरात और...

नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) गुजरात में किसानों और सहकारी संस्था नाफेड के पास पिछले साल के बचे भारी स्टॉक तथा विदेश से सस्ते तेलों का आयात बढ़ने के कारण बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मूंगफली दाना (तिलहन फसल) सहित मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल कीमतों में गिरावट दर्ज हुई, जबकि कम दाम पर किसानों द्वारा बिकवाली रोकने से सरसों दाना सहित बाकी खाद्य तेलों के भाव तेजी दर्शाते बंद हुए।
कारोबारी सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयातित तेलों की देश में मांग बढ़ने के बीच सूरजमुखी और सोयाबीन दाना (तिलहन फसलों) के भाव पर भारी दबाव रहा और सोयाबीन दाना और लूज के भाव में भी गिरावट देखी गई।
विदेशों से सस्ते खाद्य तेलों के आयात कारण देशी तेलों के भाव प्रतिस्पर्धी नहीं रह गये हैं और लॉकडाउन के बाद छोटी खानपान की दुकानों, होटलों और रेस्तरां में पाम तेल की मांग बढ़ी है जिससे पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में तेजी दिखी।
सूत्रों ने कहा कि इस बार विदेशों में पामतेल का बम्पर उत्पादन होने की पूरी संभावना है जिसे निर्यात बाजार में खपाना होगा। उन्होंने आशंका जताई कि आगामी माह देश की मंडियों में पामतेल की भरमार हो सकती है। देशी तेल उद्योग के कारोबारियों ने सरकार से देशी तिलहन उत्पादक किसानों की रक्षा के लिए सस्ते आयातित तेलों पर शुल्क बढ़ाने की मांग की है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार ने सस्ते आयात पर अंकुश लगाने और आयात शुल्क बढ़ाने जैसा कदम नहीं उठाए, तो तिलहन उत्पादन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाना मुश्किल होगा।
देश में मांग में तेजी की वजह से सस्ते तेलों का आयात बढ़ने के बाद देशी तिलहनों को बाजार में खपाना लगभग मुश्किल होता देखकर किसान सूरजमुखी, मूंगफली और सोयाबीन दाना मंडियों में औने-पौने दाम पर बेचने को मजूबर हैं। ऐसे में किसानों को अपनी लागत निकालना भी भारी हो रहा है।
बाजार में घरेलू मांग बढ़ने और आवक कम होने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों दाना (तिलहन फसल) के भाव 185 रुपये की तेजी के साथ 4,665-4,715 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। सरसों दादरी की कीमत भी 220 रुपये के सुधार के साथ 9,920 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेलों की कीमतें भी 35 - 35 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 1,575-1,715 रुपये और 1,675-1,795 रुपये प्रति टिन पर बंद हुईं।
किसानों द्वारा मांग न होने और औने-पौने भाव पर सौदों का कटान करने से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली दाना और मूंगफली तेल गुजरात का भाव क्रमश: 15 रुपये और 30 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 4,725-4,775 रुपये और 12,450 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव भी 15 रुपये की हानि के साथ 1,860-1,910 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
विदेशी बाजारों में सुधार के रुख और देश में ‘ब्लेंडिंग’ के लिए सोयाबीन की मांग बढ़ने के कारण सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम की कीमतें क्रमश: 70 रुपये, 60 रुपये और 80 रुपये का सुधार प्रदर्शित करती क्रमश: 9,220 रुपये, 9,010 रुपये और 8,080 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। दूसरी ओर सोयाबीन दाना और लूज (तिलहन फसल) के भाव क्रमश: 35 और 15 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 3,635-3,660 रुपये और 3,370-3,435 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।
लॉकडाउन में ढील के बाद भारत में सस्ते तेल की मांग फिर से बढ़ने लगी है जिसकी वजह से कच्चे पाम तेल (सीपीओ), पामोलीन तेलों - आरबीडी दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल की कीमतें पिछले सप्ताहांत के मुकाबले क्रमश: 420 रुपये, 320 रुपये और 250 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 7,520 रुपये, 8,920 रुपये और 8,150 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं।


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