ब्लेंडिंग की मांग बढ़ने से बीते सप्ताह सोयाबीन डीगम सहित सरसों, पाम तेल कीमतों में सुधार

Edited By PTI News Agency,Updated: 02 Aug, 2020 10:13 AM

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नयी दिल्ली, दो अगस्त (भाषा) देशी खाद्य तेलों में सम्मिश्रण (ब्लेंडिंग) के लिए सोयाबीन डीगम जैसे सस्ते आयातित तेलों की मांग बढ़ने से बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सोयाबीन डीगम के अलावा पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में सुधार आया। दूसरी...

नयी दिल्ली, दो अगस्त (भाषा) देशी खाद्य तेलों में सम्मिश्रण (ब्लेंडिंग) के लिए सोयाबीन डीगम जैसे सस्ते आयातित तेलों की मांग बढ़ने से बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सोयाबीन डीगम के अलावा पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में सुधार आया। दूसरी ओर सहकारी संस्था नाफेड द्वारा देशी सरसों उत्पादक किसानों के हित में मंडियों में सस्ते दाम में सरसों की बिक्री कम करने और इस तेल की घरेलू मांग बढ़ने से सरसों दाना (तिलहन) सहित इसके तेल की कीमतों में सुधार आया।
सूत्रों ने बताया कि देश में खाद्य तेल की कमी को देखते हुए देशी खाद्य तेल में सस्ते आयातित तेल की ब्लेंडिंग की छूट है। तेल उद्योग इस छूट का लाभ उठाते हुए सरसों, मूंगफली जैसे व्यापक उपयोग वाले देशी तेलों की बहुत कम मात्रा में पाम तेल, सोयाबीन डीगम जैसे सस्ते आयातित तेलों की भारी मात्रा में मिलावट करते हैं।
सूत्रों ने कहा कि सरसों पक्की घानी तेल में सरसों तेल की मात्रा अधिक से अधिक 10 प्रतिशत तक की होती है जबकि बाकी सोयाबीन डीगम की मिलावट की जाती है। स्वास्थ्य के प्रति उपभोक्ताओं की बढ़ती जागरूकता के कारण देश में सरसों कच्ची घानी की खपत बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि देशी तेल में ब्लेंडिंग की इसी छूट के कारण विदेशी सस्ते आयातित तेल तो हमारी मंडियों में आसानी से खप जाते हैं क्योंकि उनकी लागत भी कम होती है, मगर ऊंची उत्पादन लागत के कारण हमारे देशी तेल महंगा बैठते हैं और सस्ते आयातित तेल के मुकाबले उनको बाजार में खपना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में किसान उत्पादन बढ़ा भी दें, तो तिलहन मामले में आत्मनिर्भरता को हासिल करना आसान नहीं होगा बल्कि इसके लिए सरकार को एक नीतिगत पहल के तहत सस्ते आयात को नियंत्रित करना होगा।
गुजरात में किसानों और सहकारी संस्था नाफेड के पास सूरजमुखी, मूंगफली, सरसों और सोयाबीन का पिछले साल का भारी स्टॉक बचा है। एक- दो महीने में इसकी नयी पैदावार बाजार में आ जायेगी और इस बार भी बम्पर पैदावार होने की संभावना है। ऐसे में सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले मूंगफली की बाजार मांग प्रभावित होने से मूंगफली दाना (तिलहन फसल) सहित मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल कीमतों पर दबाव रहा।
सूत्रों ने कहा कि गुजरात में मूंगफली में ब्लेंडिंग के लिए पामोलीन को खपाया जा रहा है जबकि किसानों के पास इसका पहले का काफी स्टॉक पड़ा है। इसकी आगामी फसल भी अच्छी होने की संभावना है। लेकिन सस्ते आयात के सामने इसकी बाजार मांग नहीं है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को ब्लेंडिंग पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिये जिससे स्थानीय तेल बाजार में आसानी से खप जायें।
विदेशों से सस्ते खाद्य तेलों के आयात कारण देशी तेलों के भाव प्रतिस्पर्धी नहीं रह गये हैं और लॉकडाउन के बाद छोटी खानपान की दुकानों, होटलों और रेस्तरां में पाम तेल की मांग बढ़ी है जिससे पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में सुधार दिखा।
सूत्रों ने कहा कि इस बार विदेशों में पामतेल का बम्पर उत्पादन होने की पूरी संभावना है। सरकार को देशी तिलहन उत्पादक किसानों की रक्षा के लिए सस्ते आयातित तेलों पर शुल्क बढ़ा देना चाहिये।
बाजार में घरेलू मांग बढ़ने और आवक कम होने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों दाना (तिलहन फसल) के भाव 120 रुपये के सुधार के साथ 4,950-5,020 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। सरसों दादरी की कीमत भी 480 रुपये के सुधार के साथ 10,400 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुई। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेलों की कीमतें भी क्रमश: 45 रुपये और 55 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 1,620-1,760 रुपये और 1,730-1,850 रुपये प्रति टिन पर बंद हुईं।
किसानों द्वारा मांग न होने और औने-पौने भाव पर सौदों का कटान करने से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली दाना और मूंगफली तेल गुजरात का भाव क्रमश: 90 रुपये और 270 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 4,635-4,685 रुपये और 12,180 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव भी 35 रुपये की हानि के साथ 1,835-1,875 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
किसानों के पास पहले के बचे स्टॉक, आगामी पैदावार बम्पर रहने की उम्मीद और सस्ते विदेशी तेलों के आगे मांग न होने से सोयाबीन दिल्ली और सोयाबीन इंदौर तेल की कीमतें क्रमश: 220 रुपये और 10 रुपये की हानि दर्शाती क्रमश: 9,000 रुपये और 9,100 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। दूसरी ओर देश में ‘ब्लेंडिंग’ के लिए सोयाबीन डीगम की मांग बढ़ने के कारण सोयाबीन डीगम की कीमत 270 रुपये का सुधार प्रदर्शित करती 8,350 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुई। मांग कमजोर रहने से सोयाबीन दाना और लूज (तिलहन फसल) के भाव क्रमश: 10 -10 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 3,625-3,650 रुपये और 3,360-3,425 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।
लॉकडाउन में ढील के बाद भारत में सस्ते तेल की मांग फिर से बढ़ने लगी है जिसकी वजह से कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और पामोलीन आरबीडी दिल्ली की कीमतें पिछले सप्ताहांत के मुकाबले क्रमश: 30 रुपये और 80 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 7,500 - 7,550 रुपये तथा 9,000 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं जबकि पामोलीन तेल कांडला की कीमत पूर्ववत रही।
स्थानीय मांग के कारण बिनौला तेल की कीमत 200 रुपये का सुधार दर्शाती 8,200 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुई।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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